भारत में विदेशी विश्वविद्यालय अपना परिसर स्थापित कर सकेंगे। उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मंजूरी लेनी होगी और साथ ही दाखिला प्रक्रिया और शुल्क ढांचा तय करने की छूट भी होगी।
यूजीसी के मसौदा नियम के अनुसार विदेशी विश्वविद्यालय को भारतीय कानूनों को पूरी तरह से मानना होगा। फेमा से जुड़े नियमों का पालन करना जरूरी होगा और नियमों का पालन न करने पर कार्रवाई होगी।
विदेशी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों के देश में परिसर खोलने से जुड़े मसौदे के अनुसार दाखिला और शुल्क ढांचा तय करने का अधिकार पूरी से तरह से संस्थानों का होगा। संस्थानों को यूजीसी के शैक्षणिक गुणवत्ता के मानकों को पूरा करना होगा और वह समीक्षा भी करेगा साथ ही इन संस्थानों का औचक निरीक्षण भी किया जाएगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने बताया की यह कदम अहम विषयों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वस्तरीय उच्च शिक्षा मुहैया कराने के लिए देश में ही विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसर खोलने की सिफारिश सहित उच्च शिक्षा के लिए छात्रों के हर वर्ष होने वाला पलायन है।
उन्होंने बताया कि चालू शैक्षणिक सत्र में ही करीब 4.50 लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए दुनिया के दूसरे देशों में गए है। जिनकी पढ़ाई पर अनुमान के मुताबिक 28 से 30 बिलियन डालर ( 22000 से 24000 करोड़ रूपये) का खर्च होता है। यह आम या मध्यमवर्गीय भारतीय छात्रों के लिए काफी महंगा है। इस पहल से भारतीय छात्र अब देश में रहकर पढ़ सकेंगे।
कुमार ने बताया सिर्फ वहीं विदेशी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान देश में अपने परिसर खोल सकेंगे, जो विश्वस्तरीय रैंकिंग में टॉप के 500 संस्थानों में शामिल होंगे या फिर दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थान होंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद दुनिया के कई उच्च शिक्षण संस्थान भारत में अपने परिसर खोलने के लिए उत्सुक है। उन्होंने इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी से लगातार संपर्क में भी है।
नियमों के तहत संस्थान देश में सिर्फ ऑफलाइन कोर्स ही संचालित कर सकेंगे। इन्हें ऑनलाइन कोर्स चलाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही इन संस्थानों को भारत में ज्यादातर शिक्षकों को नियमित रूप से नियुक्ति देनी होगी। इस बीच मसौदे पर 18 जनवरी तक सुझाव देने के लिए कहा गया है। जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। यूजीसी ने इस मसौदे को दुनिया भर के सभी भारतीय दूतावासों के जरिए सभी देशों को भी भेजे है, साथ ही देश में मौजूद विदेशी दूतावासों को भी।