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- भारत 2030 से पहले 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य हासिल कर लेगा: आर के सिंह
केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत, साल 2030 से पहले अपने 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
फिक्की में दूसरे इंडिया एनर्जी ट्रांजिशन समिट-2023 (भारत ऊर्जा परिवर्तन शिखर सम्मेलन-2023) में संबोधन के दौरान सिंह ने कहा कि अगर भारत ने कोविड-19 के कारण दो साल नहीं गंवाए होते, तो देश ने आरई गैर-जीवाश्म ईंधन से अपनी बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत अब तक हासिल कर लिया होता।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में 424 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता है, जिसमें गैर-जीवाश्म ईंधन से लगभग 180 गीगावॉट शामिल है और अन्य 88 गीगावॉट पर काम चल रहा है। देश का साल 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य है। उन्होंने कहा, "हम 2030 से पहले ही 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) हासिल कर लेंगे।" सिंह ने यह भी कहा कि भारत का ऊर्जा परिवर्तन कार्यक्रम दुनिया में शीर्ष पर है। आरई क्षमता वृद्धि दुनिया में सबसे तेज है।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला ने कहा कि भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) में 15 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा जोड़ी, जिसे 2023-24 में 25 गीगावॉट और 2024-25 में 40 गीगावॉट तक बढ़ाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल से सालाना 50 गीगावॉट आरई परियोजनाएं बोली के लिए जाएंगी।
पंचामृत वक्तव्य में 5 सूत्री एजेंडे के रूप में जलवायु कार्रवाई के प्रति भारत की प्रतिबद्धताएं ऊर्जा परिवर्तन को देश की जलवायु कार्य योजना के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ बनाती हैं। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन) के शुभारंभ ने हरित परिवर्तन की दिशा में हितधारकों के प्रयासों और पहलों को भी बढ़ावा दिया है।
नई दिल्ली स्थित फिक्की ने देश में एक सक्षम हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर विशेष ध्यान देते हुए 25 और 26 सितंबर 2023 को भारत ऊर्जा संक्रमण के दूसरे संस्करण का आयोजन किया है। साथ ही सौर और पवन ऊर्जा, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, पंप भंडारण, बैटरी ऊर्जा भंडारण, वित्तपोषण और क्षमता वृद्धि पर भी प्रकाश डाला है।
नीति निर्माताओं और वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों के अलावा, वित्तीय संस्थान, परियोजना डेवलपर्स, निर्माता, उपयोगकर्ता उद्योग, प्रौद्योगिकी कंपनियां, स्टार्ट-अप, फाउंडेशन, अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियां इस कार्यक्रम में भाग ले रही हैं।