भारत में भुगतान बैंक देश में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने में सहायता कर रहे हैं, जिस उद्देश्य के लिए उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा लाइसेंस प्रदान किया गया था। बता दें कि वित्तीय समावेशन समाज के पिछड़े एवं कम आय वाले लोगों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है, जो उनके वहन करने योग्य मूल्य पर मिल सके।
वित्तीय समावेशन हमारे देश में काम के तरीके में साल-दर-साल सुधार कर रहा है। आरबीआई के वित्तीय समावेशन सूचकांक को गौर से देखें तो हमें मालूम होगा कि मार्च 2021 में यह 53.9 था, जो मार्च 2022 में बढ़कर 56.4 हो गया। आईसीआरए के विश्लेषण के अनुसार, बैंकिंग क्षेत्र में औसत मासिक लेनदेन वित्त वर्ष 2023 में 310 ट्रिलियन रुपये हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 2022 में 273 ट्रिलियन रुपये था और वित्त वर्ष 2019 में 266 ट्रिलियन रुपये था।
भुगतान बैंकों के लिए लेन-देन की मात्रा पिछले चार वर्षों में 60 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ बढ़ रही है। हालांकि, छोटे पैमाने को देखते हुए, पूरी बैंकिंग प्रणाली में उनकी हिस्सेदारी सितंबर 2022 में 0.6 प्रतिशत कम रहा है। लेन-देन की मात्रा में मौजूदा रुझानों पर बात करते हुए वित्तीय क्षेत्र रेटिंग के वाइस प्रेसिडेंट और सेक्टर हेड सचिन सचदेवा ने कहा कि भुगतान बैंक पारंपरिक बैंकों की तुलना में बैंकिंग क्षेत्र में नए हैं, जिनके पास दशकों का अनुभव है। इसके अलावा भुगतान बैंक के लिए गतिविधियों का दायरा सीमित है, जबकि पारंपरिक बैंकों के संचालन और राजस्व धाराओं के अपने क्षेत्र में विविधीकरण की अधिक गुंजाइश है।
वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से भुगतान बैंक लाइसेंसिंग कम आय वाले समूहों को छोटे बचत खाते देने के लिए शुरू किया गया था। यह जमाराशियों में उच्च मात्रा-कम मूल्य के लेनदेन के लिए किया गया था, जिसका लक्ष्य एक सुरक्षित तकनीकी संचालित वातावरण में कम आय वाले समूहों को भुगतान सेवाएं प्रदान करना है। इनमें प्रवासी श्रमिक कार्यबल, कम आय वाले परिवार, छोटे व्यवसाय, अन्य असंगठित क्षेत्र की संस्थाएं और अन्य उपयोगकर्ता भी शामिल हैं।
बीते कुछ वर्षों में भुगतान बैंक से होने वाले लेन-देन की मात्रा में सुधार देखा गया है, जिसकी वजह से उनकी परिचालन क्षमता बेहतर हुई है। इससे वित्त वर्ष 2022 में उद्योगों में लाभ देखा गया है। आने वाले समय में उम्मीद की जा रही है कि इनके मुनाफे में और ज्यादा बढ़ोतरी होगी। लेन-देन की मात्रा में वृद्धि के कारण उनको होने वाले लाभ में और सुधार की उम्मीद है। इन लेनदेन की मात्रा और अन्य सेवाओं पर अर्जित शुल्क भुगतान बैंक के राजस्व का अधिकांश हिस्सा है। निधियों के परिनियोजन में बाधाओं को देखते हुए, उनकी जमाराशियों पर शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) मामूली रहता है।
भुगतान बैंकों के लिए ऑनलाइन और मोबाइल लेनदेन में वृद्धि समेत अन्य लेनदेन की मात्रा में बढ़ोतरी की उम्मीद है। भुगतान बैंक अपनी पहुंच और लेनदेन की मात्रा बढ़ाने के लिए अपने साथ ज्यादा से ज्यादा माइक्रो-एटीएम को जोड़कर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार सुधार कर रहा है। हालांकि, भुगतान बैंक की लाभप्रदता न केवल समान डोमेन में काम करने वाले अन्य बाजार के खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा के लिए बल्कि उत्पाद मिश्रण में बदलाव के लिए भी उन्मुख रहती है। अप्रत्यक्ष लागत के समान स्तर के साथ कम-उपज वाले उत्पादों के शेयर में वृद्धि भुगतान बैंक की लाभप्रदता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इसके अलावा, भुगतान बैंक भी परिचालन जोखिमों से ग्रस्त है, जिसमें उच्च नकदी प्रबंधन गतिविधियों और बाहरी व्यापारी/एजेंट संचालित व्यापार मॉडल को देखते हुए नकदी कुप्रबंधन और धोखाधड़ी शामिल है।
सचिन सचदेवा ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि भुगतान बैंक अपने लाभ-अलाभ स्थिति (ऐसी स्थिति, जहां किसी को लाभ न हो तो कम से कम नुकसान भी न हो) पर पहुंच चुका है। हालांकि, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ मार्जिन पर दबाव बना रहता है। आईसीआरए उम्मीद करता है कि आने वाले समय में भुगतान बैंकों को होने वाले फायदे में बढ़ोतरी के लिए लेन-देन की मात्रा में अच्छी वृद्धि होगी।