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- महज इंस्टीट्यूट नहीं है 'जेजे स्कूल ऑफ आर्ट', नए शोधों की प्रयोगशाला है यह: धर्मेंद्र प्रधान
शिक्षा और कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 166 साल पुराने सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट का दौरा किया। इस मौके पर उन्होंन सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट को डीम्ड यूनिवर्सिटी घोषित किया। साथ ही, वहां नई यूनिवर्सिटी की आधारशिला भी रखी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा कि जेजे स्कूल महज एक इंस्टीट्यूट नहीं है, बल्कि यह नए शोध करने की प्रयोगशाला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एनईपी 2020 को यहां लागू किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से उन्होंने अनुरोध किया है कि वे नए टेक्स्टबुक्स के लिए इलस्ट्रेशंस तैयार करें और विश्वकर्मा योजना को ध्यान में रखते हुए नए पाठ्यक्रम विकसित करें, ताकि जो लोग इस योजना के तहत प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, उन्हें इससे संबंधित शिक्षा व ज्ञान उपलब्ध किया जा सके।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान कहते हैं कि सदियों से भारतीय शैली में पारंपरिक सामाजिक उत्तरदायित्व मौजूद है और जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। भारत में मुंबई को स्मार्ट, ऑर्गनाइज्ड अप्रोच, संस्कृति और मुंबई पैटर्न के लिए जाना जाता है और जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स इसे और आगे लेकर जा रहा है।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि बीते 150 वर्षों से जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स ने आर्ट, अप्लाईड आर्ट और आर्किटेक्चर के क्षेत्र में जबरदस्त कौशल क्षमता और मानवीय संसाधनों को तैयार किया है। इस स्कूल ने मुंबई के आइकॉनिक स्ट्रक्चर को तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने भरोसा जताया कि जल्दी ही संस्थान समाज को अपने नए कार्यों से रूबरू कराएगा। शिक्षण और शोध के क्षेत्र में यूनीक और नया करने के लिए डि नोवो कैटेगरी के अंतर्गत संस्थानों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर केंद्र की ओर से सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, आर्किटेक्चर एंड डिजाइन को महाराष्ट्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी और सहायतार्थ संस्थानों में से एक डि नोवो टैग से सम्मानित किया गया।
इस मौके पर महाराष्ट्र एसेम्बली के स्पीकर राहुल नारवेकर, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, महाराष्ट्र के हाइयर और टेक्नीकल एजुकेशन मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल समेत महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री और मराठी भाषा के मंत्री दीपक केसरकर भी उपस्थित थे।