यूपी की अर्थव्यवस्था को 80 लाख करोड़ रुपये का आकार देने की मुहिम में जुटी योगी सरकार ने औद्योगिक निवेश को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। इसी के तहत नई एमएसएमई नीति में महिला उद्यमियों को खास तवज्जो दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए पूर्वांचल और बुंदेलखंड में निवेश करने पर स्टांप शुल्क में 100 प्रतिशत, मध्य यूपी और पश्चिमी यूपी में 75 प्रतिशत, गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी। महिला उद्यमियों को यूपी में कहीं भी उद्योग लगाने पर जमीन खरीद पर स्टांप शुल्क नहीं देना होग।
औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए उद्योग, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड प्रोसेसिंग और पर्यटन समेत कई नीतियों में संशोधन किया जा रहा है। इसी के तहत एमएसएमई इकाइयां लगाने वाले उद्यमियों के लिए विशेष राहत देने के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। इस नीति के तहत उद्यमियों को बुंदेलखंड और पूर्वांचल में सूक्ष्म उद्योग लगाने पर 25 प्रतिशत, लघु उद्योग लगाने पर 20 प्रतिशत, मध्यम उद्योग लगाने पर 15 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी मिलेगी। मध्य यूपी और पश्चिमी यूपी में यह सब्सिडी क्रमश: 20 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 10 प्रतिशत होगी। एससी, एसटी और महिला उद्यमियों को 2 प्रतिशत की अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी। उद्यम लगाने वाले सभी उद्यमियों के लिए इस सहायता की अधिकतम सीमा पांच करोड़ रुपये होगी।
योगी सरकार उद्योग लगाने के लिए कर्ज लेने पर उद्यमियों को ब्याज पर पांच साल तक ब्याज उपादान भी देगी। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में सूक्ष्म उद्योग के लिए यह ब्याज उपादान छह प्रतिशत, लघु और मध्यम उद्योग के लिए पांच-पांच प्रतिशत होगा। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में करीब एक करोड़ लोगों को 2.50 लाख करोड़ रुपये का ऋण मिला। नतीजतन इस सेक्टर में लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिला।
योगी आदित्यनाथ प्रदेश में नए उद्योगों के साथ पुराने औद्योगिक क्षेत्रों का भी कायाकल्प कर रहे हैं। इसके लिए सरकार की ओर से 600 करोड़ खर्च कर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। इसके माध्यम से सरकार का ध्यान ज्यादा से ज्यादा रोजगार और स्वरोजगार के सृजन पर है।
एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने और निवेश बढ़ाने के लिए जल्द ही एमएसएमई की नई नीति भी आने वाली है। सरकार नए उद्योगों के साथ पुराने और पारंपरिक औद्योगिक क्षेत्रों में सुविधाओं और सेवाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा अधिक से युवाओं को जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्पों पर काम किया जा रहा है।