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- यूं ही नहीं शुरू कर सकते हैं नर्सिंग होम, यहां जानें क्या है संपूर्ण प्रक्रिया?
चिकित्सा जगत के किसी भी व्यवसाय में लाभ की असीमित संभावनाएं हैं। यानी कि आपको केवल यह तय करना है कि आपको कौन सा बिजनेस करना है। इसके बाद उसका मार्केट साइज और मुनाफे की दर यह तय करने के लिए काफी है कि आपको इसका कितना विस्तार करना है। ऐसा ही एक बिजनेस है नर्सिंग होम का, जिसका मार्केट साइज वर्ष 2022 में 17.9 करोड़ था और इसमें सालाना चक्रवृद्धि दर 6.40 प्रतिशत दर्ज की गई है। इसी के साथ वर्ष 2030 के लिए अनुमानित मार्केट साइज 29.5 करोड़ का है। बाजार के इस आंकड़े को देखकर अगर आपने भी मन बना लिया है कि आपको भी नर्सिंग होम शुरू करना है तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। यहां हम आपको नर्सिंग होम शुरू करने की पूरी प्रक्रिया विस्तारपूर्वक बता रहे हैं।
सबसे पहले तो नर्सिंग होम का पंजीकरण है इस नियम के तहत बेहद जरूरी
नर्सिंग होम शुरू करने से पहले नैदानिक स्थापना अधिनियम (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2017 के अनुसार पंजीकरण कराना होता है। यह अधिनियम केंद्र सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था और इसे भारत के राज्यों द्वारा अपनाया जा रहा है। इसे नर्सिंग होम के रूप में संचालित करने के लिए एक परिसर के लिए एक बार पंजीकरण की आवश्यकता होती है। पंजीकरण संबंधित राज्य सरकार के माध्यम से किया जाना आवश्यक है जिसने इस अधिनियम को लागू किया है। पंजीकरण के लिए, नर्सिंग होम को उस श्रेणी के तहत न्यूनतम आवश्यकता पूरी करनी चाहिए, जिसमें वह आता है। प्रत्येक राज्य ने अपने क्षेत्र में आने वाले नर्सिंग होम के पंजीकरण की प्रक्रिया का वर्णन किया है।
राज्यों में अलग है नर्सिंग होम का पंजीकरण
प्रत्येक राज्य का अपना नर्सिंग होम पंजीकरण अधिनियम है। अधिनियम भवन, कर्मचारियों, उपकरणों और नर्सिंग होम द्वारा पूरा किए जाने वाले कुछ दिशानिर्देशों के लिए न्यूनतम आवश्यकता प्रदान करता है। इसके अलावा नर्सिंग होम शुरू करने के लिए कुछ जरूरी लाइसेंस होते हैं, जिनका होना भी बेहद जरूरी है, जो निम्नवत् हैं:
भूमि और निर्माण
नर्सिंग होम केवल उस गैर-कृषि भूमि पर स्थापित किया जा सकता है जिसका उपयोग किया जा सकता है। किसी भी नर्सिंग होम को शुरू करने से पहले कई अनुमोदन, साथ ही स्थानीय प्राधिकरण और सरकार से आवश्यक अनुमतियां प्राप्त की जानी जरूरी होती हैं।
बिजली और पानी
एक नर्सिंग होम को प्रतिदिन प्रति बिस्तर लगभग 100 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन यह अलग-अलग नर्सिंग होम में अलग-अलग होता है। पानी के साथ-साथ बिजली की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संबंधित नगरपालिका प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।
सीवेज
कचरे के निपटान के साथ-साथ जल निकासी व्यवस्था जिसमें टैंक, पाइपलाइन आदि शामिल हैं, के लिए सुनियोजित स्वच्छता उपाय और स्थानीय अधिकारियों से अनुमति प्राप्त की जानी चाहिए।
बायोमेडिकल अपशिष्ट
नर्सिंग होम में जैव-निपटान अपशिष्ट, उदाहरण के लिए, शरीर के अंगों या ऊतकों के निपटान के लिए एक भस्मक होना चाहिए। यदि नर्सिंग होम इतनी लागत वहन करने में सक्षम नहीं है तो इस तरह के कचरे को हटाने के लिए नगर निगम से अनुमति लेनी होती है। साथ ही यह पड़ोसी स्थान पर रहने वाले व्यक्तियों को इससे कोई हानि न पहुंचे, इसका भी ध्यान रखना होता है।
अग्नि एवं स्वास्थ्य लाइसेंस
नर्सिंग होम के लिए अग्निशमन विभाग की मंजूरी के साथ-साथ नर्सिंग होम के भीतर सभी बिस्तरों और उपकरणों की स्थापना के बाद स्थानीय प्राधिकरण से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। नर्सिंग होम के लिए अग्निशमन विभाग से एनओसी की भी आवश्यकता होगी और यह साबित करना भी नर्सिंग होम प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी कि वहां किसी भी तरह की क्षति या जीवन की हानि नहीं होगी।
कर्मचारियों के लिए भी रोजगार संबंधित नियमों की भी नहीं करनी है अनदेखी
फर्रुखाबाद में नर्सिंग होम का संचालन कर रहे डॉ. नायब हुसैन ने बताया कि नर्सिंग होम शुरू करते समय कर्मचारियों की भी नियुक्ति की जाती है तो ऐसे में कर्मचारियों संबंधी रोजगार संबंधित नियमावली को जरूर जान लें। इनकी अवहेलना पर कानूनी दंड प्रक्रिया में भी पड़ सकते हैं। इन नियमों में सबसे पहले तो उचित प्रमाण पत्र के बाद ही कर्मचारियों (डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट) का रोजगार दिया जाना प्रमुख है। इसके बाद कार्यस्थल पर महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न की रोकथाम संबंधी नियमों का बनाया जाना, कार्यबल की सुरक्षा के लिए नियोक्ता की जिम्मेदारी, कर्मचारियों के रोजगार को नियंत्रित करने वाले नियम के अलावा व्यावसायिक स्वास्थ्य खतरों से कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए टीकाकरण व अन्य जरूरी उपाय महत्वपूर्ण नियम हैं।
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इन नियमों को भी जरूर जान लें
नर्सिंग होम के लिए कुछ अन्य जरूरी नियमों में साइन बोर्ड प्रमुख है। इसके आकार, सामग्री के साथ-साथ साइन बोर्ड के लिए सही स्थान के नियम (आईएमसी विनियम 2002) का पालन करना कतई न भूलें। इसके अलावा कुछ ऐसी जानकारियां हैं, जिन्हें नर्सिंग होम में प्रदर्शित किया जाना जरूरी होता है। इसमें नगर निगम अधिकारियों के साथ नर्सिंग होम के पंजीकरण का प्रमाण पत्र, आईएमसीएसएमसी पंजीकरण प्रमाणपत्र (आईएमसी विनियम, 2002,) परामर्श के साथ-साथ अन्य प्रक्रियाओं व सेवाओं के लिए शुल्क (आईएमसी विनियम 2002) क्लनिक का समय यानी कि कब से कब तक खुलेगा और अवकाश किस दिन रहेगा? इसकी जानकारी देना भी अत्यंत जरूरी है।
अब जान लें नर्सिंग होम के रसोई संचालन के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस की आवश्यकता क्यों?
यह भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के अंतर्गत आता है। अगर नर्सिंग होम मरीजों के साथ-साथ उनके परिचारकों के लिए घर में रसोई चलाता है, तो लाइसेंस आवश्यक है। इसमें एलपीजी सिलेंडर को स्टोर करने की अनुमति लेनी जरूरी है। इसके अलावा यदि नर्सिंग होम की रसोई या किसी अन्य उद्देश्य के लिए बड़ी मात्रा में एलपीजी सिलेंडर का भंडारण कर रहे है, तो इसके लिए पेट्रोलियम अधिनियम, 1934 के तहत विस्फोटक नियंत्रक से परमिट लेनी जरूरी है।
नर्सिंग होम में संचालित मेडिकल स्टोर के लिए जरूरी है ये फार्मेसी पंजीकरण लाइसेंस
यह औषधि नियंत्रक कार्यालय के अंतर्गत आता है। नर्सिंग होम (आईपी) और स्टैंडअलोन मेडिकल दुकानों से जुड़ी मेडिकल दुकानों के लिए अलग-अलग लाइसेंस हैं। पंजीकरण के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं हैं जैसे दुकान का न्यूनतम आकार (250 - 300 फीट) और साथ ही एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर की आवश्यकताएं। यह लाइसेंस 5 वर्ष की अवधि के लिए वैध होते हैं।
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इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी ध्यान देना है अत्यंत जरूरी
भारतीय ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 एक अनिवार्य गतिविधि नहीं है और यह केवल तभी आवश्यक है जब नर्सिंग होम अपने लोगो या नाम को ट्रेडमार्क करना चाहता है।
एंबुलेंस के लिए वाहन पंजीकरण
नर्सिंग होम द्वारा खरीदी गई एम्बुलेंस आरटीओ, परिवहन विभाग और राज्य सरकार के तहत पंजीकृत होनी चाहिए।
शस्त्र अधिनियम 1959 के अंतर्गत शस्त्र लाइसेंस
यदि किसी नर्सिंग होम या उसके कर्मचारियों (उदाहरण के लिए सुरक्षा गार्ड) के पास हथियार हैं, तो उसके लिए लाइसेंस उपलब्ध होना चाहिए।
अपशिष्ट निपटान
नर्सिंग होम में प्रदूषण से बचने के लिए बायोमेडिकल कचरे के उचित निपटान के लिए प्रावधान किए जाने की आवश्यकता होती है। इसके लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड से अनिवार्य अनुमति प्राप्त की जानी चाहिए और बोर्ड के माध्यम से निर्देशित बायोमेडिकल कचरे के पर्यावरण-अनुकूल निष्कासन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
अब है बात नर्सिंग होम इंफ्रास्ट्रक्चर की
सभी जरूरी लाइसेंस और अन्य प्रक्रियाओं को जानने के बाद यहां जान लें नर्सिंग होम का इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा होना चाहिए? तो सबसे पहले नियुक्त किये जाने वाले डॉक्टरों की योग्यताएं और साथ ही उनका रजिस्ट्रेशन नंबर, नर्सों के लिए काम के घंटे और साथ ही उनकी शिफ्ट का समय, चिकित्सा उपकरणों का उचित रखरखाव, कंप्यूटर के साथ-साथ अन्य हार्डवेयर डिवाइस सेटअप रखरखाव, पाइपलाइन, मेडिकल गैस पाइपलाइन, एयर कंडीशनिंग, आदि सेट के लिए इंजीनियरों के साथ-साथ कर्मचारियों की आवश्यकता होगी।
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नर्सिंग होम शुरू करने के लिए इन जरूरी लाइसेंस को भी जान लें
नर्सिंग होम शुरू करने के लिए नगर पालिका से प्राप्त (बिल्डिंग परमिट से संबंधित लाइसेंस और नियम, )मुख्य अग्निशमन अधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाना जरूरी है। इसके अलावा बायो-मेडिकल प्रबंधन और हैंडलिंग नियम 1998 के तहत लाइसेंस, जिसमें आपको यह देखना होगा कि बाहरी एजेंसी जिसके साथ नर्सिंग होम के सभी बायोमेडिकल कचरे के निपटान के लिए अनुबंध कर रहे हैं वह मान्यता प्राप्त है या नहीं। इसके अलावा उस एजेंसी के लाइसेंस की एक प्रति नर्सिंग होम के पास भी उपलब्ध होनी चाहिए। यह भी देख लें कि एजेंसी के पास प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र भी हो। इसके अलावा एक्स-रे के साथ-साथ स्कैनर के संबंध में विकिरण सुरक्षा प्रमाणपत्र, स्पिरिट भंडारण के लिए उत्पाद शुल्क परमिट, लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम के तहत लिफ्ट संचालित करने का लाइसेंस। (यदि लागू हो), स्वापक और मनरूप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985,वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र (सभी नर्सिंग होम वाहनों के लिए।), परमाणु ऊर्जा नियामक निकाय की मंजूरी (रेडियोलॉजी विभाग की संरचनात्मक सुविधा, टीएलडी बैज आदि के लिए), बॉयलर अधिनियम, 1923 (यदि लागू हो), गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971,ब्लड बैंक के लिए लाइसेंस (ब्लड बैंक में प्रदर्शित किया जाएगा),मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 (यदि लागू हो), पीएनडीटी अधिनियम, 1996 (पीएनडीटी का मतलब प्रसव पूर्व निदान परीक्षण है।) रेडियोलॉजी विभाग में प्रदर्शित किया जाए कि इसका पालन किया जाता है।) दंत चिकित्सक विनियम, 1976, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940, विद्युत अधिनियम 1998, ईएसआई अधिनियम, 1948 (अनुबंध कर्मचारियों के लिए), पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, घातक दुर्घटना अधिनियम 1855, संरक्षक और वार्ड अधिनियम, 1890, भारतीय पागलपन अधिनियम, 1912 (केवल तभी लागू होता है जब नर्सिंग होम में मनोचिकित्सा विभाग हो।) इन लाइसेंस के अलावा भारतीय नर्सिंग काउंसिल अधिनियम 1947 (जिसमें प्रावधान किया गया है कि नर्सें एनसीआई के साथ पंजीकृत हैं या नहीं)। इसके अलावा, आपको यह भी जांचना होगा कि फार्मासिस्ट फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ पंजीकृत है या नहीं। साथ ही कीटनाशक अधिनियम 1968, कुष्ठ रोग अधिनियम मातृत्व लाभ अधिनियम 1961, भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम और चिकित्सा आचार संहिता 1956, अनुबंधित कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, राष्ट्रीय भवन संहिता विकलांग व्यक्ति अधिनियम 1995, फार्मेसी अधिनियम 1948, मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993, जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969, एससी और एसटी अधिनियम 1989, शहरी भूमि अधिनियम 1976, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के लिए पंजीकरण (यदि नर्सिंग होम मानव अंग प्रत्यारोपण या अंग कटाई से अलग होता है, तो इसे इस अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाएगा।) मनोरोग सेवाओं के प्रावधान के लिए लाइसेंस (यदि नर्सिंग होम एक निश्चित प्रकार की सेवाएं जैसे नशा मुक्ति, मानसिक विकारों का उपचार, बाल व किशोर मनोरोग क्लिनिक आदि प्रदान कर रहा है, तो उन्हें अपनी राज्य सरकार के साथ पंजीकृत होना होगा।) इन सबके अलावा स्पिरिट भंडारण के लिए उत्पाद शुल्क परमिट (एक निश्चित मात्रा से अधिक स्पिरिट भंडारण करने के लिए, नर्सिंग होम को राज्य उत्पाद शुल्क विभाग से परमिट प्राप्त करना होगा।)
निष्कर्ष
चिकित्सा जगत में नर्सिंग होम का व्यवसाय शुरू करना इतना भी मुश्किल नहीं है, अगर आप नियमों का अनुपालन करते हुए इसकी शुरुआत करते हैं तो इसमें मुनाफा ही मुनाफा है। हां लेकिन ध्यान रखें कि नर्सिंग होम्स के लिए जारी की गई नियमावली का कड़ाई से पालन करना होता है। साथ ही हर राज्य की नीति अलग-अलग होती है तो इसके लिए जरूरी है कि किसी अन्य राज्य में अगर विस्तार करना है तो वहां के नियमों को भी जरूर जान लें।