प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 फरवरी को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रीय आदि महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। इस महोत्सव का उद्देश्य जनजातीय मास्टर शिल्प और महिलाओं को बाजार तक पहुंच प्रदान करना है।
यह महोत्सव 27 फरवरी तक चलेगा। इसमें आदिवासी शिल्प, संस्कृति, व्यंजन और व्यापार से रूबरू होने का मौका मिलेगा। इसमें 13 राज्यों के आदिवासी पारंपरिक व्यंजन को बनाएंगे, जिसमें लोग रागी हलवा, कोदो की खीर, सूप समेत अन्य व्यंजन का लुत्फ उठा सकेंगे।
जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोमवार को बताया कि प्रधानमंत्री को उन उत्पादों के बारे में जानकारी दी जाएगी जो विभिन्न स्टॉल पर प्रदर्शित होंगे। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में जनजातीय समुदायों की पूर्ण भागीदारी और सम्मिलन सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा आदि महोत्सव जनजातीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाने का एक प्रमुख प्लेटफार्म है। ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ट्राइफेड) जनजातीय उत्पादों में गुणवत्ता और समकालीन डिजाइन सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनकी मौलिकता को बनाए रखने के लिए शीर्ष डिजाइनरों के साथ काम कर रहा है। उल्लेखनीय है कि ट्राइफेड जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक राष्ट्रीय स्तर की शीर्ष संस्था है
इस उत्सव में जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा, चित्रकारी, आभूषण, बेंत और बांस, मिट्टी के बर्तन, भोजन और प्राकृतिक उत्पाद, उपहार और वर्गीकरण, जनजातीय व्यंजन और 200 स्टॉल के माध्यम से लगाए गए उत्पादों को बेचने की भी सुविधा होगी।
वन धन उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शन के लिए एक विशेष मंडप लगाने का भी प्रस्ताव है। इस महोत्सव में 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 39 वन धन विकास केंद्रों के भाग लेने की आशा है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के माध्यम से जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र-एनसीज़ेडसीसी के माध्यम से दिन में दो बार उनकी कहानियों का वर्णन किया जाएगा।
जनजातीय उद्यमियों और जनजातीय स्टार्टअप सहित अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रदान की जा रही विभिन्न योजनाओं और वित्तीय सहायता पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसटीएफडीसी) द्वारा सूचना का प्रसार किया जाएगा।
इस कार्यक्रम को जनजातीय सांस्कृतिक प्रदर्शनों द्वारा देश के लगभग 20 राज्यों से आदिवासी रीति-रिवाजों, फसल, त्योहारों, मार्शल आर्ट रूपों आदि पर आधारित लगभग 500 जनजातीय कलाकार दर्शाएंगे।
प्रमुख शहरों में आदि महोत्सव आयोजित करने की अवधारणा बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करके और बड़े बाजारों तक सीधी पहुंच प्रदान करके जनजातीय कारीगरों के लिए वरदान सिद्ध हुई है।