केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में इकोनॉमिक सर्वे 2022-23 पेश किया। सर्वे के मुताबिक उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2022 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलों में नामांकित हुए और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 2022 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों जिसे कहा जाता है चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 2021 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात् प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।
शिक्षा विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र—शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 2022 में सुधार दिखा।
वित्त वर्ष 2023 के दौरान स्कूली शिक्षा के लिए शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रम और योजनाएं के बारे में बताया गया जैसे की
1.प्रधानमंत्री-स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री): सरकार ने सात सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री-स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (उभरते भारत के लिए विद्यालय) नामक एक योजना शुरू की। इस योजना के अंतर्गत, केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/केन्द्र शासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2027 तक 14,500 से ज्यादा पीएम श्री स्कूल स्थापित करने का प्रावधान है। यह स्कूल मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर एंव सुविधाओं से सुसज्ज्ति होंगे। इस योजना से 20 लाख से ज्यादा छात्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
2.मूलभूत स्तर की शिक्षा के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ): मूलभूत स्तर की शिक्षा के लिए राष्ट्रिय पाठ्यक्रम ढांचा (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क) को नए 5+3+3+4 करिकुलर स्ट्रक्चर के रूप में लांच किया गया है, जो तीन से आठ वर्ष की उम्र के सभी बच्चों के लिए बचपन की देखभाल और शिक्षा को एकीकृत करता है।
3. बालवाटिका का पायलट प्रोजेक्टः 49 केन्द्रीय विद्यालयों में 3+, 4+, और 5+, आयु वर्ग के छात्रों के लिए संज्ञानात्मक, भावात्मक और साइकोमोटर क्षमताओं को विकसित करने और प्रारंभिक साक्षरता और संख्यात्मकता पर ध्यान देने के साथ प्रोजेक्ट बालवाटिका, यानी ‘तैयारी कक्षा’ अक्टूबर 2022 में शुरू की गई थी।
4. खिलौना आधारित शिक्षा-विज्ञान के लिए पुस्तिका
5. नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क
6. विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल): यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।
7. समग्र शिक्षा योजनाः यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सहयोग से 7-9 जुलाई 2022 को वाराणसी में तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का आयोजन किया गया, जिसमें सार्वजनिक और निजी विश्वविद्लायों के 300 से ज्यादा वाइस चांसलर और एजुकेशन डायरेक्टर, पॉलिसी मेकर, उद्योग प्रतिनिधि भी एक साथ आए, इस विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए कि पिछले दो वर्षों में कई पहलों के सफल कार्यान्वयन के बाद देश भर के एनईपी 2022 के कार्यान्वयन को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है। शिखर सम्मेलन ने चर्चाओं के लिए एक मंच प्रदान किया जिसने रोडमैप और लागू की गई रणनीतियों को स्पष्ट करने, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, अंतःविषय विचार-विमर्श के माध्यम से नेटवर्क बनाने और शैक्षणिंक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियो पर चर्चा करने और समाधानों को स्पष्ट करने में सहायता मिली।