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शिक्षकों की दक्षता बढ़ाने के लिए 300 संस्थानों का होगा विकास : धर्मेंद्र प्रधान

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jul 31, 2023 - 14 min read
शिक्षकों की दक्षता बढ़ाने के लिए 300 संस्थानों का होगा विकास :  धर्मेंद्र प्रधान image
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 'भारत मंडपम' में अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2023 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2023 की तीसरी वर्षगांठ का एक साथ आयोजन किया गया। इसमें लगभग 3000 शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने 16 विषयगत सत्रों में भाग लिया, जहां एनईपी-2020 के नेतृत्व वाले शिक्षा सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं और विचारों को साझा किया गया।

प्रधानमंत्री ने एनईपी 2020 की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2023 का उद्घाटन किया। इस मौके पर, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में ‘उल्लास: नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’के प्रतीक चिन्ह (लोगो), नारा (स्लोगन)-जन जन साक्षर और मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधान ने कहा कि उल्लास मोबाइल एप्लिकेशन बुनियादी साक्षरता को व्यापक रूप से सुलभ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी की क्षमता का उपयोग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उपयोगकर्ता के अनुकूल एवं संवादात्मक विशेषता वाला यह ऐप एंड्रॉइड और आईओएस, दोनों पर उपलब्ध है और एनसीईआरटी के दीक्षा पोर्टल के माध्यम से विविध शिक्षण संसाधनों में संलग्न होने हेतु शिक्षार्थियों के लिए एक डिजिटल गेटवे के रूप में काम करेगा।

उन्होंने कहा कि उल्लास ऐप का उपयोग स्व-पंजीकरण या सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा शिक्षार्थियों एवं स्वयंसेवकों के पंजीकरण के लिए किया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्री ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि उल्लास राष्ट्र निर्माण के कार्य में शामिल होने के लिए कार्यात्मक साक्षरता, व्यावसायिक कौशल और वित्तीय साक्षरता, कानूनी साक्षरता, डिजिटल साक्षरता एवं नागरिकों के सशक्तिकरण जैसे कई महत्वपूर्ण जीवन कौशल को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित करेगा। उन्होंने कहा कि यह देशभर के विभिन्न समुदायों में निरंतर सीखने और ज्ञान साझा करने की संस्कृति को भी बढ़ावा देगा।

उल्लास (अंडरस्टैंडिंग लाइफलॉन्ग लर्निंग फॉर ऑल इन सोसाइटी) पहल बुनियादी साक्षरता एवं महत्वपूर्ण जीवन कौशल के बीच के अंतर को दूर कर और हर व्यक्ति के लिए सुलभ एक सीखने के इकोसिस्टम को बढ़ावा देकर देशभर में शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए तैयार है। यह कार्यक्रम 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन नागरिकों को बुनियादी शिक्षा, डिजिटल एवं वित्तीय साक्षरता तथा महत्वपूर्ण जीवन कौशल से लैस करता है जो स्कूल जाने का अवसर खो चुके हैं। इसे स्वयंसेवी भावना के जरिए क्रियान्वित किया जा रहा है।

नया प्रतीक चिन्ह और नारा, “उल्लास: नव भारत साक्षरता कार्यक्रम”, इस अभियान के उत्साह और जोश को दर्शाता है। यह देश के हर कोने में फैल रहे ज्ञान के प्रकाश, शिक्षा की शक्ति से नागरिकों के सशक्तिकरण और जन-जन साक्षर बनाते हुए प्रत्येक व्यक्ति में जिज्ञासा एवं सीखने की लौ जलाने का प्रतीक है।
यह योजना स्वयंसेवकों को राष्ट्र निर्माण के प्रति ड्यूटी या कर्तव्य बोध के रूप में इस योजना में भाग लेने के लिए प्रेरित करेगी और छात्र स्वयंसेवकों को स्कूल/विश्वविद्यालय में क्रेडिट और प्रमाण पत्र, प्रशंसा पत्र, अभिनंदन आदि जैसे अन्य साधनों से सराहना के माध्यम से प्रोत्साहित करेगी।

‘उल्लास: नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’के बारे में अधिक जानकारी के लिए गूगल प्लेस्टोर या आईओएस ऐप स्टोर से इस मोबाइल एप्लिकेशन को डाउनलोड करें।

अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2023 के अवसर पर 106 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए

शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2023 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर आज विभिन्न प्रतिष्ठित संगठनों व संस्थानों के साथ 106 समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों में नवाचार, अनुसंधान और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक तथा निजी दोनों तरह संस्थाओं के साथ साझेदारी को शामिल किया गया है, जिससे शिक्षा व औद्योगिक-अकादमिक संबंधों में सहयोग के एक नए युग का सूत्रपात होगा।

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार, शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी तथा शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये गए, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में इस विशिष्ट आयोजन के माध्यम से भविष्य के अधिनायकों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कदम उठाने के लिए देश की वर्तमान शिक्षा प्रणाली व उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्तियों की प्रशंसा की।

स्कूली शिक्षा और साक्षरता:

सीबीएसई के तहत, कौशल विकास व शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के लिए विभिन्न संस्थानों तथा क्षेत्र आधारित कौशल प्रदाताओं के साथ 15 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। ये साझेदारियां कौशल मूल्यांकन और क्षमता निर्माण को भी बढ़ावा देंगी। इन समझौता ज्ञापनों पर अटल इनोवेशन मिशन, आईबीएम, इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, अपैरल मेड-अप्स एंड होम फर्निशिंग सेक्टर स्किल काउंसिल, ऑटोमोटिव सेक्टर स्किल काउंसिल, स्पोर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन, फिटनेस एंड लीजर स्किल्स काउंसिल, सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन (सीएससी), एजुकेशनल इनिशिएटिव्स प्राइवेट लिमिटेड, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल, फर्नीचर और फिटिंग सेक्टर स्किल काउंसिल, लाइफ साइंसेज सेक्टर स्किल काउंसिल, टेक्सटाइल सेक्टर स्किल काउंसिल और हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल के साथ सहयोग करने के लक्ष्य के साथ हस्ताक्षर किए गए।

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के लिए 3 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इनका उद्देश्य भारतीय सांकेतिक भाषा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संसाधनों के मानकीकरण व विकास के लिए विशेषज्ञता तथा संसाधनों को साझा करने हेतु भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने में भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी); एनआईओएस में विद्यालय से बाहर के बच्चों (ओओएससी) के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने, नामांकन बढ़ाने और ई-सेवाएं प्रदान करने में सीएससी ई-गवर्नेंस सेवाओं का लाभ उठाने के लिए इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के साथ; तथा गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के साथ अकादमिक उन्नति के उद्देश्य से सहयोग करना है। जेएनवी में विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु आयोजित गतिविधियों में तेजी लाने के लिए नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) और आईबीएम के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।

एनसीईआरटी ने गुणवत्तापूर्ण ई-कंटेंट के विकास और विभिन्न भाषाओं में पीएमईविद्या डीटीएच टीवी चैनलों के माध्यम से तथा विभिन्न हितधारकों के लिए इसके प्रसार के उद्देश्य से कई राज्यों के स्कूली शिक्षा विभागों के साथ ई-विद्या पहल से आगे बढ़ते हुए 20 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।

उच्च शिक्षा:

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 6 समझौता ज्ञापन किए गए। नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के तहत 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए हैं: इसके तहत स्किलडिजायर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, मैथवर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, टाइम्सप्रो, गूगल इंडिया, गेट इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, फ्यूचर माइंड्स, द ओपन ग्रुप, कंसोर्टियम फॉर टेक्निकल एजुकेशन (सीटीई), महालर्निंग टैब इंडिया, दुर्जेय सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, फ्लॉन्च इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल, एनआईईएलआईटी और इंस्ट्रुमेंटेशन ऑटोमेशन सर्विलांस एंड कम्युनिकेशन सेक्टर स्किल काउंसिल सहयोग करेंगे। इसके अलावा, समर्थ डीयू तथा एडसीआईएल के साथ एक समझौता ज्ञापन के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के साथ 2 समर्थ समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की वजह से भी 6 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनमें आईआईटी-मद्रास जांजीबार परिसर समझौता ज्ञापन भी शामिल है। इसके अलावा, उद्योग जगत में कार्यरत डिप्लोमा धारकों/स्नातक इंजीनियरों के प्रशिक्षण व ज्ञान को समृद्ध करने हेतु "फाउंड्री इंडस्ट्री के लिए डिजिटल विनिर्माण एवं स्वचालन" पर उन्नत प्रमाणन और प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की पेशकश के उद्देश्य से आईआईटी तिरूपति तथा आईआईएफसीईटी के बीच समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए; "स्मार्ट विनिर्माण एवं इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी" पर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लक्ष्य के साथ आईआईटी तिरूपति और मेसर्स सीमेंस/विप्रो का सहयोग हुआ; आईआईटी जोधपुर व सीयू/राजस्थान का समझौता; उच्चर शिक्षा में शैक्षणिक सहयोग तथा संसाधनों को साझा करने के लिए आईआईटी रोपड़ और उत्तर भारत के पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सहभागिता होगी; साथ ही समझौते के तहत वीएनआईटी नागपुर एवं टीसीएस ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स साझेदारी करेंगे तथा पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य संबंधित अंतःविषय विषयों के क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान करेंगे; इनके साथ-साथ एनआईटी रायपुर और भारत का सबसे बड़ा स्टील प्लांट भिलाई इस्पात संयंत्र विद्यार्थियों को औद्योगिक प्रशिक्षण और संयुक्त डिग्री कार्यक्रमों से परिचित कराकर उद्यमिता कौशल करेंगे। पीएम-उषा पहल के परिणामस्वरूप विभिन्न राज्यों के साथ 15 समझौता ज्ञापन भी हुए।

डीएचई और बीआईएसएजी-एन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। यूजीसी ने भी 5 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं: इनमें मुंबई विश्वविद्यालय और इलिनोइस विश्वविद्यालय, यूएसए; मुंबई विश्वविद्यालय व सेंट लुइस विश्वविद्यालय, यूएसए; गुरु घासीदास विश्वविद्यालय तथा एल एन गुमिलोव यूरेशियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कजाकिस्तान; लखनऊ विश्वविद्यालय- लिंकन यूनिवर्सिटी कॉलेज कुआलालंपुर, मलेशिया; लखनऊ विश्वविद्यालय एवं यूनिवर्सिडेड फ़ेडरल डो सेरा, ब्राज़ील शामिल हैं।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय:

कुल 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जिनमें एडब्ल्यूएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ईटीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ डीजीटी के समझौता ज्ञापन, टीआईडीईएस के साथ आईआईटी रूड़की के बिजनेस इनक्यूबेटर एनआईईएसबीयूडी का समझौता ज्ञापन, आईआईएमएल के ईआईसी-बिजनेस इनक्यूबेटर व देआसरा फाउंडेशन की सहभागिता; आईआईटी गुवाहाटी के साथ आईआईई का समझौता ज्ञापन; पियर्सन वीयूई, सिस्को, अजिनोरा, इंडो जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडसइंड बैंक, यामाहा ऑटोमोबाइल, ईपॉवरएक्स लर्निंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड तथा ड्रोन डेस्टिनेशन के साथ एनएसडीसी का समझौता ज्ञापन शामिल हैं।

इस तरह के सहयोग भारतीय युवाओं को अत्याधुनिक कौशल व ज्ञान से परिपूर्ण करने, नवाचार को विस्तार देने तथा भारत में अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। शिक्षा मंत्रालय इन साझेदारियों की पूरी क्षमता का दोहन करने और भारत के लिए एक उज्ज्वल व समृद्ध भविष्य को आकार देने के उद्देश्य से सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों की अपेक्षा रखता है।

दो दिनों में लगभग 2 लाख दर्शकों ने प्रदर्शनी का दौरा किया

अखिल भारतीय शिक्षा समागम (एबीएसएस) 2023 का रविवार को समापन हो गया, जिसमें शिक्षा क्षेत्र के दिग्गाजों ने भारत को एक समतापूर्ण और जीवंत ज्ञान समाज में बदलने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का संकल्प लिया। भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्य अतिथि के रूप में समापन समारोह में भाषण दिया। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, डॉ. सुभाष सरकार और डॉ. राजकुमार रंजन सिंह भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति, शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार तथा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी भी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में शिक्षा मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम स्कूल फॉर राइज़िंग इंडिया (एसएचआरआई) योजना के अंतर्गत धनराशि की पहली किस्त भी जारी की। 6207 स्कूलों को पहली किस्त मिली, जिसकी कुल धनराशि 630 करोड़ रुपये थी। उन्होंने 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा परिवार भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने शिक्षा जगत से शिक्षा के इस महाकुंभ को अखिल भारतीय संस्थान में बदलने का आग्रह किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के लिए प्राथमिक प्रयोगशाला के रूप में पीएम स्कूल फॉर राइज़िंग इंडिया (एसएचआरआई) योजना के स्कूल पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों से स्कूल इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए ठोस प्रयास करने को भी कहा।

प्रधान ने कहा कि भविष्य के लिए तैयार होने के लिए, किसी को भारतीय भाषाओं में कौशल के बारे में सोचना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ) दिशा-निर्देशों को पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तित करना हम सभी का दायित्व है। प्रधान ने कहा कि सभी शैक्षणिक एवं कौशल संस्थानों को इस पर रूचि लेकर कार्य करना होगा। उन्होंने युवाओं का क्षमता निर्माण और प्रभावी महाविद्यालय प्रशासन को सक्षम करने की दिशा में निरंतर प्रयास सुनिश्चित करने पर भी बल दिया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने इस बात पर बल दिया कि इस आयोजन ने भारत के सम्मान, समय और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन बताता है कि हमारी शिक्षा प्रणाली अनूठी है जो परंपरा, तर्क और संस्कृति का मिश्रण है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने शिक्षा चुनौतियों को संबोधित करने और आकांक्षाओं को पूरा करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने नीति की पहल को लागू करने में शिक्षा मंत्रालय के समर्पित प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने उत्पादकता और विकास को बढ़ावा देने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के क्रांतिकारी प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए एक मंच भी प्रदान किया।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि पूरी दुनिया भारत को नई संभावनाओं के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर की गई चर्चा निस्संदेह शिक्षा जगत के लिए बहुत लाभदायक होगी। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में स्कूलों में शिक्षा की पद्धति के रूप में मातृभाषा के उपयोग पर बल दिया।

व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीवीईटी) की अध्यक्ष डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) और अप्पार, प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा एवं समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण (पीएआरएकएच), काम का भविष्य, उद्योग संपर्क और रोजगार तथा लॉजिस्टिक सेक्टर (पीएम गति शक्ति) पर केंद्रित सत्रों का सारांश एवं भविष्य की योजना के बारे में जानकारी प्रदान की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने डिजिटल सशक्तिकरण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, समानता एवं समावेशन, फाउंडेशन साक्षरता तथा संख्यात्मकता (एफएलएन) और अंतर्राष्ट्रीयकरण पर सत्रों का सारांश दिया। उनके बाद, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) तथा जिला शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी), नवाचार और उद्यमिता, अनुसंधान और विकास, राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) के माध्यम से शैक्षिक संपर्क पर सत्रों के लिए एक सारांश और भविष्य की योजना प्रस्तुत की।

दो दिवसीय कार्यक्रम में स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल शिक्षा के विभिन्न विषयों पर 16 विषयगत सत्रों में शिक्षाविदों की भागीदारी भी देखी गई। उनका नेतृत्व शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, नियामकों, उद्योग विशेषज्ञों/प्रतिनिधियों, भारत सरकार/राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के अधिकारियों आदि में से प्रतिष्ठित और सम्मानित पैनलिस्ट ने किया था। इसका उद्देश्य विचार-मंथन करना और कार्यान्वयन के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों और पद्धतियों की पहचान करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020; रूपरेखा और कार्यान्वयन रणनीतियों को प्रभावी ढंग से स्पष्ट करना, ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना, चुनौतियों पर चर्चा करना; राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के प्रभावी, सुचारू और समय पर कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों को एक साथ आने और नेटवर्क बनाने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना; और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 के कार्यान्वयन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार-विमर्श करना और साझा करना था।

व्यापक विचार-विमर्श (i.) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच (उच्च शिक्षा), (ii.) अनुसंधान और विकास, (iii.) शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, (iv.) ज्ञान प्रणाली, (v.)गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन (डीओएसईएल), (vi.) एनसीआरएफ और एपीएएआर (शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री), (vii.) न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा: सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों (एसईडीजीएस) के मुद्दे, (viii.) नवाचार और उद्यमिता, (ix.) राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और जिला शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी) के माध्यम से संस्थानों को सशक्त बनाना और शैक्षिक संबंधों को मजबूत करना, (x.) शिक्षा और कार्य के कौशल भविष्य के बीच तालमेल बनाना (एमएसडीई), (xi.) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता को समझना (डीओएसईएल), (xii.) राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ), (xiii.) डिजिटल सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण, (xiv.) पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के माध्यम से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में क्षमता निर्माण, (xv.) कौशल के एकीकरण के माध्यम से समग्र शिक्षा, (xvi.) उद्योग संपर्क और रोजगार, योग्यता आधारित मूल्यांकन का एक रोडमैप: परख (डीओएसईएल) जैसे विषयों पर आधारित था।

इन दो दिनों के दौरान, उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा और कौशल जैसे विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 106 महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी) की दस प्रमुख परियोजनाओं पर निम्नलिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया:
• प्राचीन तमिल कृतियों के निश्चित संस्करण
• प्राचीन तमिल कृतियों का अनुवाद

• तमिल का ऐतिहासिक व्याकरण
• तमिल की प्राचीनता: एक अंतर-अनुशासनात्मक अनुसंधान
• तमिल बोलियों का समकालिक और ऐतिहासिक अध्ययन
• भारत एक भाषाई क्षेत्र के रूप में
• प्राचीन तमिल अध्ययन के लिए डिजिटल पुस्तकालय
• शास्त्रीय तमिल का ऑनलाइन शिक्षण
• शास्त्रीय तमिल कार्यों के लिए कॉर्पस विकास
• शास्त्रीय तमिल पर दृश्य एपिसोड
केंद्रीय शिक्षा मंत्री महोदय ने उल्लास का मोबाइल ऐप, प्रतीक चिन्ह और आदर्श वाक्य भी जारी किया।

समारोह के दौरान स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा की दुनिया और कौशल ईको-सिस्टम की सर्वोत्तम पहलों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी प्रमुख आकर्षण थी। मल्टीमीडिया प्रदर्शनी में शिक्षा और कौशल परिदृश्य, उद्योग और प्रमुख हितधारकों के तहत संस्थानों, संगठनों द्वारा स्थापित 200 स्टॉल शामिल थे। कुछ प्रदर्शकों में शामिल हैं- भारतीय ज्ञान प्रणाली, आइडिया लैब, स्टार्ट-अप, राज्य विश्वविद्यालय आदि। दो दिनों में लगभग 2 लाख दर्शकों ने प्रदर्शनी का दौरा किया। इन दर्शकों में विद्यार्थी, युवा स्वयंसेवक और युवा संगम के प्रतिभागी शामिल थे।

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