शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार के 5 अवसर: डिजिटल शिक्षा बाजार का तेजी से हो रहा विस्तार और 6-17 वर्ष के आयुवर्ग की विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या, इन दो वजहों से परवान चढ़ा भारतीय शिक्षा क्षेत्र 2020 तक दोगुना होकर $ 180 बिलियन तक पहुंचना अनुमानित है। हालांकि ये क्षेत्र अब भी कमजोर आधारभूत सुविधाएं और प्रशिक्षित शिक्षकों के अभाव जैसी समस्याओं से ग्रस्त है।
भारतीय शिक्षा बाजार आज सबसे आशाजनक क्षेत्रों में से एक है और भविष्य में इसमें अवसर और बेहतर होने वाले हैं। प्रौद्योगिकी को अपनाने से इस क्षेत्र में उद्यमी, व्यवसायी और स्टार्टअप्स को इस क्षेत्र में अपने पैर मजबूती से जमाने के लिए अवसरों के महामार्ग खुले कर दिए हैं।
एजुप्रेनुअर्स और व्यवसायियों को लिए भारतीय शिक्षा बाजार में मौजूद अवसरों की सूची यहां दी जा रही है:
टेक्नाविओं के बाजार अनुसन्धान विश्लेषकों ने भविष्य दर्शाया है कि पूर्वसूचना के काल में प्रीस्कूल और या बच्चों की देखभाल का बाजार प्रभावशाली ढंग से विकसित होने वाला है और 2020 तक ये बाजार लगभग 22% का सीएजीआर दर्ज करेगा।
पालकों की बच्चों को लेकर चिंता और सतर्कता ने भारत में प्री-स्कूल और प्ले-स्कूल क्षेत्र में व्यवसाय अवसरों के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं।
विशेषतः कामकाजी पालक, जो अपने बच्चों के साथ पर्याप्त समय बिता नहीं पाते, डे-केयर और प्ले-स्कूल्स का विकल्प चुन रहे हैं।
वैश्विक उद्योग विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक ट्यूटरिंग बाजार 2018 तक $ 102.8 बिलियन का आंकड़ा पार कर लेगा ऐसा अनुमान है। भारत में वर्तमान प्रतिपालन उद्योग ने पिछले 5-6 वर्षों में लगभग 35% की रिकॉर्ड बढ़त दिखाई है।
शिक्षा क्षेत्र में प्रतियोगिता ने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने की अवस्था को पार कर लिया है। बच्चों और उनके पालकों की निरंतर बढ़ती उत्कंठा ने निजी ट्यूटोरिअल्स को अपने व्यवसाय को फ़ैलाने के लिए जगह कर दी है।
टेक्नोविओ के विश्लेषकों की पूर्वसूचना है कि वैश्विक ई-बुक बाजार 2014-2019 की अवधि में 17.40% सीएजार से वृद्धिंगत होने वाला है। प्रौद्योगिकी ने व्यवसायों के सारे कोनों-कतारों में अपनी जड़ें फैला दी हैं, जिससे आज शिक्षा के पुराने तौर-तरीकों और तकनीकों के लिए कोई जगह नहीं बची है।
ई-बुक ने ई-लाइब्रेरी और ई-बुक क्लब्स के मालिकों के लिए नए अवसरों के दरवाजे खुले कर दिए हैं, क्योंकि ज्ञान की कोई सीमाएं नहीं होती हैं और हर किसी के दिल में इस विश्व में बसी हर चीज के बारे में जान लेने की जिज्ञासा है।
भारत और जर्मनी ने व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास के सम्बन्ध में यूएस $ 3.37 मिलियन बजट के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके द्वारा भारत के औद्योगिक क्लस्टर्स में कार्यस्थल-आधारित सहकारी व्यावसायिक प्रशिक्षण शुरू करने और सुधारने में मदद होगी।
भारत सरकार ने स्किल इंडिया मिशन को बढ़ावा देने के लिए कौशल-प्रदान, रोजगार विकास और लाखों युवाओं को आजीविका देने हेतु रु.17,000 करोड़ (यूएस $ 2.55 बिलियन) आवंटित किए हैं।
भावी पीढ़ी को आजीविका अवसरों के लिए तैयार करना, ये एक और क्षेत्र है, जहां एजुप्रेनुअर्स बहुत अच्छा व्यवसाय कर सकते हैं।
ये क्षेत्र बिलकुल ही नया है और ज्यादा लोगों ने इस मौके को आजमाकर देखा नहीं है। होनहार एजुप्रेनुअर्स और व्यवसायियों के लिए, ये एक क्रान्ति है, क्योंकि शिक्षा केवल कक्षाओं में सीखने तक सीमित नहीं है और शैक्षिक यात्रा उद्योग की असीम जमीन फैली पडी है।
एजुप्रेनुअर्स के लिए ये कसकर तैयार होने और भारत के शैक्षिक क्षेत्र में अवसरों के विश्व को खोज कर नए-नए आविष्कार करने का समय है।