देश का एजुकेशन टेक्नोलॉजी(एडटेक) सेक्टर तेजी से विकास कर रहा है। कई एडटेक कंपनियां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सर्टिफिकेट कोर्स उपल्बध करा रही हैं। कोरोना की महामारी के बाद स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाओं को बंद कर दिया गया और उसके बाद एडटेक कंपनियां उबर कर आई और उन्होंने बड़े पैमाने पर छात्रों को आकर्षित किया। ऑपर्च्युनिटी इंडिया के सहयोग से आंत्रप्रेन्योर इंडिया ने एजुकेशन इनोवेशन एंड इन्वेस्टमेंट समिट में ‘इज द फ्यूचर ऑफ एडटेक कोलैबोरेटिव’ विषय पर चर्चा की।
इस सम्मेलन में ग्रेट लर्निंग के को-फाउंडर हरि कृष्ण नायर, लीड के हेड ऑफ प्रोडक्ट अजय कश्यप, हीरो वायर्ड के फाउंडर और सीईओ अक्षय मुंजाल, सिंप्लीलर्न के सीपीओ आनंद नारायणन, लिक्विड के फाउंडर और सीईओ विवेक अग्रवाल, टीचमिंट के वाइस प्रेसिडेंट आदित्य अग्रवाल, टीमलीज एडटेक के फाउंडर और सीईओ शांतनु रूज मौजूद रहे।
टीमलीज एडटेक के फाउंडर और सीईओ शांतनु रूज ने बताया एडटेक सबके लिए चर्चा का विषय है कोरोना के समय शिक्षा के क्षेत्र में कुछ खोया भी और पाया भी। उस दौरान एडटेक उभरकर सामने आया जो नया है सबके लिए उन्होने ग्रेट लर्निंग के को-फाउंडर हरि कृष्ण नायर से पूछा कि समस्या कहां आ रही है बड़े वादे किया जा रहे है, गलत अपेक्षाएं की जा रही है या एडटेक वास्तव में सीखने वाले को निराश कर रहा है उनके जवाब में हरी ने कहा व्यवसाय ठोस नींव पर बना है और बहुत सारे लीडर्स बाजार में उतर रहे है।
लिक्विड के फाउंडर और सीईओ विवेक अग्रवाल ने एक प्रश्न ‘पूछा एडटेक कैसे ट्रेडिशनल इंस्टीट्यूट को संतुलन, लागत गुणवत्ता और कौशल में मदद कर सकता है‘ के उत्तर में बताया टेक्नोलॉजी की भूमिका बहुत बड़ी है जो एक टेक्नोलॉजी कर सकती है, वो एक नियमित शिक्षण नहीं कर सकता है। कई लोग सोचते है की टेक्नोलॉजी शिक्षक की जगह ले सकती है, पर मेरा मानना है कि ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि शिक्षक की एक बहुत बड़ी भूमिका होती है, जो ज्ञान उन्हें अनुभव से मिलता है वह आगे चलकर उसे दूसरो के साथ साझा करते है और सीखने का अनुभव कभी दूर नहीं जा सकता है वह हमेशा रहता है। समय के साथ आपको हर चीज सिखनी पड़ती है। कई जगहों पर टेक्नोलॉजी बहुत बढ़िया काम कर सकती है अगर आपको किसी से बात करनी है किसी भी तथ्य के बारे में तो वन ऑन वन कम्युनिकेशन कर सकते है, ऑनलाइन के माध्यम से। अगर आपको कोई सोशल लर्निंग (अन्य लोगों के व्यवहारों के अवलोकन के माध्यम से सीखना) करनी है तो वह आप ऑनलाइन नहीं कर सकते।
दूसरा उन्होंने स्कूल कॉलेज का उदाहरण देते हुए बताया कि एक स्कूल कई भाषा सिखा रहा है और उस स्कूल में कुछ शिक्षक जो कुछ छात्रों को अलग- अलग तरह की भाषा सिखाते है जैसे जर्मन, फ्रेंच अन्य, तो उनके लिए ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाना बहुत अच्छा होगा। जो ऑनलाइन लर्निंग कर सकती है वो ऑफलाइन लर्निंग नही कर सकती सबके पहलू एक तरह से अलग है। आप ऑनलाइन के माध्यम से वीडियो बनाकर डाल सकते है, आप किसी भी विषय पर पढ सकते है, लेकिन जो कक्षा में जा कर पढ़ना और शिक्षक के अनुभव से ज्ञान को प्राप्त करना और प्रैक्टिकल चीजों को सिखना, यह सब आप एक इंस्टीट्यूट के माध्यम से जाकर कर सकते है।
हीरो वायर्ड के फाउंडर और सीईओ अक्षय मुंजाल ने कहा मुझे लगता है कि उच्च शिक्षा की भूमिका ज्ञान पैदा करने की होगी और एडटेक की भूमिका ज्ञान का प्रसार करने की होगी। एमआईटी- हार्वर्ड दोनों ने मिलकर एडक्स (ऑनलाइन कोर्स प्रोवाइडर) बनाया और उसे 800 मिलियन डॉलर (80 करोड़ डॉलर) में बेचा, इसलिए उच्च शिक्षा भी एजुकेशन टेक्नोलॉजी की क्षमता से अवगत है कि वे क्या कर सकती है। मुझे लगता है कि ज्यादातर कंपनी चाहे एडटेक प्लेटफॉर्म हो या उच्च शिक्षा उनके पास अपने खुद के टेस्टिंग मैकेनिज्म होते हैं। प्रत्येक कंपनी का अपना असेसमेंट होता है और वे असेसमेंट के लिए टेक्नोलॉजी उपकरण का उपयोग करती हैं।