पिछले कुछ वर्षों के दौरान शिक्षा के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। खासतौर पर कोरोना के दौरान इसमें ऑनलाइन शिक्षा का नया आयाम भी जुड़ गया, जिसने दूरस्थ क्षेत्रों में उच्च शिक्षा की पहुच को बेहद आसान बना दिया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बदलावों और युवाओं को रोजगार केंद्रित शिक्षा देने के समेत प्रमुख मुद्दों पर ऑपर्च्युनिटी इंडिया के सहयोग से आंत्रप्रेन्योर इंडिया द्वारा हाल ही में आयोजित एजुकेशन इनोवेशन एंड इन्वेस्टमेंट समिट में इस सेक्टर के दिग्गजों ने विस्तार से चर्चा की। इस चर्चा में अधिकतर विशेषज्ञों का मानना था कि भारत के पास दुनियाभर में शिक्षा के क्षेत्र की सबसे मजबूत विरासत रही है। हालांकि बीते कुछ दशकों के दौरान इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में एक ठहराव सा दिखा था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान देशभर में निजी क्षेत्र ने दर्जनों विश्वविद्यालय खोले हैं जो वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के हिसाब से रोजगारोन्मुख शिक्षा देने के क्षेत्र में बड़ा काम कर रहे हैं।
ऑपर्च्युनिटी इंडिया के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में उच्च शिक्षा के विषय पर चर्चा करने के लिए प्लाक्षा यूनिवर्सिटी की फाउंडिंग कम्युनिटी मेंबर पूजा गोयल, केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ जी.पी.सारदी वर्मा, रमैया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ कुलदीप कुमार रैना और दयानंद सागर यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर डॉ के.एन.बी मूर्ति मौजूद रहे। एजुकेशन इनोवशन एंड इंवेस्टमेंट समिट, 2023 नामक इस सम्मेलन का आयोजन इसी महीने की शुरुअआत में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में किया गया था।
प्लाक्षा यूनिवर्सिटी की फाउंडिंग कम्युनिटी मेंबर पूजा गोयल ने हायर एजुकेशन पर बताया कि जब हम हायर एजुकेशन की बात करते है, तो पिछले 50 वर्ष पहले देश के उच्च शिक्षा संस्थानों की बहुत बड़ी भूमिका रही है एक अच्छी शिक्षा देने में। उन्होंने विदेशों की शिक्षा के बारे में बताते हुए कहा अगर हम यूएस में देखे तो भारतीय आय वर्ग सबसे ज्यादा है। वे लोग जो शिक्षा संस्थान में शिक्षित थे जो स्वतंत्रता के ठीक बाद स्थापित हुए थे, वह संस्थान आज भी सक्रिय रूप से चल रहे है और समय के अनुसार बदलाव भी ला रहे है ताकि बच्चों का भविष्य उज्जवल बन सके। मुझे लगता है एनआईआईटी, आईआईटी जैसी संस्थान पहले से ही बड़ी भूमिका निभा रहे है।
आप भी जानते होंगे बहुत पहले सरकारी संस्थान बच्चों की पढ़ाई के लिए सब्सिडी देते थे और मै बहुत ही निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से थी जहां पर कोई कॉलेज ही नही गया और मेरे परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वह एक अच्छे कॉलेज में दाखिला दिला सके, लेकिन मैंने उस सब्सिडी का लाभ उठाया है। सफल उद्यमी वही होते हैं जो एक साथ आकर समस्या का समाधान निकालते है। उद्यमी पेशेवरों की अगली पीढ़ी मौलिक है जो शिक्षा पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
रमैया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ कुलदीप कुमार रैना ने उच्च शिक्षा में आए बदलाव पर बताया की रमैया बेंगलुरु में छह दशक पहले शुरू हुआ था। बहुत अद्भुत अनुभव रहा जो हमारे द्वारा पढ़ाया गया। पूजा गोयल की बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा संस्थानों की स्थापना हुई, मेरा मानना है, कि उस समय लोगों को प्रशिक्षित करना बहुत जरूरी था। शिक्षा प्रणाली में पीढ़ी दर पीढ़ी जो बदलाव हुए है मैने वो बदलाव देखा है और मै उस बदलाव के साथ आगे आया हूं। भारतीय शिक्षा प्रणाली की जड़ें बहुत मजबूत हैं। मैं कहता हूं कि नई शिक्षा नीति से बड़ी उम्मीद निकल रही है,जो छात्रों को एक अच्छा कौशल प्रदान कर सकती है, चाहे वह रिसर्च हो या शिक्षा। मुझे लगता है कि इसका निचोड़ यह है की हम नए इकोसिस्टम से किस तरह से सीख रहे हैं।
दयानंद सागर यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर डॉ केएनबी मूर्ति ने कहा मेरे अनुसार विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय ऐसे विश्वविद्यालय के रूप में परिभाषित हुए है जो दुनिया में सबसे टॉप पर है। शिक्षा के कुछ बुनियादी स्तंभ है पहला हाई क्वालिफाइड फैकल्टी दूसरा छात्रों का सफल होना, तीसरा उत्कृष्टता अनुसंधान, चौथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, पांचवा फंड का उच्च स्तर, छठा सुसज्जित प्रयोगशाला।
केएल डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी डॉ जी.पी.सारदी वर्मा ने कहा हम दक्षिण भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक हैं। संस्थानों ने छात्रों को बुनियादी शिक्षा दी है। अनुसंधान और कौशल उद्यमिता का प्रमुख कारक है। भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की प्रक्रिया से बदल रहा है। हम वास्तव में बदलाव के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं और आज हम वैश्विक शिक्षा में शीर्ष पर हैं। हमारे विश्वविद्यालय में 8400 से अधिक वैश्विक शिक्षा के सभी कौशल सेट है जो लगभग भारत में हैं।