आजकल शिक्षा क्षेत्र में, विशेष रूप से शैक्षणिक गतिविधियों में प्रौद्योगिकी को सशक्त करने की प्रक्रिया में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (सू.सं.प्रौ.) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सू.सं.प्रौ. के नकारात्मक प्रभावों का पूर्वानुमान लगाने और दूर करने के लिए शिक्षा क्षेत्र सबसे प्रभावशाली क्षेत्र हो सकता है। दूसरी तरफ प्रौद्योगिकी, छात्र के ज्ञान को बढ़ाने का सबसे प्रभावशाली तरीका हो सकती है।
शिक्षा में सू.सं.प्रौ. का उपयोग, शिक्षा की प्रभावशीलता को बढ़ाते हुए अध्यापन और अध्ययन की गुणवत्ता बढ़ाता है। इसने अध्ययन में एक आयाम जोड़ा है, जो पहले उपलब्ध नहीं था। विद्यालयों में सू.सं.प्रौ. की शुरूआत के बाद से छात्रों को पारंपरिक कक्षा के वातावरण की तुलना में प्रौद्योगिकी वर्धित वातावरण में पढ़ना ज्यादा स्फूर्तिदायक और रूचिकर लगता है।
शिक्षा में सू.सं.प्रौ. की मौजूदगी के विषय में बात करते हुए स्मार्ट क्लास एजुकेशनल सर्विसेज प्रा. लि. के निदेशक (सू.सं.प्रौ. और कौशल) अशोक मेहता ने उद्योग के बारे में अपने विचार प्रकट किए, ‘मैं विशेष रूप से सू.सं.प्रौ. को एकीकृत करते हुए प्रासंगिक समाधानों पर काम करने की कोशिश कर रहा हूँ।’
वह आगे कहते हैं, ‘शिक्षण में चुनौतियों पर प्रकाश डालती 'प्रथम संगठन' की रिपोर्ट को देखते हुए शिक्षकों की गुणवत्ता और गुणवत्तापूर्ण सामग्री के मुद्दे को हल करने में सू.सं.प्रौ. की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। वैश्विक स्तर पर सू.सं.प्रौ. की भूमिका को स्वीकारा और सराहा गया है। एक बार शिक्षकों द्वारा सराहे जाने पर यह सफल हो जाता है। एम.एच.आर.डी. ने पहले ही शिक्षा में सू.सं.प्रौ. के महत्व पर जोर दिया है और सरकार द्वारा पहले ही कई योजनाएं चलाई जा रही है, जहाँ स्मार्टक्लास जैसी कंपनियों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।
‘कक्षा में और उसके अतिरिक्त पढ़ाई में सुधार लाने के लिए सू.सं.प्रौ. उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है। एक सामग्री प्रदाता का चयन करने से पहले व्यक्ति को अच्छी तरह से सोचना-समझना चाहिए, क्योंकि सामग्री ही प्रमुख होती है।’ स्मार्टक्लास एजुकेशनल प्रा. लि. के निदेशक कहते हैं।
किवामी की संस्थापक सुश्री. मित्स्यूओ तमाई ने शिक्षा में सू.सं.प्रौ. की प्रभावशीलता के विषय में अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए बहुत से बदलाव हुए हैं, विशेष रूप से पढ़ाने-पढ़ने से लेकर आंकलन-मूल्यांकन तक। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, शिक्षा सहित हर क्षेत्र को अत्यंत प्रभावित कर रही है। यह पढ़ाने-पढ़ने से लेकर आंकलन-मूल्यांकन तक शिक्षा के हर पहलू को प्रभावित कर रही है। यह शिक्षा की प्रभावशीलता बढ़ाती है। यह साक्षरता आंदोलन में मदद करती है। यह मोबाइल से पढ़ने और समावेशी शिक्षा को सुविधाजनक बनाकर शिक्षा का दायरा बढ़ाती है। यह अनुसंधान और विद्ववत्तापूर्ण संचार को सुगम बनाती है। शिक्षा क्षेत्र के लिए सू.सं.प्रौ. का प्रभाव और क्षमता कई गुना है। शिक्षा कर्मियों की नई भूमिका और कार्यों के साथ सू.सं.प्रौ. का विवेकशील प्रयोग करने से, ज्यादा कुशल और प्रभावी शिक्षण प्रक्रिया लाई जा सकती है।’
यहाँ पर मुख्य मुद्दा है, छात्रों, पालकों और शिक्षकों के आपस के अंतर को मिटाना, जिससे तीनों के बीच प्रभावी बातचीत और पारदर्शिता आए। विद्यालयों में सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने और दूसरों के साथ जानकारी और अनुभव साझा करने में विद्यालयों की मदद करने को भी उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए।