वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों ने 19,000 करोड़ रुपये के सामान की खरीदारी की है। एमएसएमई मंत्रालय के सार्वजनिक खरीद नीति की निगरानी करने वाले संबन्ध पोर्टल(Sambandh portal) पर उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यह खरीद 53,475 सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) से की गई है।
सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSEs) से की गई H1 की खरीदारी 95 सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (CPSEs) द्वारा विभिन्न उद्यमों से की गई कुल 48,889 करोड़ रुपये की खरीदारी का 38.86 प्रतिशत थी।
सार्वजनिक खरीद नीति के अनुसार, सीपीएसई को अपनी कुल वार्षिक उत्पादों और/या सेवाओं की खरीद का न्यूनतम 25 प्रतिशत MSEs से करना अनिवार्य है। नीति में एक निर्धारित उप-लक्ष्य भी है, जिसके तहत 4 प्रतिशत खरीद SC-ST उद्यमियों के स्वामित्व वाले MSEs से और 3 प्रतिशत खरीद महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले MSEs से की जानी अनिवार्य है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में CPSEs द्वारा MSEs से की गई कुल खरीद में से 1.51 प्रतिशत, जो लगभग 740 करोड़ रुपये है, 1,939 SC-ST स्वामित्व वाले MSEs से की गई। दूसरी ओर, 1.83 प्रतिशत खरीद, जो 893 करोड़ रुपये है, 5,218 महिला MSEs से की गई, यह आंकड़े के अनुसार है। इस बीच, वित्तीय वर्ष 2024 के दौरान MSEs से की गई खरीद 2.54 लाख MSEs से 73,410 करोड़ रुपये रही, जो वित्तीय वर्ष 2023 में 2.36 लाख MSEs से की गई 64,721 करोड़ रुपये की खरीद से अधिक है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि MSME मंत्रालय की मंत्री शोभा करंदलाजे ने पिछले महीने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) से सामान खरीदने पर ध्यान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा जाएगा। करंदलाजे ने बताया की कि बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) कई कच्चे माल को अन्य देशों से आयात कर रहे हैं और मंत्रालय प्रधानमंत्री मोदी से अपील करेगा कि वे इन PSUs को एमएसएमई से कच्चे माल की खरीद को प्राथमिकता देने का निर्देश दें।