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- सायरस मिस्त्री का सड़क हादसे में हुआ निधन,कारोबार कई देशों में फैला हुआ है
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री के सड़क हादसे में हुए निधन की वजह से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। वह अहमदाबाद से मुंबई जा रहे थे तभी मुंबई से सटे पालघर के पास उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई।
भारत के उद्योग जगत के लिए सायरस मिस्त्री का निधन एक बड़ी हानि है। बड़ी-बड़ी हस्तियों ने उनको याद किया। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा सायरस मिस्त्री का असामयिक निधन स्तब्ध करने वाला है। वह एक होनहार व्यवसायी थे, जो भारत की आर्थिक शक्ति में विश्वास करते थे। उनका निधन वाणिज्य और उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।उनके परिवार और मित्रों के लिए संवेदनाएं, उनकी आत्मा को शांति मिले।
सायरस मिस्त्री का व्यावसायिक जीवन
सायरस मिस्त्री ने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत पारिवारिक कारोबार से की थी उन्होंने वर्ष 1991 में अपनी पढ़ाई पूरी की थी और उसके बाद वह अपने पारिवारिक बिजनेस से जुड़ गए । उन्हें 1994 में शापूरजी पलोनजी ग्रुप का निदेशक नियुक्त किया गया था।शापूरजी पलोनजी ग्रुप की स्थापना वर्ष 1865 में पालोनजी मिस्त्री ने की थी। तब लिटिलवुड पालोनजी एंड कंपनी बनी थी, लेकिन बाद में पालोनजी ने सायरस के दादा शापूरजी को काम की जिम्मेदारी दी थी। फिर शापूरजी ने पार्टनरशिप तोड़कर शापूरजी पालोनजी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई थी। इस समय शापूरजी पालोनजी ग्रुप भारत में सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप में से एक है।
यह ग्रुप बीते लगभग 157 वर्षों से कारोबार कर रहा है। शापूरजी पलोनजी ग्रुप की दुनियाभर में 18 कंपनियां हैं। यह कुल छह क्षेत्रों इंजीनियर सेगमेंट, कंस्ट्रक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल एस्टेट, वाटर, एनर्जी और फाइनेंशियल सर्विसेज में काम करती है। ग्रुप में 70,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं। इस ग्रुप का कारोबार 50 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है।
शापूरजी पलोनजी ग्रुप ने इन इमारतों को बनाया
शापूरजी पलोनजी ग्रुप ने ही आरबीआई की बिल्डिंग, टाटा ग्रुप की इमारतें, ताज महल टावर, बैंक ऑफ इंडिया और अन्य कई बिल्डिंग्ल बनाईं। बीते साल शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने यूरेका फोर्ब्स के तहत अपना कंज्यूमर ड्यूरेबल्स बिजनेस अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी इक्विटी फंड एडवेंट इंटरनेशनल को बेच दिया था।
सायरस के पिता पालोनजी मिस्त्री ने हिंदी सिनेमा की एतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम' को बनाने के लिए फाइनैंस किया था। शापूरजी पालोनजी ग्रुप का ये भारतीय सिनेमा में यह उनका एकमात्र निवेश था। शायद इस फिल्म को बनाने में 12 वर्ष लगे।
सायरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन रहे
4 सितंबर 1968 को मुंबई में जन्में सायरस मिस्त्री 2012 - 2016 तक टाटा संस ग्रुप के चेयरमैन रहे थे और वह ग्रुप के छठे चेयरमैन थे।उन्हें रतन टाटा के चेयरमैन पद छोड़ने के बाद इस पद पर नियुक्त किया गया था। वहीं 2016 में मिस्त्री को अचानक चेयरमैन पद से हटा दिया गया।
टाटा ग्रुप के साथ शापूरजी पलोनजी ग्रुप का जुड़ाव 1935 में शुरू हुआ, जब शापूरजी पालोनजी ने एफई दिनशॉ एंड कंपनी नामक एक कंपनी खरीदी, जिसकी टाटा संस में 12.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। उसके बाद यह हिस्सेदारी बढ़ती चली गई। शापूरजी पलोनजी ग्रुप के पास टाटा संस की 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टाटा परिवार के बाहर टाटा संस में शापूरजी पलोनजी ग्रुप की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है, जिससे कई लोगों का मानना है कि टाटा ग्रुप के मामलों पर कंपनी की मजबूत पकड़ थी।