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स्कूल ऐसे होने चाहिए कि छुट्टियों में छात्र उसे मिस करें: पीयूष भारतीय, द बिग लीग

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Oct 16, 2023 - 7 min read
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छात्रों को बड़े सपने देखने और उन सपनों को पूरा करने के रास्ते बताने वाली संस्था 'द बिग लीग' और 'एडमिड कार्ड' के सह-संस्थापक पीयूष भारतीय देश भर के स्कूलों से लगातार संपर्क कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो, जो वैश्विक स्तर पर अनूठे अंदाज में भारत का प्रतिनिधित्व करने को तत्पर हो।

बच्चों के लिए सही स्कूल का चुनाव कर पाना अक्सर माता-पिता के लिए आसान नहीं होता। एक ओर अपने बच्चों को वे सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं तो दूसरी ओर उनका दिल चाहता है कि उनके बच्चे अपने स्कूल से ही जीवन जीने का सही सलीका और तरीका भी सीख सकें। माता-पिता की इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखकर वर्ष 2018 में पीयूष भारतीय और रचित अग्रवाल ने मिलकर 'द बिग लीग' की स्थापना की। शिक्षा के क्षेत्र को उच्चतम स्तर तक पहुंचाने के लिए 'द बिग लीग' और 'एडमिड कार्ड' लगातार ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है, जहां देश भर के बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान पीयूष भारतीय ने 'अपाॅरच्युनिटी इंडिया' की वरिष्ठ संवाददाता सुषमाश्री से बातचीत की। पेश हैं उसके मुख्य अंश...

'द बिग लीग' और 'एडमिड कार्ड' के बारे में बताएं।

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अपना स्कूल खोलने वालों को किन पांच बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए?

  1. सबसे जरूरी है कि आप ऐसे तरीकों का प्रयोग करें, जिससे छात्रों के अंदर सोचने-समझने की क्षमता में बदलाव लाया जा सके, उसे बढ़ाया जा सके।
  2. बच्चों के अंदर क्रिटिकल एबिलिटी (आलोचनात्मक क्षमता) के बजाय उनकी कम्यूनिकेशंस स्किल्स (बातचीत करने की क्षमता) और एबिलिटी टू आर्टिक्यूलेट (चीजों को स्पष्ट करने की क्षमता) को बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए।
  3. बच्चों के अंदर हेल्दी बिहेवियर पैदा करना जरूरी है ताकि वे खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रख पाएं। पढ़ाई के साथ-साथ जरूरी है कि बच्चे अलग-अलग खेलों से भी जुड़ें। इससे वे फिट रहेंगे और पढ़ाई में भी आगे बढ़ेंगे।
  4. बच्चों का वास्तविक दुनिया से परिचय कराना भी जरूरी है। बच्चों को लगता है कि वे जिस दुनिया से जुड़े हैं, वही सबकुछ है, जबकि वह भ्रम की दुनिया होती है। यही वजह है कि उन्हें वास्तविक दुनिया से जोड़ना जरूरी हो जाता है।
  5. स्कूलों को ऐसा बनाना चाहिए कि बच्चे हर रोज वहां जाना चाहें। छुट्टी हो तो बच्चे स्कूल को मिस करें, अपने शिक्षकों को मिस करें, लाइब्रेरी की पुस्तकों को मिस करें, दोस्तों को मिस करें, खेल के मैदान को मिस करें, हमें ऐसे स्कूलों का निर्माण करना चाहिए।
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