गुड फूड इंस्टीट्यूट इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (फिक्की) के सहयोग से स्मार्ट प्रोटीन समिट का आयोजन किया गया। जिसमें प्रोटीन क्षेत्र के स्टार्टअप और विशेषज्ञ को एक साथ लाया गया। जिससे छोटे व्यापारी को विशेषज्ञ से जानकारी मिल सकें और वे इस क्षेत्र में और आगे बढ़ सकें। इस सम्मेलन को मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी और फूड सेफ्टी एंड अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा समर्थित किया गया था।
स्मार्ट प्रोटीन समिट का उद्देश्य पशु द्वारा प्रोटीन के स्थायी विकल्पों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। खाद्य प्रणाली में बदलाव लाना है। भारत को स्मार्ट प्रोटीन नवाचार की वैश्विक दौड़ में सबसे आगे लाना है। देश में स्मार्ट प्रोटीन के आर्थिक अवसरों को उजागर करना है साथ ही भारत में हरित अर्थव्यवस्था के रूप में स्मार्ट प्रोटीन को बढ़ावा देना है।
इस सम्मेलन में फिक्की ने एक अहम भूमिका निभाई है। फिक्की भारत का सबसे पुराना और बड़ा शीर्ष व्यापार संगठन है। यह शिखर सम्मेलन एक नए मंच के रूप में उभरकर सामने आया है। जो स्मार्ट प्रोटीन की अप्रयुक्त क्षमता को उजागर करता है। यह सम्मेलन हमारी प्रगति को आगे बढ़ाता है, और साथ ही यह बताता है कि यह भारत की नई हरित अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में कैसे एक प्रमुख पिलर बनने की ओर तैयार है।
सम्मेलन में मौजूद जीएफआई एशिया के चेयरमैन वरुण देशपांडे ने स्मार्ट प्रोटीन में आत्म निर्भर बनने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा भारत में फसल विविधता है, एक विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रतिभा है, और इस अवसर पर काम करने वाले सैकड़ों लोग हैं। जो अपार रोजगार पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा जीएफआई इंडिया और डेलॉइट इंडिया के मॉडलिंग से पता चलता है कि 2030 में स्मार्ट प्रोटीन उद्योग द्वारा सृजित नौकरियों करीब 33,194 करोड़ होगें।
सम्मेलन में फिक्की के सलाहकार और पूर्व सचिव सिराज हुसैन ने कहा खाद्य प्रणाली को बदलने के लिए देश के किसानों के साथ संबंध बनाने और स्थानीय उत्पादों से प्रोटीन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए स्मार्ट प्रोटीन क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा अवसर बताया है।
स्मार्ट प्रोटीन समिट में एपीडा के सचिव डॉ सुधांशु ने कहा कि हमारे नागरिकों को सुरक्षित व स्वच्छ भोजन का पूरा अधिकार है। जब भी हम नए उत्पादों के साथ नवाचार करते हैं, तो वह सभी आम जनता के लिए भी अच्छा होना चाहिए।
जीएफआई के चेयरमैन वरुण देशपांडे ने दो दिनों के विचार के साथ शिखर सम्मेलन का समापन किया और कहा, “मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम मांस के बारे में जो करते हैं, वह हमारे जीवन की प्रमुख चुनौती होगी। पिछले पांच वर्षों में, हमने इस क्षेत्र के वादे के बारे में बात की है। तब से जो बदला है वह यह है कि 50 से अधिक कंपनियों ने अपने स्मार्ट प्रोटीन उत्पादों को पूरे भारत के बाजारों में लांच किया है। अब हम जो बातचीत कर रहे हैं वह परिपक्व हो गई है और बहुत अधिक सुधार हो गई है। लेकिन हमें अभी भी एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है जहां दूसरी प्रोटीन अब विकल्प नहीं हो।"