महिलाओं के लिए आज अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना बहुत मुश्किल नहीं है। दिल में जोश और जुनून होना चाहिए। मेहनत, कोशिश और लगन आपके व्यवसाय को जल्दी ही ऊंचाइयों तक ले जा सकती है, और यह सब निर्भर करता है काम के प्रति समर्पण भाव पर। अगर आपके अंदर ये सब मौजूद हैं, तो आप किसी बड़े शहर में हैं या सुदूर ग्रामीण इलाके में, आपके साथ मात्र पांच लोग हैं या फिर सहयोगियों की थोड़ी लंबी फेहरिस्त, मायने नहीं रखती। सफलता के मार्ग पर लगातार आगे बढ़ने से कोई आपको रोक नहीं सकता।
मुंबई स्थित कंपनी 'ऋषम' की संस्थापक/एमडी/सीईओ या कहें कि सर्वेसर्वा श्रुतिजा मोहंती के साथ बातचीत करके कुछ ऐसा ही देखने को मिला। सॉफ्टवेयर इंजीनियर श्रुतिजा मोहंती ने साल 2019 में धीरे-धीरे लुप्त हो रही ज्वेलरी डिजाइनिंग की एक पारंपरिक कला 'बीड वीविंग' को न केवल जीवंत करने, बल्कि आगे बढ़ाने का भी निर्णय लिया। खुद को प्रशिक्षित करने के बाद अन्य 10 महिलाओं को उन्होंने 'बीड वीविंग' की ट्रेनिंग दी, जो ज्वेलरी डिजाइनिंग के माध्यम से अपनी रचनात्मकता को आज नए रंग दे रही हैं।
श्रुतिजा कहती हैं, "महिलाओं के अंदर छिपी रचनात्मकता को किसी दायरे में नहीं बांधा जाना चाहिए। अगर उन्हें उचित मौका और एक बेहतर प्लेटफॉर्म दिया जाए, तो वो पूरी दुनिया को अपने पंख फैलाकर आसमान की ऊंचाइयों की थाह कैसे ली जा सकती है, दिखने का जज़्बा रखती हैं। अपने व्यवसाय के जरिये मैंने भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की है। मेरी पूरी कोशिश है कि इस कला के माध्यम से महिलाएं आर्थिक ही नहीं, सामाजिक तौर पर भी खुद को सशक्त बनाने में कामयाबी हासिल कर सकें। अपनी एक अलग पहचान बना सकें।"
आइए, श्रुतिजा मोहंती से हुई बातचीत को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं, जिससे इस क्षेत्र में स्टार्टअप करने की चाहत रखने वाली महिलाओं को नई राह तलाशने में कुछ मदद मिल सके...
यहां तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा?
पहली बार के उद्यमियों के लिए कोई कारोबार आसान नहीं होता और मैं बिजनेस ऑपरेशन से बिलकुल अपरिचित थी, जो मेरे लिए ज्यादा बड़ी चुनौती थी। मैंने शोध करने, सीखने, कच्चे माल के स्रोतों का पता करने और 'बीड वीविंग' की कला सीखने पर काफी समय लगाया।
इस क्षेत्र को ही क्यों चुना?
डिज़ाइनर बीड ज्वेलरी बनाने के मेरे फैसले के पीछे दो कारण थे। पहला कारण था, 'बीड वीविंग' की इस प्राचीन कला से मैं चकित थी और मेरे मन में इसे पुनर्जीवित करने की इच्छा थी। दूसरा- कि मैं एक महिला-केन्द्रित उद्यम खड़ा करना चाहती थी, जहां उन्हीं के द्वारा ज्वेलरी का उत्पादन हो और इसे उनके लिए अभिव्यक्ति का एक साधन बनाया जा सके।
'ऋषम' के ज्वेलरी की डिजाइनों में कुदरती तत्वों, चमकदार रंगों और हस्तशिल्प की बारीकियों का सम्मिलित समावेश है और ये अलग, सम्मोहक और व्यक्तिगत फैशन स्टेटमेंट्स क्रिएट करने की जरूरत से प्रेरित हैं।
क्या पहले से कोई ट्रेनिंग ली हुई थी? सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के नाते आपको इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में कितनी मदद मिली?
मैंने इस क्षेत्र में कारोबार शुरू करने के बारे में विचार करने से भी पहले 'बीड वीविंग' की कला सीखने में काफी समय लगाया था। इस वेंचर में मेरी सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग स्किल से कोई मदद नहीं मिली, लेकिन एक इंजीनियर के रूप में समस्या-समाधान की जो कुशलता मैंने विकसित की थी, वह काफी काम आई।
क्या नए लोग इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने के बारे में सोच सकते हैं? अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं?
बिलकुल। 'ऋषम', बीड वीविंग की कला को पुनर्जीवित करने के मिशन पर है, जो प्राचीन काल में पूरे भारत में रोजमर्रा की ज्वेलरी बनाने का अभिन्न हिस्सा हुआ करती थी। अगर नए लोगों को इस कला और इसके पुनरुद्धार कार्य के प्रति लगाव है, तो कोई कारण नहीं है कि वे इस क्षेत्र में कोई उद्यम स्टार्ट नहीं कर सकते और सफल नहीं हो सकते।
क्या आप लोगों को स्टार्टअप के लिए ट्रेनिंग मुहैया कराती हैं? आपके यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद कितने लोग अब तक अच्छी कमाई कर पाए हैं? क्या कोई इस क्षेत्र में काफी अच्छा मुकाम बना पाया है?
मैंने 'बीड वीविंग' में महिला कारीगरों की अपनी कोर टीम को खुद व्यक्तिगत रूप से ट्रेनिंग दी है। अब वे 'ऋषम' के साथ सुविधाजनक समय में काम करते हुए भी एक सम्मानजनक और अर्थपूर्ण कमाई कर सकती हैं। आप समझ लें कि हमारे पथ-प्रदर्शक सफ़र के फिलहाल शुरुआती दिन हैं और महिलाएं बस अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। अपने टैलेंट का इस्तेमाल करके कुछ महिलाएं आगे अगर इस क्षेत्र में मशहूर हो जाएं, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी।
क्या सुदूर क्षेत्रों या गांव की महिलाओं के लिए यह रोजगार का अच्छा साधन बन सकता है?
निश्चित रूप से इससे अनेक संभावनाएं निकलेंगी। भारत में कितने ही प्रकार के हैंडीक्राफ्ट्स और आर्ट्स हैं। आप ज्वेलरी डिजाइन, पॉटरी, फैब्रिक, वीविंग, हैंड पेंटिंग, स्कल्पचर, मेटल आर्ट आदि के उदाहरण ले सकते हैं।
'ऋषम' जैसे एंटरप्राइज पूरे देश में उभर रहे हैं, जो उच्च पोटेंशियल वाले, लेकिन लगभग विस्मृत हो चुके परम्परागत रूरल आर्ट और क्राफ्ट पर आधारित हैं। हमने कुछ महिलाओं के लिए अवसरों का निर्माण किया है। आगे भी हम दूर-दराज के इलाकों और ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सशक्त करने की अपनी कोशिश जारी रखेंगे।
बिना किसी बाज़ार के गांव की महिलाओं को कच्चा माल और ट्रेनिंग में किस हद तक मदद की जा सकती है?
आज देश के लगभग हर हिस्से में इंटरनेट, ई-कॉमर्स और रोड कनेक्टिविटी पहुंच चुकी है और ऐसी स्थिति में दूर-दराज के इलाकों की महिलाओं को भी कच्चे माल, प्रशिक्षण और ऑनलाइन बिक्री के अवसर जल्द ही उपलब्ध होंगे।
इस क्षेत्र में निर्माता, वितरक (होलसेल, खुदरा) बनने के लिए क्या करना होगा?
सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है, कला के लिए जुनून और नए डिजाइन के नवाचार और निर्माण की क्षमता। यह एक उभरता व्यावसायिक क्षेत्र है और 'ऋषम' के द्वारा हम अभी भी इस आर्ट को लोकप्रिय बना रहे हैं। इस प्रकार, अभी मार्केट साइज़ छोटा होने के बावजूद इसमें काफी धैर्य और प्रतिबद्धता की जरूरत है।
क्या महिलाओं के साथ-साथ आप पुरुषों को भी अपने साथ जोड़ना चाहती हैं और क्या इस पर काम कर रही हैं? क्या आपको लगता है कि पुरुषों के लिए बिजनेस करने का एक ऑप्शन यह क्षेत्र हो सकता है? अगर हां, तो इसके लिए उन्हें क्या-क्या करना होगा? और आप इसमें किस तरह से उनकी मदद कर सकती हैं?
अभी हमने पुरुषों को प्रशिक्षण देने का विचार नहीं किया है, क्योंकि यह पूरा उपक्रम महिलाओं के सशक्तिकरण और अभिव्यक्ति को मजबूत बनाने पर आधारित है। लेकिन यह एक आर्ट फॉर्म है और जब तक पुरुष कारीगरों में इस कला का अनुकरण करने का जुनून और रचनात्मकता है, तब तक कोई कारण नहीं है कि पुरुष इस क्षेत्र में काम नहीं कर सकते।
कंपनी में आपका अभी तक का कुल निवेश क्या है?
5 लाख रुपये।
पिछले तीन वर्षों का वार्षिक कारोबार और लाभ/हानि?
18 से 20 लाख रुपये प्रति वर्ष
आपकी कंपनी के प्रमुख उत्पाद क्या हैं?
नेकपीस, ब्रेसलेट, ईयररिंग्स, फिंगर रिंग्स।