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- 'ड्रीमटाइम लर्निंग' ने फ्यूचर स्कूल्स के लिए पाठ्यक्रम-मॉडल लॉन्च किया
'ड्रीमटाइम लर्निंग' ने शिक्षा उद्योग में बदलाव लाने के लिए एक नया पाठ्यक्रम-मॉडल तैयार किया है। इसे उन्होंने 'पावर्ड बाय ड्रीमटाइम लर्निंग' या 'पावर्ड बाय डीटीएल' नाम दिया है। यह एक ऐसा पाठ्यक्रम है, जो भविष्य केंद्रित विद्यालयों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तकनीकी रूप से उसे उतना उन्नत करने का प्रयास किया गया है, जो आगे चलकर भी अपना अस्तित्व बनाए रख सके। भविष्य केंद्रित शिक्षा का यह पाठ्यक्रम-मॉडल, दिमाग और व्यावहारिक विज्ञान (ब्रेन एंड बिहेवियरल साइंस), उद्यम संबंधी और विकास की मानसिकता (एंट्रप्रेन्योरियल एंड ग्रोथ माइंडसेट), सामाजिक व भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विकास (सोशल-इमोशनल इंटेलिजेंस डेवलपमेंट) को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
इस पाठ्यक्रम को फ्रैंचाइजी मानदंडों, नियमों और शर्तों से परे रखा गया है। बता दें कि शिक्षा में फ्रैंचाइजी मॉडल कई सीमाओं से बंधा होता है। इसमें नियमों और शर्तों में लचीलापन नहीं होता। यह अधिक खर्चीला होता है। इसकी गुणवत्ता भी एक समान नहीं होती। इसमें आसपास के माहौल और आस-पड़ोस के समुदाय के साथ स्कूल मालिकों का संपर्क भी प्रतिबंधित होता है। फ्रैंचाइजी की इन सभी सीमाओं को पार कर आधुनिकीकरण को अपनाने की अनिवार्यता को समझते हुए जानी-मानी शिक्षाविद् लीना अशर यह पाठ्यक्रम मॉडल लेकर आई हैं। अशर ने लगभग 30 वर्षों तक 'कंगारू किड्स एंड बिलाबॉन्ग हाई स्कूल' में पढाने के अपने अनुभवों को इस नए पाठ्यक्रम मॉडल में शामिल किया है और इसे 'पावर्ड बाय डीटीएल' कॉन्सेप्ट के लिए सार्वजनिक किया है।
पाठ्यक्रम में अनुभवों का सार
अंतर्राष्ट्रीय मानक पाठ्यक्रम की सभी अच्छी बातों के साथ-साथ इस पाठ्यक्रम में अपने अनुभवों का सार डालकर इसे बिल्कुल नए अंदाज में पेश किया गया है। 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020' को ध्यान में रखते हुए इसमें उपयोगकर्ताओं के लिए आसानी से सीखे जाने वाले उच्चस्तरीय और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) को भी शामिल किया गया है। विद्यालय के प्रबंधन को ध्यान में रखकर इस मॉडल में शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी मुहैया किया गया है। साथ ही, इसमें सूक्ष्म और वृहद् दृष्टिकोण के साथ उन्नत अध्यापन कला तक पहुंचने की सुविधा भी मुहैया की गई है।
इस नई अवधारणा के साथ शिक्षा में परिवर्तन करते हुए, 'ड्रीमटाइम लर्निंग' की संस्थापक लीना अशर ने कहा, "आज के युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, एआर/वीआर और बायोटेक जैसी नई-नई तकनीकों में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या हमारे विद्यालय, वास्तव में हमारे बच्चों को ऐसे भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पूर्णतः सुसज्जित हैं? क्या हर शिक्षार्थी की जरूरतों को ध्यान में रखकर हमारा देश अपनी शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने के लिए तत्पर है? हालांकि, आज भी कई स्कूल केवल परीक्षा के लिए छात्रों को तैयार करने की पद्धति को अपनाकर चल रहे हैं। साथ ही, ऐसी पुरानी जानकारियों पर आज भी अटके हैं, जो आज के समय में पूरी तरह से बेकार हो चुकी है। शिक्षार्थियों के लिए एक ऐसी जगह तैयार करने की जरूरत है, जहां उनके व्यक्तिगत हितों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर उन्हें नई-नई जानकारियों से अवगत कराने के प्रयास किए जाएं। 'पावर्ड बाय डीटीएल' असल में अत्याधुनिक तकनीकी संसाधनों और भविष्य केंद्रित पाठ्यक्रम के अनुसार एक नई सोच तैयार करता है। यह स्कूल के लिए फ्रैंचाइजी मॉडल को भी खत्म कर देता है। इस तरह से यह स्कूल मालिक को असली ब्रांड मालिक बना देता है।"
उज्ज्वल भविष्य बनाने में मददगार
'अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन' की प्रेसिडेंट डॉ. स्वाति पोपट वत्स ने कहा, "'ड्रीमटाइम लर्निंग' का मानना है कि शिक्षा बच्चों के साथ जीवनपर्यंत रहती है, जो उसकी जीवन यात्रा को सरल और उज्ज्वल भविष्य को सक्षम बनाने में मददगार हो सकती है। मैं एक ऐसी क्रांतिकारी पहल का हिस्सा बनकर खुश हूं, जो न केवल शिक्षा के प्रति हमारे दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा बल्कि तेजी से बदलती तकनीकी रूप से उन्नत दुनिया के अनुसार इसे ढालने में भी मददगार होगा। भविष्य के किसी भी कारोबार में आगे बढ़ने के लिए जरूरी कौशल, दक्षता और जरूरत के अनुसार खुद को बदलने की लचक हर शिक्षार्थी में होनी चाहिए। यही समय की मांग है। यह भविष्य केंद्रित विद्यालयों को शिक्षार्थियों के लिए एक मंच प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित करता है।"
यह पाठ्यक्रम आधारित मॉडल भविष्य केंद्रित शिक्षा का पुनर्विवरण करेगा। इसमें शिक्षकों, शिक्षार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए हर वक्त मदद करने वाला अकादमिक सहयोग वाला एलएमएस मौजूद है। यही वजह है कि हर उम्र के शिक्षार्थियों को भविष्य की चुनौतियों और अवसरों के लिए यह तैयार करने में सक्षम है। बता दें कि 'ड्रीमलाइट लर्निंग', इससे पहले 'माइक्रो-स्कूलिंग' के जरिए शिक्षा उद्योग को बदलने के लिए भी प्रयासरत रहा है। 'माइक्रो-स्कूलिंग' असल में एक कमरे वाले स्कूल का पुनराविष्कार है, जहां कक्षा का आकार आमतौर पर अधिकांश स्कूलों की तुलना में छोटा होता है। यहां एक कक्षा में 15 या उससे कम छात्र होते हैं, जो हर आयु वर्ग के या कहें कि मिले-जुले आयु वाले होते हैं।