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- 'फ्रेंचाइज इंडिया स्टार्टअप समिट 2023' में पहुंची देश-विदेश की जानी-मानी औद्योगिक हस्तियां
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 15-16 जुलाई 2023 को आयोजित 'फ्रेंचाइज इंडिया स्टार्टअप समिट 2023' में देश-विदेश की जानी-मानी औद्योगिक हस्तियां शामिल हुईं। समारोह का शुभारंभ 15 जुलाई को सवेरे 9 बजे एमएसएमई मंत्रालय की ज्वाइंट सेक्रेटरी मर्सी एपाओ के हाथों दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। इस मौके पर मर्सी एपाओ ने कहा कि हमें अपने व्यवसायियों को विकसित करने की जरूरत है। भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के व्यवसायों को लगातार आगे बढ़ाने के लिए 28-29 योजनाएं शुरू की हैं। सूक्ष्म व्यवसाय (जिसके अंतर्गत 5 करोड़ रुपये से कम का टर्नओवर और 1 करोड़ रुपये से कम का निवेश आता है) कर रहे व्यवसायियों को मर्सी एपाओ ने एमएसएमई मंत्रालय और आत्मनिर्भर भारत की वेबसाइट पर समय-समय पर विजिट करते रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए कई बार बेहतरीन मौके मिल सकते हैं। इन वेबसाइट्स पर कंपनियों को कौशल बढ़ाने और तकनीकी टूल्स और कंपोनेन्ट्स टूल्स संबंधी कई जानकारियां भी उपलब्ध होती हैं। यही नहीं, यहां उन्हें कई ऐसी योजनाएं भी मिल जाएंगी, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें सहायता भेजी जाती हैं।
जीरो इफेक्ट और जीरो डिफेक्ट सर्टिफिकेट
एमएसएमई मंत्रालय की ज्वाइंट सेक्रेटरी मर्सी एपाओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 30 जून की घोषणा को याद दिलाते हुए कहा कि पीएम ने निर्यातकों को भी पर्यावरण और हाइजीन को ध्यान में रखते हुए प्रोडक्ट्स तैयार करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने अलग-अलग व्यवसायों को लेकर अपने विचार भेजने के पीएम के प्रयास की सराहना करते हुए लोगों को इसके लिए आगे आने के लिए कहा। एमएसएमई सेक्टर को प्रेरित करने के लिए जीरो इफेक्ट और जीरो डिफेक्ट सर्टिफिकेट्स, ब्राउन-सिल्वर-गोल्ड सर्टिफिकेट्स और 10 प्रतिशत अतिरिक्त लाभ देने जैसी कई योजनाओं के लिए भी उन्होंने भारत सरकार की सराहना की। मर्सी एपाओ ने ग्रीन एमएसएमई स्कीम्स, सरकार और उद्योगों के बीच भागीदारी, खादी एवं ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने समेत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को 50 प्रतिशत तक के सहयोग करने को लेकर भी एमएसएमई सेक्टर की सराहना की।
इन विषयों पर हुई पैनल चर्चा
'फ्रेंचाइज इंडिया स्टार्टअप समिट 2023' ने पहले दिन कई मुद्दों की ओर सबका ध्यान दिलाया। इसमें अपने व्यवसाय को डिजिटलाइज करने, बिजनेस से ब्रांड बनने, एमएसएमई किस तरह से भारत को बदल रहे हैं, 21वीं सदी में ब्रांड बनाने जैसे विषयों पर चर्चा की गई। भोजन के बाद ढाई बजे से अपाॅरच्युनिटी इंडिया: मोबिलिटी: ईवी को सबके लिए बनाने, अपने ब्रांड को मजबूत बनाने, कम्युनिटी तैयार करने: आपके पार्टर्नर्स और टीम आपके फायदे की संभावना को ताड़ लेते हैं, अपाॅरच्युनिटी इंडिया: एजुकेशन और एडटेक, फायदे के व्यवसायों में पार्टनरशिप के लिए निवेश जैसे कई समकालीन मुद्दों पर चर्चा की गई।
ब्रांड के पीछे भागने की जरूरत नहीं
एलएमएल इमोशन के एमडी और सीईओ डाॅ. योगेश भाटिया ने कहा कि ब्रांड के पीछे न भागें। आपके उत्पाद की गुणवत्ता और सेवाएं अच्छी हों और आपके ग्राहक संतुष्ट हों, अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं तो आपको खुद को ब्रांड बनाने के लिए किसी विज्ञापन या कोशिश की जरूरत नहीं होगी। ग्राहक की नजर में आप खुद-ब-खुद एक ब्रांड बन जाएंगे। कैम्ब्रिज लर्निंग सेंटर के रीजनल डायरेक्टर टीके अरुणाचलम ने कहा कि अगर आपने ब्रांड प्रोमिस और ब्रांड अवेयरनेस का काम ईमानदारी से किया है तो आपको ब्रांड प्रमोशन की जरूरत नहीं पड़ती। अगर एक बार कोई आपके उत्पाद का प्रयोग करता है तो उत्पाद की गुणवत्ता उसे अपनी ओर आकर्षित कर ही लेती है। फिर बार-बार आपको उसके विज्ञापन की आवश्यकता नहीं रह जाती। सर्वोदय हेल्थकेयर की मैनेजिंग डायरेक्टर अंशु गुप्ता कहती हैं कि ग्राहकों की सोच और उनके विचार ही किसी भी उत्पाद या कंपनी को ब्रांड वैल्यू प्रदान करते हैं। उत्पाद को नई टेक्नोलाॅजी को ध्यान में रखकर अपडेट करना, ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ साॅफ्टवेयर के जरिए जुड़ना और ग्राहकों के विचारों को सम्मान देना, आपको ब्रांड बनाने के लिए काफी है।
जानकारी और जागरुकता का अभाव
नए भारत में एमएसएमई किस तरह से बदल रहा है, इस विषय पर मोबेक इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर हैरी बजाज ने कहा, लघु एवं सूक्ष्म व्यवसायों में वित्तीय प्रक्रिया की जानकारी और जागरुकता का अभाव आज के समय में सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है।माइक्रोग्रेविटी के स्ट्रेटजी एंड बिजनेस डेवलपमेंट हेड तनवीर बख्शी ने कहा, एक दशक के भीतर एमएसएमई से देश की जीडीपी में एक ट्रिलियन डॉलर का योगदान होगा। वहीं, डब्ल्यूटीएफ के को-फाउंडर और सीईओ विशाल निगम ने कहा, डब्ल्यूटीएफ देश का सबसे उन्नत तकनीक संचालित जिम है।
इकोसिस्टम के लिए भी सोचना चाहिए
ओमेगा सेकी मोबिलिटी के फाउंडर उदय नारंग ने ईवी को सबकी पहुंच में बनाने के मुद्दे पर कहा, भारत एक बड़ी जनसंख्या वाला देश है। यहां हम लगभग एक दशक से काम कर रहे हैं। इस देश में हम इलेक्ट्रिक टू व्हीलर, थ्री व्हीलर और फोर व्हीलर, सब लेकर आए हैं। कंपनी के अलावा हमें इकोसिस्टम के लिए भी सोचना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोग प्रेरित हों। यह तभी संभव हो सकता है जब हम 24 घंटे-सातों दिन बैटरी स्वैपिंग की प्रक्रिया को आसान और हर किसी की पहुंच में ला दें, खासकर कारगो, थ्री व्हीलर और टू व्हीलर्स के लिए। हम सभी इस पर काफी काम कर रहे हैं। दिल्ली और बेंगलुरू जैसे शहरी क्षेत्रों में बैटरी स्वैपिंग मशीन को लेकर बेहतरीन काम हुआ है। मुझे यकीन है कि बहुत जल्द टियर टू और टियर थ्री सिटीज में भी हमें ज्यादा से ज्यादा स्वैपिंग मशीन देखने को मिलेंगे। तकनीक को पूरी तरह से जांच पड़ताल के बाद ही प्रयोग में लाना चाहिए, वरना इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। हालांकि, भारत में उत्पाद की कीमत भी काफी मायने रखती है, ऐसे में तकनीक का सही इस्तेमाल और कीमत, दोनों का ध्यान रखते हुए हमें अपने उत्पाद तैयार करने की जरूरत है।
लोहिया ऑटो इंडस्ट्रीज के सीईओ आयुष लोहिया ने कहा, सबकुछ संभव है अगर सरकार की पाॅलिसी भी ईवी को बढ़ावा देने की हो। स्वैपिंग मशीन या चार्जिंग स्टेशन की बात करें तो टू व्हीलर और थ्री व्हीलर के मामले में यह सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य मुद्दा है। इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह है किस्तों पर व्हीकल्स खरीदने की भारतीयों की आदत या कहें कि उनकी मजबूरी। सप्लाई चेन के मामले में निरंतरता पूरी तरह से मिसिंग दिखता है, जिसका असर ईवी उद्योगों पर देखने को मिल रहा है।
चार्जर के को-फाउंडर सिद्धांत विरमानी ने कहा, चार्जिंग स्टेशन और स्वैपिंग मशीन लगाने की प्रक्रिया को भौगोलिक स्थितियां काफी हद तक प्रभावित करती हैं। हमारा देश विशाल है और एक ही कंपनी उत्तर भारत और दक्षिण भारत के सभी इलाकों के लिए अपने प्रोडक्ट्स तैयार करने में पूरी तरह से सफल नहीं हो सकती। इसके लिए उसे अन्य कंपनियों के सहयोग की आवश्यकता होगी, जिसे समझना और फिर लागू करना आवश्यक है।
अतियाज के को-फाउंडर और डायरेक्टर अनंतराम वारायुर कहते हैं कि हम सभी ईवी को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन सबसे जरूरी यह मालूम रखना है कि आखिर हम अपनी व्हीकल किन लोगों के लिए तैयार कर रहे हैं। हमारा टारगेट प्रतिदिन स्कूल या काॅलेज जाने वाला छात्र है या फिर कोई और। इस तरह से हम अपनी ईवी व्हीकल्स के रेंज पर भी ध्यान दे पाएंगे, ताकि पेट्रोल की गाड़ियों से प्रतिस्पर्धा में पीछे न रह जाएं। स्टैटिक के को-फाउंडर राघव अरोड़ा ने पूरे पैनल को बड़ी ही खूबसूरती से मोडरेट किया।
टेक्नोलाॅजी एक फोर्स मल्टीप्लायर है
एनआईआईटी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन और एमडी विजय थडानी ने बतौर की-नोट स्पीकर एजुकेशन और एडटेक विषय पर कई महत्वपूर्ण बातें रखीं। उन्होंने कहा, टेक्नोलाॅजी एक फोर्स मल्टीप्लायर है यानि शिक्षा की पहुंच को कई गुना बढ़ाकर प्रभावी ढंग से लक्ष्य तक पहुंचाने का काम करता है तकनीक। हम जब एडटेक शब्द का प्रयोग करते हैं तो उसका अर्थ होता है, टेक एड और एड टेक। टेक एड का अर्थ है- टेक्नोलाॅजी या एजुकेशन फोर टेक्नोलाॅजी यानि लोगों को यह सिखाना कि आखिर वे टेक्नोलाॅजी का प्रयोग किस तरह से करें? यकीनन तकनीक का प्रयोग शिक्षा की पहुंच को कई गुना बढ़ाकर किया जा सकता है।
विजय थडानी ने और क्या कहा, विस्तार से जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-
तकनीक का प्रयोग भारतीय शिक्षकों की पसंद को बढ़ाएगा
चिल्ड्रन इंस्पायर्ड बाय योग एंड टैटी बम्पिक की फाउंडर सैम पीटर ने एजुकेशन और एडटेक पर कहा, प्राणायाम और योगासन को मैं बचपन से ही छात्रों में डालना चाहती थी, इसलिए मैंने इस पर काम करना शुरू कर दिया। मैंने संगीत और कथा-वाचन को भी अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है।
एम्बाइब के कंटेंट ऑपरेशंस और पार्टनरशिप्स के सीनियर वीपी विनय शर्मा इस सेशन को मोडरेट कर रहे थे। उन्होंने बताया कि एम्बाइब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में काफी काम कर रहा है। हम मानते हैं कि आज के बच्चे जितने डिजिटल और टेक सेवी हैं, उसका देश और दुनिया को लाभ और नुकसान दोनों ही हो सकता है, ऐसे में जरूरी है कि आज के छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाए।
जेटकिंग के डायरेक्टर अविनाश भरवानी ने कहा कि कोविड ने दो साल तक छात्रों को ऑनलाइन एजुकेशन के लिए बाध्य कर दिया लेकिन एक बार फिर लोग ऑफलाइन काम करने लगे हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कौशल विकास के लिए छात्रों का मानसिक ही नहीं, शारीरिक रूप से भी स्कूल में होना आवश्यक है। गुरु-शिष्य परंपरा की जरूरत आज भी उतनी ही है, जितनी पहले हुआ करती थी, इसलिए इसे खत्म करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
के-12 स्कूल्स के एमडी पीके समल ने कहा कि एआई, मेटावर्स या टेक्नीक का प्रयोग करके शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव लाए जा सकते हैं और यह बदलाव राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय, हर स्तर पर लाया जा सकता है। पूरी दुनिया में भारतीय शिक्षक हमेशा से ही पसंद किए जाते रहे हैं। यकीनन इन तकनीकों का इस्तेमाल भारतीय शिक्षकों की पसंद को और भी बढ़ाने में काफी हद तक मददगार साबित होगा और विदेशी छात्र भी भारतीय शिक्षकों से काफी कुछ सीख सकेंगे।
प्रोडक्ट को ग्राहकों तक पहुंचाना आसान नहीं
लाभकारी बिजनेस पार्टनरशिप्स में निवेश मुद्दे पर किचन मेट बाय पीएनबी के एमडी राजीव बजाज ने कहा, 1995 में हमने अपने उत्पादों का निर्माण शुरू किया और दो साल बाद 1998 में हमने इसे बाजार में उतार दिया। खुद का उत्पाद लाने से पहले हमने अन्य उत्पादों को भी बेचने का काम किया था। इससे लोगों को हमारे उत्पादों की विशेषता, गुणवत्ता और कीमत को समझने का मौका मिला। नतीजतन, लोगों ने हमारे प्रोडक्ट्स को ज्यादा पसंद किया।
बिरयानी क्वीन के फाउंडर और सीईओ चैतन्य सभरवाल ने कहा, मैं चुनौतियों को स्वीकार करने और आगे बढ़ने में खुशी महसूस करता हूं। सप्लाय चेन तैयार करना और अपने प्रोडक्ट को ग्राहकों तक पहुंचाना आसान नहीं होता। फूड टेक में क्वालिटी और ग्राहकों का खुद पर भरोसा बनाना इस क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। बाजार जाकर कच्चा माल खरीदना और उसे तैयार करके समय पर गुणवत्ता के साथ पहुंचाना, जब हम इस काम को अच्छी तरह से अंजाम तक पहुंचाते हैं तो हमें एक अलग तरह की खुशी का एहसास होता है और एक बार फिर हम अगले दिन के लिए पूरे जोश के साथ तैयार होते हैं।
स्टार्टअप समिट 2023- दूसरा दिन
स्टार्टअप समिट 2023 के दूसरे दिन की शुरुआत न्यू शाॅपर्स, न्यू रूल- रिटेल मेगाट्रेंड्स इन द न्यू नाॅर्मल पैनल से हुई। इसके अलावा नई पीढी के खरीदार के लिए माल्स खुद को किस तरह से तैयार कर रहे हैं, जम्बोकिंग धीरज गुप्ता की बुक लाॅन्च, री-डिफाइनिंग नेक्स्ट जेनरेशन फूड सर्विस, टैपिंग इनटू द डीटूसी अपारच्युनिटी, ब्यूटी रिटेल- चेंजिंग डायनेमिक्स और रेजिंग कैपिटल फोर कंज्यूमर ब्रांड्स जैसे विषयों पर भी दूसरे दिन उद्योग जगत की नामी-गिरामी हस्तियों ने परिचर्चा की।
बता दें कि दो दिनों के इस सम्मेलन के अलावा प्रगति मैदान के हाॅल नंबर पांच में फ्रेंचाइज इंडिया ने देश-विदेश के अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों को अपना स्टाॅल लगाने का मौका भी दिया था, जहां दोनों दिन दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने वहां नई-नई जानकारी तो ली ही, अलग-अलग तरह के फूड्स को भी एंज्वाॅय किया।