यह समझने की भूल न करें कि आप केवल 'फूड सर्विंग' बिजनेस में हैं। असल में आप एक ऐसी इंडस्ट्री का हिस्सा हैं, जो अपने फूड्स के जरिए देश के बाहर अपनी पहचान, अपनी संस्कृति, अपना कल्चर और अपनी खासियत को सामने वाले तक पहुंचाने का रास्ता दिखाती है। अब मुद्दा यह है कि इस रास्ते को आप सामने वाले के दिल तक पहुंचने का मौका मानकर अपना रहे हैं या फिर इस पर चलने के पीछे आपका मकसद मात्र पैसे कमाना है।
नई दिल्ली के पुलमैन होटल में बीते दिनों '11वें इंडियन रेस्टोरेंट कांग्रेस एंड अवार्ड्स 2022' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रेस्टोरेंट इंडस्ट्री से जुड़ी दुनिया भर की नामी-गिरामी हस्तियों ने हिस्सा लिया। उनमें से कुछ रेस्टोरेंट ऑनर्स और एग्जीक्यूटिव शेफ्स ने अपने अनुभवों के आधार पर इस दुनिया की कुछ खास बातें कार्यक्रम में मौजूद लोगों के साथ शेयर कीं। पेश हैं उनमें से कुछ खास बातें...
हम पर बहुत जिम्मेदारी होती है
जब हम देश के बाहर होते हैं तो एक शेफ होने के नाते हम पर बहुत ज्यादा जिम्मेदारी होती है। तब हम जो भी सर्व करते हैं, वह कहीं न कहीं हमारे देश की संस्कृति को भी दर्शा रही होती है। हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि बाहर के देशों में जब भारतीय फूड बताकर किसी दूसरे देश के शेफ कुछ पकाते और सर्व करते हैं तो यकीनन वे हमारे यहां की वास्तविक डिश को वास्तविक अंदाज और स्वाद के साथ पेश नहीं कर पाते। ऐसे में हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अपने देश के खाने को वास्तविक तौर पर अपने यहां के वास्तविक स्वाद और वास्तविक अंदाज के साथ अपने ग्राहक को सर्व कर सकें। ताकि उस खाने के जरिये सही मायनों में वे हमारे देश की वास्तविकता को महसूस कर सकें। उस वक्त पूरी तरह से यह हमारी जिम्मेदारी बन जाती है।
- शेफ दयाशंकर शर्मा, शेफ एंड ऑनर, ग्रैंड ट्रंक रोड - लंदन
भारतीय अंदाज को खूबसूरती से पेश करना
रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को समझने के बाद उसमें भारतीय अंदाज को खूबसूरती के साथ पेश करना ही इस क्षेत्र में आपको बेहतर बनाता है, आपको खुद को साबित करने का मौका देता है। आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, वहां के लोगों का अपना अलग स्वाद, अपना अलग अंदाज होता है। आज दुनिया के हर कोने में आपको भारतीय मिल जाएंगे, यही खुद को स्थापित करने और साबित करने की राह में आपके लिए एक सुनहरा मौका उपलब्ध कराता है।
हम आयुर्वेद को नहीं जानते, न आयुर्वेदिक फूड्स को ही जानते हैं, लेकिन अपने यहां की खासियत हमें जरूर मालूम होनी चाहिए। यही हमें स्पेशल बनाता है। यह पुराने ही नहीं, हमें नए लोगों से भी जोड़ता है। हमें हेल्दी फूड देता है, जिससे हम लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं।
- हरपाल सिंह सोखी, एनर्जी शेफ ऑफ इंडिया, टीवी एंकर, रेस्टोरेंट ब्रांड ऑनर एंड कंसल्टेंट, ऑथर
शाकाहार और सीज़नल फूड्स
यह आपके ऑनर और शेफ पर निर्भर करता है कि अपने क्विजीन को वे किस तरह तैयार करें कि आसपास के लोग किसी भी तरह के फूड के लिए आपके यहां ही आना पसंद करें। आज ज्यादातर लोग स्वाद पर ध्यान देते हैं, इस ओर बहुत कम लोगों का ध्यान होता है कि हम जो भी चीज खा रहे हैं, वह कहां से आया है और कितना हाइजीनिक है? हालांकि, कोरोना काल के बाद काफी हद तक लोग इस बारे में सोचने लगे हैं। अब लोग शाकाहारी भोजन ज्यादा करना चाहते हैं। लोगों का ध्यान अब सीजनल फूड्स पर ज्यादा रहता है, बजाए इसके कि वे ऐसी चीज खाएं, जिसका अभी सीजन न हो।
खास यह है कि अपने देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में लोग अब सीजनल फूड्स और शाकाहारी भोजन पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। ऐसे में कई बार हम उन्हें अपनी संस्कृति का हवाला देते हुए कहते हैं कि हफ्ते में कम से कम एक दिन मांसाहार न करें (जैसा हमारे देश में ज्यादातर लोग मंगलवार के दिन नहीं करते) और हर 15 दिनों में एक दिन बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए भूखे रहें (जैसा हमारे यहां ज्यादातर लोग एकादशी के दिन करते हैं)। इस तरह देश से बाहर खाना सर्वे करने के साथ-साथ हम लोगों को अपनी संस्कृति से रू-ब-रू भी करवा देते हैं।
- ध्रुव ओबेरॉय, एग्जीक्यूटिव शेफ, ऑलिव कुतुब, द ग्रामर रूम, बेर सराय
'इंडियन फूड्स' का भविष्य उज्ज्वल
'चाइनीज फूड' को भारत में इतना ज्यादा इसलिए पसंद किया जाता है क्योंकि यह बहुत कम समय में तैयार हो जाता है। यही नहीं, इसका स्वाद हम भारतीयों को काफी पसंद भी आता है। ऐसा नहीं कि 'चाइनीज फूड्स' में जितनी भी वेराइटी मिल रही है, उनमें से सभी चीन से आई हैं, बल्कि 'मंचूरियन' जैसे कितने ही चाइनीज आइटम्स ऐसे हैं, जिनका चीन से दूर-दूर तक कोई नाता तक नहीं है। असल में इसे भारतीयों के स्वाद को ध्यान में रखकर अपने ही देश में तैयार किया गया है। यही वजह है कि भारत में इसे खूब पसंद किया जाता है और चाव से खाया जाता है। हालांकि, यह बता पाना मुश्किल है कि इसे चाइनीज़ क्यों कहा जाने लगा। बहरहाल, भारत में 'चाइनीज फूड्स' का भविष्य सुनहरा है। ठीक इसी तरह, दुनिया के अन्य देशों में 'इंडियन फूड्स' का भविष्य भी काफी उज्ज्वल है। यकीनन, ऐसे में हम कतई भी यह नहीं चाहेंगे कि चाइनीज़ फूड्स और 'मंचूरियन' वाली कहानी हमारे साथ भी दोहराई जाए। इसके लिए जरूरी है कि हमारे फूड्स का स्वाद और नाम दोनों ही वाकई हमारा हो।
- राकेश सेठी, कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव शेफ, रेडिसन होटल ग्रुप