शेयर बाजार में निवेश करना और अपने निवेश को लगातार, हर दिन फलते-फूलते देखना किसी भी निवेशक के सबसे सुंदर सपनों में एक है। हालांकि बहुत से निवेशकों के लिए कई बार यह दिवास्वप्न भी साबित हुआ है, और उसके अपने कारण हैं जिनकी चर्चा हम आगे करेंगे। अभी इतना कह सकते हैं कि प्रारंभिक पब्लिक ऑफर (आईपीओ) के माध्यम से निवेश ने निवेशकों को अक्सर उम्मीद से बेहतर रिटर्न दिया है। यही वजह है कि समय चाहे कितना भी विपरीत चल रहा हो और बाजार की स्थिति कैसी भी हो, ज्यादातर कंपनियों के आईपीओ को उम्मीद से अधिक निवेशक मिल जाते हैं।
पिछले दो वर्षों के दौरान शेयर बाजार में नए और युवा निवेशकों की संख्या काफी बढ़ी है। इसमें भी कंपनियों और शेयर बाजार के भविष्य के लिए अच्छी बात यह है कि छोटे और मझोले शहरों के निवेशक आईपीओ और अन्य माध्यमों से शेयरों की खरीद-फरोख्त में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दो वर्ष पहले कोरोना संकट से निपटने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बहुत सी कंपनियों का कामकाज बिल्कुल बंद हो गया और उनके कर्मचारी बेरोजगार हो गए। इस बेरोजगारी में उन्हें आय के कम से कम एक वैकल्पिक स्रोत का महत्व समझ में आया।
ऐसे में कोरोना के दौर में बड़ी संख्या में युवा निवेशकों और गृहिणियों ने अपनी थोड़ी-बहुत जमा-पूंजी के साथ शेयर बाजार में इस उम्मीद के साथ कदम रखा कि उन्हें जमा पर बैंकों की किसी भी ब्याज दर या अन्य साधनों के मुकाबले रकम पर बेहतर ब्याज और कमाई हासिल होगी। दूसरी तरफ जिन युवाओं को दोबारा नौकरी मिली या अत्यंत जरूरी खर्च से अधिक कोई आमदनी हुई तो उन्होंने उसे तत्काल निवेश के विभिन्न उपकरणों में लगा दिया, जिसमें शेयर बाजार में स्टॉक्स के माध्यम से निवेश स्वभावतः सबसे आगे रहा है।
इनमें से बहुत से निवेश ने पिछले कुछ महीनों में निवेशकों को अच्छा रिटर्न भी दिया है, जिसने नए और उभरते निवेशकों में शेयर बाजार में और निवेश करने तथा लंबी अवधि तक बने रहने के लिए प्रेरित किया। जानकारों की मानें, तो आईपीओ में किए गए निवेश के कुछ बुनियादी सिद्धांत हैं, जो पिछले कई वर्षों से नहीं बदले हैं। निवेश सलाहकार और रिसर्च संस्था वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार का तो यहां तक कहना है कि आईपीओ को लेकर कुछ बुनियादी बातों में पिछले कई दशकों से कोई बदलाव नहीं हुआ है और ये बातें अमूमन हर दूसरे आईपीओ में दिख जाती हैं।
महज निवेश के लिए निवेश नहीं करें
धीरेंद्र कुमार की मानें तो निवेशकों को कभी भी सिर्फ इसलिए आईपीओ में निवेश नहीं कर लेना चाहिए क्योंकि कहीं ना कहीं निवेश करना है। वर्षों से ऐसा देखा जा रहा है कि बहुत से निवेशकों में आईपीओ में निवेश को लेकर एक होड़ सी मची होती है। कंपनी चाहे कोई भी हो, आईपीओ लांच हुआ नहीं कि वे बिना सोचे-समझे उसमें निवेश कर डालते हैं।
कई बार ऐसे निवेशकों का फंडा भी दिलचस्प होता है। वे मानते हैं कि अगर एक-दो कंपनियों में निवेश से नुकसान हो भी गया तो कोई बात नहीं, कोई एक ऐसी कंपनी तो आएगी जिसमें निवेश से लॉटरी जैसी लग जाएगी। असल में ऐसा कभी नहीं होता। ऐसी सोच रखने वाले निवेशकों को अमूमन नुकसान ही होता है।
कंपनी के नाम पर नहीं जाएं
धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि बहुत से निवेशक कंपनी के नाम को देखकर निवेश करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पेटीएम है। हजारों निवेशकों ने सिर्फ और सिर्फ कंपनी के नाम पर निवेश किया और नतीजा सामने है। वर्तमान में पेटीएम के शेयरों का भाव लगभग एक-तिहाई रह गया है। ऐसा नहीं कि यह पहली बार हुआ है। ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जहां निवेशकों ने सिर्फ कंपनी का नाम देखकर निवेश किया और उन्हें जबर्दस्त घाटा उठाना पड़ा।
इसी तरह, कोरोना संकट के दौर में सितंबर, 2020 में सूचीबद्ध हुआ हैप्पिएस्ट माइंड्स का आईपीओ हो, पिछले वर्ष पेटीएम के करीब एक सप्ताह बाद सूूचीबद्ध हुआ लेटेंट व्यू एनालिटिक्स हो या इस सप्ताह मंगलवार यानी 24 मई को सूचीबद्ध हुआ डेल्हीवरी हो, आम निवेशकों के लिए ये नाम बहुत बड़े या मशहूर नहीं हैं। लेकिन इन सबनेे ओपनिंग के दिन बेहतरीन प्रदर्शन किया और उसके बाद भी इनका कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन रहा है।
ऐसे में क्या करना चाहिए। धीरेंद्र कुमार के अनुसार निवेशकों को हमेशा कंपनी के इतिहास और वर्तमान की पड़ताल करनी चाहिए। यह देखना चाहिए कि कंपनी क्या करती है, उसके कारोबार का स्वरूप क्या है, ग्राहकों की प्रकृति कैसी है और भविष्य में उसकी संभावनाएं क्या हैं। जब भी किसी निवेशक ने इन बातों को नजरअंदाज किया है, उसे नुकसान हुआ है।
निवेश में कुछ समय के लिए टिकें
आईपीओ में निवेश के लिए सबसे जरूरी यह है कि नए निवेशक को कभी भी छोटी अवधि के लिए किसी आईपीओ में निवेश नहीं करना चाहिए। कई बार कंपनी की बुनियाद भी अच्छी होती है, उसका अतीत और वर्तमान बेहतर होता है और भविष्य में भी उस सेक्टर के लिए बड़ी संभावनाएं होती हैं। इसके बावजूद शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के कुछ दिनों या समय तक कंपनी के शेयरों का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहता है।
एलआईसी का आईपीओ इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। एलआईसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। इसका बााजार मूल्यांकन भी लाखों-करोड़ रुपये में है और भविष्य में भी इसके बीमा कारोबार पर किसी नकारात्मक असर की आशंका नहीं के बराबर है। इसके बावजूद कंपनी के शेयर अपनेे इश्यू प्राइस के मुकाबले कम पर कारोबार कर रहे हैं। यह भी पहली बार नहीं हुआ है। इसकी पूूरी उम्मीद है कि कंपनी के शेयर कुछ समय बाद निवेशकों को सकारात्मक रिटर्न देना शुरू करेंगे।
निवेश की जरूरत को समझें
धीरेंद्र कुमार का मानना है कि चाहे आईपीओ हो या किसी और माध्यम से निवेश, किसी भी निवेशक को सबसे पहले यह समझना चाहिए कि उसे निवेश की जरूरत क्यों है। निवेश चाहे किसी भी माध्यम से हो, उसके साथ कोई न कोई लक्ष्य जरूर होना चाहिए। कोई अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए निवेश करता है तो कोई मकान-दुकान के लिए। बहुत से निवेशक नियमित अवधि के बाद आने वाले कुछ निश्चित खर्चों की पूर्ति के लिए, तो अन्य अपनी रिटायरमेंट की जिंदगी बेहतर तरीके से बिताने के लिए निवेश करते हैं। कुल मिलाकर यह है कि निवेशक को पहले खुद यह विचार कर लेना चाहिए कि वह किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निवेश करना चाहता है। अगर लक्ष्य स्पष्ट होंगे तो निवेशक एक निश्चित अवधि के लिए निवेश करेगा। उससे पहले उस निवेश के साथ क्या होता है, उसकी चिंता नहीं रहेगी।
धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि आईपीओ के माध्यम से निवेश की बुनियादी बातें पिछले कम से कम तीन दशकों से नहीं बदली हैं। अक्सर दिख जाता है कि निवेशक भेड़चाल का हिस्सा हो रहे हैं, वे कंपनी का नाम देखकर निवेश कर रहे हैं, बिना किसी सुनियोजित योजना के निवेश कर रहे हैं और निवेश से पहले कंपनी की बुनियाद या उसके रिकॉर्ड के बारे में किसी प्रमाणित पेशेवर की सलाह लिए निवेश कर रहे हैं। अधिकतर मामलों में इस तरह के निवेश से सिर्फ नुकसान होता है।
कुमार के अनुसार शेयर बाजार में निवेश विशेषज्ञता का विषय है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप किसी अच्छी निवेश सलाहकार कंपनी की मदद लें। हालांकि खुद के बूते निवेश करना कहीं से अस्वाभाविक या गलत नहीं है। लेकिन ऐसे मामलों में निवेशक सीखते-सीखते सीख पाता है। इसलिए स्वयं निवेश करने वालों को इसकी शुरुआत सिर्फ उतनी रकम से करनी चाहिए, जितनी डूब भी जाए तो कोई गम नहीं।