एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ये देश के बेरोजगारी संकट को हल करने की कुंजी हैं। एमएसएमई में हस्तशिल्प एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह भारत के निर्यात और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने में मदद करता है।
एमएसएमई मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने पिछसे सप्ताह संसद को बताया कि हथकरघा, हस्तशिल्प और कृषि आधारित उत्पादन क्षेत्र में 15.07 लाख एमएसएमई पंजीकृत हुई हैं, जिनमें 43.15 लाख महिला कर्मचारी हैं। भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा पंजीकृत यूनिट महाराष्ट्र में हैं, जिनकी संख्या 2,47,318 यूनिट हैं, वहीं तमिलनाडु में 2,16,482 यूनिट के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि 1,92,707 यूनिट के साथ गुजरात तीसरे पर है। साथ ही सिक्किम में 140, अरुणाचल प्रदेश 513 और मेघालय में 673 उद्यम पंजीकृत हुए हैं।
तमिलनाडु में हथकरघा, हस्तशिल्प व कृषि आधारित उत्पादन क्षेत्र में पंजीकृत उद्यमों में 11,13,645 महिलाएं कार्यरत हैं। वहीं महाराष्ट्र में 4,64,076 महिलाएं और कर्नाटक में 4,48,112 महिलाएं कार्यरत हैं। आंकड़ों के अनुसार, लक्षद्वीप सबसे कम महिलाओं को रोजगार देने वाला राज्य है। यहां केवल 65 महिलाओं को ही रोजगार मिला है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नवंबर में कहा था कि भारत के हस्तशिल्प जीवित विरासत हैं। उन्होंने सभी उपभोक्ताओं से स्थानीय हस्तकला को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में हस्तशिल्प उद्योग में महिला कारीगरों का वर्चस्व है, जिनमें 56 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं।
इसके अलावा पिछले महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा था कि हथकरघा उद्योग को लाभ पहुंचाने सहित ज्यादा से ज्यादा युवाओं को हथकरघा उत्पादों की ओर आकर्षित करने के लिए उत्पादों में विविधता लानी चाहिए।