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- IIT Guwahati की देन: दुनिया का पहला मेगावॉट स्केल फ्लोटिंग सोलर प्लांट
पब्लिक सेक्टर, राज्य सरकार तंत्र व प्राइवेट कंपनियों के साथ कार्य कर रहा है ये क्वॉंट सोलर
राष्ट्रीय स्तर पर अधिक से अधिक सौर ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करना है उद्देश्य
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (आईआईटी) इनक्यूबेटेड स्टार्टअप क्वॉंट सोलर टेक्नोलॉजीज ने भारत में फ्लोटिंग सोलर टेक्नॉलजी को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी ली है। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का उपयोग करना और जल निकायों का संरक्षण करना है। फ्लोटिंग सोलर प्लांट सौर प्रतिष्ठानों के तीसरे स्तंभ के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो रूफटॉप सोलर और ग्राउंड माउंटेड सोलर के सुस्थापित डोमेन के पूरक माने जाते हैं। फ्लोटिंग सोलर प्लांट बांधों, जलाशयों व अन्य संबंधित जल निकायों पर स्थापित किए जाते हैं। माना जा रहा है कि ये प्लांट वाष्पीकरण हानि को 70 प्रतिशत तक सीमित कर देते हैं। यही वजह है कि मौजूदा जलाशयों के संरक्षण को ध्यान रखते हुए इसके प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
क्वांट सोलर टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक व निदेशक पंकज कुमार ने कहा, आईआईटी गुवाहाटी - टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर (आईआईटीजी-टीआईसी) की अत्याधुनिक सुविधा में स्थापित, क्वांट सोलर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसके अलावा स्वच्छ तकनीक क्रांति में भी इसकी अहम् भूमिका है। पंकज ने कहा कि यह पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक बड़ी शुरुआत है। उन्होंने कहा कि देश भर में फैले हजारों जलाशयों और बड़े जल निकायों के साथ, क्षमता बहुत अधिक है और प्रभाव डालने के अवसर भी असीमित हैं। क्वॉंट सोलर अपनी स्थापना के बाद से कई सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, राज्य सरकार निकायों और निजी कंपनियों के साथ काम कर रहा है। यही नहीं इसने 2 मेगावाट क्षमता का भारत का पहला मेगावाट स्केल फ्लोटिंग सोलर प्लांट (एफएसपी) और एनटीपीसी के लिए 36 मेगावाट का दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट भी प्रदान किया है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के परिदृश्य को आगे बढ़ाते हुए क्वांट सोलर ने फ्लोटिंग सोलर क्षेत्र के भीतर नवाचार को शामिल करते हुए उत्पादों की एक बड़ी श्रृंखला भी पेश की है। इसको लेकर हमारा दृढ़ विश्वास है कि ये प्रगति न केवल बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी, जिससे टिकाऊ बिजली समाधान के एक नए युग की शुरुआत होगी।
क्या होता है फ्लोटिंग सोलर पैनल
फ्लोटिंग सोलर पैनल ऐसे मॉड्यूल होते हैं, जो किसी एक स्थान पर फिक्स नहीं किए जाते। इन्हें मुख्यतः जलाशयों, झीलों व पानी के शांत निकायों जैसे प्लेटफॉर्मों पर लगाया जाता है यानी कि ये तैरते रहते हैं। यही वजह है कि इन्हें फ्लोटिंग सोलर पैनल कहा जाता है। इसका निर्माण भी अन्य सोलर पैनल की अपेक्षा आसान होता है क्यूंकि इन्हें लगाने के लिए किसी भी प्रकार की भूमि को समतल करने या फिर वनस्पति को हटाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस तरह फ्लोटिंग सोलर पैनल पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा फ्लोटिंग सोलर पैनलों की उपस्थिति से जल निकायों से वाष्पीकरण की दर भी कम हो जाती है तो इस तरह से जल संरक्षण को बढ़ावा मिलती है। पर्यावरण संबंधी रिपोर्ट्स की मानें तो फ्लोटिंग सोलर पैनल से प्रतिवर्ष तकरीबन 32.5 लाख घन मीटर जल वाष्पीकरण से बचाया जा सकता है। यही वजह है कि वर्तमान में फ्लोटिंग सोलर पैनल की मांग भी बढ़ रही है।
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