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- IN-SPACe की ओर से आपदा प्रबंधन में काम कर रहे स्टार्टअप को सौगात
चयनित स्टार्टअप को सीड फंड के तहत एक करोड़ रुपए की मिलेगी वित्तीय सहायता
वित्तीय सहायता के अलावा संबंधित सलाह, प्रशिक्षण और नेटवर्किंग संबंधित अवसरों की उपलब्धता भी होगी सुनिश्चित
भारत के निजी क्षेत्र में अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष विभाग (इन-स्पेस) के तहत भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (डॉस) ने हाल ही में शहरी विकास और आपदा प्रबंधन क्षेत्रों में काम करने वाले स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए अपनी सीड फंड योजना की घोषणा की। इसके तहत चयनित स्टार्टअप सलाह और प्रशिक्षण और नेटवर्किंग अवसरों तक पहुंच के साथ-साथ 1 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगे। चयनित स्टार्टअप सलाह और प्रशिक्षण और नेटवर्किंग अवसरों तक पहुंच के साथ-साथ 1 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगे।
फंडिंग को लेकर इन-स्पेस की ओर से कहा गया कि यह फंडिंग अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एक मूल विचार को प्रोटोटाइप में बदलने के लिए, अवधारणा के सत्यापन के लिए पृथ्वी अवलोकन (ईओ) डेटा सहित इसरो सुविधा समर्थन, परामर्श समर्थन और डॉस से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के रूप में डेटा एल्गोरिदम तक पहुंच प्रदान करने के लिए प्रदान की जाएगी। इन-स्पेस के अध्यक्ष डॉ. पवन गोयनका ने कहा सीड फंड योजना स्टार्ट-अप की सक्रिय भागीदारी के साथ देश की अंतरिक्ष गतिविधि क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विशेष जोर देने के लिए इन-स्पेस के प्रयासों का एक हिस्सा है। यह योजना भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप का समर्थन करने के लिए डिजाइन की गई है, जिसका उद्देश्य नवीन अंतरिक्ष उत्पादों और सेवाओं को विकसित करना है। इस योजना को लेकर हमें पूरी उम्मीद है कि भारत और दुनिया भर में लोगों और समुदायों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार जरूर होगा।
इनका भी उठा सकते हैं लाभ
गोयनका ने कहा कि शहरी विकास के क्षेत्र में, स्टार्टअप शहरी नियोजन, निगरानी और बुनियादी ढांचे प्रबंधन, दूरसंचार, नेविगेशन, ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, जल संसाधन प्रबंधन, ऊर्जा दक्षता, जलवायु और मौसम की निगरानी, आपदा जोखिम में कमी, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवा और जैसे विभिन्न कार्यक्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं। इसी के मद्देनजर स्टार्टअप के लिए वित्तीय सहायता की शुरुआत की गई है। इस सुविधा से अधिक से अधिक स्टार्टअप को लाभ मिलेगा और वे अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार कर सकेंगे। इसके अलावा आपदा प्रबंधन के तहत भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस), प्रारंभिक चेतावनी और निगरानी प्रणाली, बीमा और जोखिम मूल्यांकन, संचार और नेविगेशन प्रणाली, जलवायु परिवर्तन निगरानी, खोज और बचाव अभियान, अंतरिक्ष-जनित सेंसर और उपकरण आदि जैसे क्षेत्रों को भी शमिल किया गया है। इन क्षेत्रों में कार्य कर रहे स्टार्टअप को भी इस वित्तीय सुविधा का लाभ मिलेगा।
अंतरिक्ष का बाजार भी समझ लें
अब अगर आप यह जानना चाहते हैं कि अंतरिक्ष का बाजार कितना बड़ा है तो सरकार के इन्वेस्ट इंडिया पोर्टल के अनुसार वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में दो से तीन प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ 2020 में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र का मूल्य 960 करोड़ था। यह क्षेत्र 2025 तक बढ़कर 1300 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, जबकि भारत का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में लगभग 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का है।