ग्रेटर नोएडा के दादरी स्थित एक छोटे से गांव छायसां के 10वीं का छात्र उत्कर्ष बहुत जल्द अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा जाएगा। फिलहाल यूपी बोर्ड से 10वीं की परीक्षा दे रहे 15 वर्षीय उत्कर्ष ने जनवरी में एक विज्ञान प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, जिसमें उसने वायरलेस इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जर बनाया था।
उत्कर्ष वहां जो प्रोजेक्ट तैयार करके ले गया था, वह मात्र 150 रुपये लागत की थी, जबकि प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अन्य छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट्स पर 25 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक खर्च किए थे। उत्कर्ष कहता है कि तब उसे लगा था कि दूसरे बच्चों के सामने वह कहां टिक पाएगा, लेकिन इतनी कम उम्र में उत्कर्ष के आइडिया और इनोवेशन को सुनकर जिला मजिस्ट्रेट बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने उत्कर्ष को एक ऐसी टीम का हिस्सा बना दिया, जो रोवर बना रही है। अब ये रोवर बनकर तैयार हो गया है, जिसे नासा में एक ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज में हिस्सा लेना है। टीम के साथ उत्कर्ष जल्द नासा पहुंचेगा।
उत्कर्ष के लिए यहां तक सफर आसान नहीं रहा। जब उत्कर्ष महज 7 साल का था, तभी उसके पिता उपेंद्र को ब्रेन हैमरेज हो गया था। वह तीन महीने बिस्तर पर थे। उत्कर्ष के दादा सुरेंद्र सिंह खेती करके घर का खर्च निकालते हैं, जिसमें उत्कर्ष उनकी मदद करता है। आगे चलकर डिजाइनिंग इंजीनियरिंग करने की ख्वाहिश रखने वाला उत्कर्ष शुरू से ही सरकारी स्कूल का छात्र रहा है और आज भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ाई कर रहा है।
उत्कर्ष की मां बताती हैं कि वह हमेशा से ही पढ़ाई को लेकर बहुत गंभीर है। स्कूल से घर लौटते ही वह फिर से पढ़ाई करने बैठ जाता है। हालांकि, उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि उनका बेटा नासा तक पहुंच जाएगा। ब्रेन हैमरेज के बाद घर लौटे उत्कर्ष के पिता ने बताया कि यह उनके लिए बेहद गर्व का दिन है, जब उनका बेटा पूरे परिवार का सपना पूरा करेगा।