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- QS World University Ranking: उच्च शिक्षा में चीन को पछाड़कर आगे निकला भारत
क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। रैंक प्राप्त करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या चीन को पछाड़कर आगे पहुंच गई है। भारत की 148 यूनिवर्सिटीज ने रैंकिंग में जगह बनाई है। चीन के संस्थानों की संख्या इस बार 133 है। पिछली रैंकिंग के मुकाबले इस बार भारत के विश्वविद्यालयों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पिछले साल की तुलना में इस बार 37 विश्वविद्यालय ज्यादा हैं। भारत की 21 यूनिवर्सिटी ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है।
भारत ने आउटबाउंड स्टूडेंट मोबिलिटी यानी विदेश जाने वाले छात्रों में भी उपलब्धि हासिल की है। अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ भारत बीते 15 वर्षों में पहली बार चीन से आगे निकल गया है। वर्ष 2014 में क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में मात्र 16 भारतीय संस्थान ही शामिल थे, लेकिन अब यह संख्या 150 के करीब जा पहुंची है यानी पिछले कुछ वर्षों में उच्च शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। जारी रैंकिंग के मुताबिक, इस सूची में सबसे ज्यादा यूनिवर्सिटी भारत की हैं। इसके बाद चीन के 133 और जापान के 96 संस्थान हैं। म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल ने पहली बार रैकिंग सूची में जगह पाई है।
आईआईटी दिल्ली (46वें स्थान) और आईआईटी मद्रास (53वां स्थान) ने पिछले साल की तरह इस साल भी अपना स्थान कायम रखा है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (58वें), आईआईटी खड़गपुर (59वें), आईआईटी कानपुर (63वें) और दिल्ली यूनिवर्सिटी (94वें) स्थान पर हैं। टॉप 100 में भारत के सात संस्थान हैं, जिसमें से पांच आईआईटी (बाॅम्बे, दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर और कानपुर) हैं। पिछले साल भी ये सभी संस्थान टॉप 100 में थे। लेकिन खास बात यह है कि इस बार भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों का नंबर रैंकिंग में पिछले साल से कहीं ज्यादा है और यह अहम है। आईआईटी गुवाहाटी (111), आईआईटी रूड़की (116) और जेएनयू को (117वां) स्थान मिला है।
इसके अलावा चंड़ीगढ़ यूनिवर्सिटी, वेल्लौर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, अन्ना यूनिवर्सिटी भी टॉप 200 में जगह बनाने में कामयाब हुई हैं। भारत शैक्षणिक प्रतिष्ठा और नियोक्ता प्रतिष्ठा में क्षेत्रीय औसत से नीचे है, लेकिन इसने 10 से अधिक विश्वविद्यालयों के साथ उच्च शिक्षा व्यवस्था में प्रति संकाय ‘मीट्रिक पेपर’ में दूसरा सबसे अच्छा क्षेत्रीय परिणाम हासिल किया है। शिक्षा मंत्रालय की कोशिश है कि वर्ल्ड रैंकिंग में ज्यादा से ज्यादा भारतीय शिक्षा संस्थान शामिल हों।
क्यूएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन सॉटर ने कहा, ‘क्यूएस रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य के विस्तार को दर्शाती है। भारत दो महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को संतुलित करने का प्रयास करता प्रतीत होता है, जो देश में बड़ी संख्या में छात्राओं की जरूरतों को पूरा करना और अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए अपनी अपील को बढ़ाना है।'
QS (Quacquarelli symonds) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग पोर्टफोलियो 2004 में शुरू हुआ था। वर्ल्ड की टॉप यूनिवर्सिटी के प्रदर्शन के बारे में तुलनात्मक डाटा के आधार पर रैंकिंग तैयार की जाती है। इस रैंकिंग सिस्टम की विश्व में काफी अहमियत मानी जाती है और विदेशों में यूनिवर्सिटी का चयन करते समय छात्र क्यूएस रैंकिंग को भी ध्यान में रखते हैं।