ICE वाहनों से महंगे क्यों है EV,जानिए इसके पीछे की असली वजह!

ICE वाहनों से महंगे क्यों है EV,जानिए इसके पीछे की असली वजह!

ICE वाहनों से महंगे क्यों है EV,जानिए इसके पीछे की असली वजह!
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की कीमतें पारंपरिक ICE वाहनों से अधिक क्यों हैं? यह लेख बैटरी लागत, उत्पादन सीमितता, टेक्नोलॉजी निवेश और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी प्रमुख वजहों का विश्लेषण करता है।

आजकल इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, लेकिन जब कीमत की बात आती है, तो ये पारंपरिक पेट्रोल और डीजल इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में महंगे नजर आते हैं। आखिर ईवी की कीमत ज्यादा क्यों होती है? क्या यह एक अच्छा निवेश है? आइए विस्तार से समझते हैं।

ईवी की सबसे महंगी चीज़ उसकी बैटरी होती है। लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण में दुर्लभ धातुएं जैसे लिथियम, कोबाल्ट और निकल का उपयोग किया जाता है। इन धातुओं की कीमतें अधिक होने के साथ-साथ इनका खनन और प्रोसेसिंग भी महंगा पड़ता है, जिससे ईवी की कीमत बढ़ जाती है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि बैटरी टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है, जिससे आने वाले समय में ईवी की कीमतें कम हो सकती हैं।

आईसीई (ICE) वाहन दशकों से बाजार में हैं, और उनका बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है, जिससे लागत कम रहती है। लेकिन ईवी अभी भी नई टेक्नोलॉजी है और इनका उत्पादन सीमित संख्या में होता है। कम उत्पादन के कारण प्रति वाहन लागत अधिक होती है, जिससे इनकी कीमतें अधिक रहती हैं।

ईवी में नई और एडवास टेक्नॉलोजी का उपयोग किया जाता है। बैटरी टेक्नॉलोजी, मोटर डिजाइन और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर कंपनियों को भारी निवेश करना पड़ता है। इसके अलावा, रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) की लागत भी उपभोक्ताओं को वहन करनी पड़ती है। यही कारण है कि ईवी की कीमतें अभी तक आईसीई (ICE) वाहनों के मुकाबले अधिक हैं।

ईवी  के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाना और उनका संचालन महंगा होता है। हालांकि सरकार और निजी कंपनियां इस दिशा में निवेश कर रही हैं, लेकिन जब तक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह विकसित नहीं हो जाता, तब तक ईवी की कीमतों में गिरावट आने की संभावना कम है।

 भारत में FAME II जैसी योजनाओं के तहत ईवी  पर सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन फिर भी इनकी कीमतें अधिक बनी हुई हैं। दूसरी ओर, ICE वाहनों पर पहले से ही मजबूत सप्लाई चेन और सरकार द्वारा तय किए गए टैक्स स्ट्रक्चर के कारण उनकी लागत कम रहती है।

हालांकि ईवी  की शुरुआती कीमत अधिक होती है, लेकिन इनका मेंटनेंस बहुत कम होता है। ईवी में कम चलने वाले पार्ट्स होते हैं और इन्हें नियमित सर्विसिंग की कम आवश्यकता पड़ती है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, ईवी के उपयोग से लंबे समय में काफी पैसे बचाए जा सकते हैं।

एलएमएल के एमडी और सीईओ डॉ. योगेश भाटिया ने कहा "आईसीई वाहनों की तुलना में ईवी की उच्च लागत मुख्य रूप से बैटरी के कारण होती है, जो कुल कीमत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। हालांकि बैटरी टेक्नॉलोजी में प्रगति और बड़े पैमाने पर उत्पादन से लागत में कमी आ रही है, लेकिन कच्चे माल की उपलब्धता, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और स्थानीय उत्पादन जैसे कारक मूल्य समानता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे-जैसे सप्लाई चेन स्थिर होगी और सरकारी नीतियां ईवी अपनाने को सपोर्ट देंगी, हम एक अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य परिदृश्य की उम्मीद करते हैं।"

 निष्कर्ष

ईवी की कीमतें अभी भले ही अधिक हों, लेकिन टेक्नोलॉजी में हो रहे सुधार और सरकार की नीतियों के चलते यह जल्द ही ICE वाहनों के बराबर या उससे भी सस्ती हो सकती हैं। अगर आप लॉन्ग-टर्म सेविंग, कम मेंटनेंस, और पर्यावरण के प्रति योगदान को ध्यान में रखते हैं, तो ईवी खरीदना आपके लिए एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है।

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