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- अटल बिहारी वाजपेयी के सर्व शिक्षा अभियान से शिक्षकों को सीखनी चाहिए ये बातें
देश के प्रशंसित नेताओं में से एक स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के विभिन्न सेगमेंट जिसमें शिक्षा इंडस्ट्री भी शामिल है को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अपनी बाहरी शक्ति का प्रयोग किया ताकि वे प्राथमिक शिक्षा इंडस्ट्री को बदल पाएं और वे इसमें स्थिरता ला पाएं।
भारत की शिक्षा इंडस्ट्री को बदलने और आकार देने के लिए 2000 से अस्तित्व में आया सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) वाजपेयी जी का ही विचार था। इस प्रोजेक्ट में छह से चौदह साल के बीच के उम्र के बच्चों को मुफ्त, अनिवार्य और क्वालिटी पूर्ण शिक्षा देने पर ध्यान केंद्रित रहा है।
इनके इस मिशन ने बहुत से व्यवसायों को विचार और विकल्प प्रदान किए जिसके कारण पूरी पीढ़ी ही बदल गई। यहां हम उन विचारों पर चर्चा करेंगे जिन्होंने शिक्षा उद्यमियों के लिए रास्ते का निर्माण किया है:
सर्व शिक्षा अभियान के समान प्रोजेक्ट को पेश करना
इस जटिल प्रतिस्पर्धी इंडस्ट्री में फ्रैंचाइज़र बहुत से प्रोजेक्ट जैसे सर्व शिक्षा अभियान के साथ आ सकता है जो छात्रों को आसान और उचित शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। लोगों का झुकाव अनुभव की तरफ होने के कारण नए प्रोजेक्ट के साथ आने से शिक्षकों को इस इंडस्ट्री में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने, शिक्षा और व्यक्तिगत व्यवसाय दोनों को बदलने की अनुमति देता है।
स्कूल छोड़ने वाले आंकड़े में कमी
2013 में केंद्र द्वारा जारी बयान के अनुसार, सर्व शिक्षा अभियान की सफलता के कारण स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या जो 2009 में 80 लाख थी वह 2012 में कम होकर 30 लाख हो गई है।
वर्तमान में सर्व शिक्षा अभियान की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, देश में प्राथमिक स्तर पर 66.27 लाख शिक्षकों के साथ 19.67 करोड़ बच्चों ने 14.5 लाख प्राथमिक स्कूलों में नामांकन किया है।
यह माना जाता है कि ऐसे अभियान और प्रोजेक्ट बेहतर अकादमिक आंकड़ों और परिणाम को लेकर आते हैं। उद्यमी छात्रों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर दें और अपने भविष्य के विकास के लिए प्रोजेक्ट का बेहतर उपयोग कर सकते हैं।
इस प्रकार, सभी को समान अवसर प्रदान कर नेता और उद्यमी दोनों ही मिलकर एक बेहतर और शिक्षित देश बना सकते हैं।