आज के समय में हर कोई डिजिटल की तरफ बढ़ चुका है और डिजिटल पेमेंट के समय किसी को कोई पेमेंट करने वक्त हिचकिचाहट नही होती है बस डर होता है तो सिर्फ इंटरनेट का की कही इंटरनेट की स्पीड कम न हो जाए या फिर नटवर्क एरिये में आने पर ही इंटरनेट चलता है या फिर आप किसी गांव में गए हो तो वहा आपको प्रोबल्म हो सकती है तो इन सब तमाम बातों पर अब कोई टेंशन नही रहेगी क्योकि भारतीय रिजर्व बैंक ने एक रूपरेखा तैयार की है जिसमें इंटरनेट के बिना आप पेमेंट कर सकेंगे।
गांवों और कस्बों में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक रूपरेखा जारी की है। इस रूपरेखा में आरबीआई ने प्रति ट्रांजेक्शन 200 रुपये तक के ऑफलाइन भुगतान की अनुमति दी है। इसकी ओवरऑल लिमिट 2,000 रुपये तय की गई है। ऑफलाइन डिजिटल भुगतान का मतलब ऐसे लेनदेन से है जिसमें इंटरनेट या दूरसंचार कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं होती।
ऑफलाइन मोड में भुगतान आमने-सामने किसी भी माध्यम मसलन कार्ड, वॉलेट और मोबाइल डिवाइस से किया जा सकता है। आरबीआई ने कहा कि इन लेनदेन के लिए एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन की जरूरत नहीं होगी। क्योकि इस मे भुगतान ऑफलाइन होगा इसलिए ग्राहकों को एसएमएस या ई-मेल के जरिये ‘अलर्ट’ कुछ समय बाद मिलेगा।
लेन-देन डिटेल्स प्राप्त होते ही जारीकर्ता उपयोगकर्ताओं को ट्रांजैक्शन अलर्ट भेजेगा। हर लेनदेन के लिए अलर्ट भेजने की कोई जरूरत नहीं होगी। हालांकि प्रत्येक लेनदेन को डिटेल तरीके से सूचित किया जाएगा। वहीं शिकायत निवारण की सुविधा रिजर्व बैंक के इंटीग्रेटेड ओम्बुड्समैन के पास होगी।
केंद्रीय बैंक ने कहा देश के अलग-अलग हिस्सों में सितंबर, 2020 से जून, 2021 के दौरान पायलट आधार पर ऑफलाइन लेनदेन शुरू किया गया था। इस पर मिली प्रतिक्रिया के आधार पर यह रूपरेखा तैयार की गई।
रिजर्व बैंक ने कहा की ऑफलाइन ट्रांजेक्शन से कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन मिलेगा। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि ऑफलाइन भुगतान का इस्तेमाल ग्राहकों की अनुमति के बाद ही किया जा सकता है।
अब गांव के लोगों के लिए भुगतान करना आसान हो जाएगा वह बिना इंटरनेट के पेमेंट कर सकेंगे।