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अब मदरसों में भी पढ़ाई जाएगी रामायण, वक्फ बोर्ड ने लिया फैसला

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jan 30, 2024 - 2 min read
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वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में कुल 415 मदरसे हैं, जिनमें से 117 वक्फ बोर्ड के अधीन आते हैं। उन्होंने कहा कि इन मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है। मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं अब नबियों और पैगंबरों के साथ-साथ श्रीराम के किरदार को भी करीब से जान सकेंगे।

उत्तराखंड के मदरसों में आगामी सत्र से बच्चों को रामायण का पाठ भी कराया जाएगा। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा है कि वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाले मदरसों में बच्चों को संस्कृत भी पढ़ाया जाएगा। इसी दौरान उन्हें रामायण भी पढ़ने को मिलेगी, जिससे उन्हें अपनी संस्कृति से जुड़ने का मौका मिल सकेगा। इससे पहले भी एक बार ऐसा ही एक फैसला लिया गया था, कुछ मौलानाओं ने तब उस फैसले का जबरदस्त विरोध किया था।

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में कुल 415 मदरसे हैं, जिनमें से 117 वक्फ बोर्ड के अधीन आते हैं। उन्होंने कहा कि इन मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है। मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं अब नबियों और पैगंबरों के साथ-साथ श्रीराम के किरदार को भी करीब से जान सकेंगे। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के सभी मुसलमान पहले हिन्दू थे, जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया और मुसलमान बने। ऐसे में अपने पूर्वजों को जानना और उनकी परंपरा को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। यही कारण है कि विकसित भारत की तर्ज पर मदरसों में भी बदलाव लाने का काम किया जा रहा है ताकि सभी धर्म और जाति के छात्र-छात्राएं उनमें शिक्षा ले सकें।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की शिक्षा बेहतर बनाने के लिए एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में लैपटॉप देने का संकल्प लिया है। ऐसे में इस पहल के माध्यम से वक्फ बोर्ड ने दिखाया है कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक नए दृष्टिकोण का समर्थन किया जा सकता है। यह एक प्रयास है ताकि समृद्धि के पथ पर एक समृद्ध और एकत्रित समाज बन सके। इसके अलावा, इस फैसले का एक महत्वपूर्ण पहलु यह भी है कि यह एक सांस्कृतिक मेलजोल की पहल है, जिससे अलग-अलग धर्मी समुदायों के बीच सांस्कृतिक विशेषता को समझा जा सकता है। इससे धर्म और सांस्कृतिक समृद्धि की भावना बनी रह सकती है, जो समृद्धि और सहयोग की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रयास के तहत धार्मिक सहिष्णुता और सामंजस्य की भावना को सुनिश्चित किया जाए।

बच्चों को मदरसों में रामायण का पाठ पढ़ाने के लिए स्पेशल टीचर रखे जाएंगे। यह बच्चों को किताबों के माध्यम से श्रीराम के चरित्र से रूबरू कराएंगे। इससे पहले शादाब शम्स ने कहा था कि अब से मदरसों में संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी तो वहीं मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष समूह काजमी ने तो बच्चों को मदरसों में वेदों का ज्ञान दिए जाने तक की बात कही थी। वक्फ बोर्ड द्वारा उत्तराखंड के मदरसों में रामायण का पठन शुरू करने का फैसला महत्वपूर्ण है और इसे सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाने का प्रयास भी कहा जा सकता है। इसके माध्यम से, मदरसे के छात्रों को हिंदू धर्म की प्रमुख कृति- रामायण का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा।

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