व्यवसाय विचार

आईआईटी मद्रास में दूरसंचार सचिव ने की 100 5-जी प्रयोगशालाओं की शुरुआत

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Apr 08, 2024 - 2 min read
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IIT मद्रास में दूरसंचार सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने 100, 5-जी प्रयोगशालाओं के लिए प्रायोगिक लाइसेंस मॉड्यूल में से एक प्रयोगशाला की वर्चुअल माध्यम से शुरुआत की। इसका उद्देश्य इन प्रयोगशाला संस्थानों की प्रायोगिक लाइसेंस आवश्यकताओं को सरल बनाना है।

भारत में शैक्षणिक संस्थानों में 100 5-जी प्रयोगशालाओं के लिए प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने के लिए, दूरसंचार सचिव, डॉ. नीरज मित्तल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास में 5-जी कार्यशाला के दौरान वर्चुअल माध्यम से "100 5-जी प्रयोगशाला के लिए प्रायोगिक लाइसेंस मॉड्यूल" में से एक प्रयोगशाला का शुभारंभ किया। इस पहल का उद्देश्य इन संस्थानों के लिए प्रायोगिक लाइसेंस आवश्यकताओं को सरल बनाना, सुचारू संचालन की सुविधा प्रदान करना और 5-जी क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहन प्रदान करना है।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने देश भर के शैक्षणिक संस्थानों को '100 5-जी यूज़ केस लैब्स' दिए है। इस पहल के पीछे प्राथमिक उद्देश्य विद्यार्थियों और स्टार्ट-अप समुदायों के बीच 5-जी प्रौद्योगिकियों में दक्षता और जुड़ाव पैदा करना है। ये प्रयोगशालाएं विभिन्न प्रयोगों और परीक्षण उपयोग के मामलों के लिए 5-जी फ्रीक्वेंसी बैंड का उपयोग करेंगी। इसलिए, उन्हें लाइसेंस प्राप्त दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) के लिए हस्तक्षेप-मुक्त संचालन सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार विभाग से प्रायोगिक (गैर-विकिरण) श्रेणी का लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता है।

यह लाइसेंस वर्तमान में राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडबल्यूएस) के माध्यम से दूरसंचार विभाग (डीओटी) के सरलसंचार पोर्टल से "स्व-घोषणा स्वरूप" पर जारी किया जा रहा है। जुलाई 2021 में सरलसंचार पोर्टल पर इस मॉड्यूल के शुभारंभ के बाद से अब तक लगभग 1500 लाइसेंस दिए गए हैं। वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार, आवेदक को प्रयोगात्मक लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले प्रयोग, सेटअप की योजना, उपकरण का विवरण, संचालन की फ्रीक्वेन्सी बैंड आदि के बारे में आवश्यक विवरण भरना होगा।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने अब राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडबल्यूएस) पोर्टल (https://www.nsws.gov.in/) पर एक विशिष्ट अनुमोदन प्रकार, '100 5-जी प्रयोगशालाओं के लिए प्रायोगिक लाइसेंस' के माध्यम से इस लाइसेंस को जारी करने के लिए एक सरलीकृत प्रक्रिया प्रस्तुत की है।

नई प्रक्रिया की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित प्रकार से हैं:

दक्षता: यह तकनीकी विशिष्टताओं और योजनाबद्ध विवरणों को पहले से भरकर, मैन्युअल प्रयास और समय को कम करके आवेदन प्रक्रिया को स्वचालित करता है।

तात्कालिक लाइसेंसिंग: आवेदक अब "स्व-घोषणा स्वरूप" के माध्यम से प्रायोगिक लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं और इसे एक क्लिक के साथ तुरंत डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे परिचालन की त्वरित शुरुआत सुनिश्चित हो सकेगी।

सरलीकृत आवेदन: केवल बुनियादी जानकारी जैसे संस्थान का पता, अधिकृत कर्मचारी और 5000 रुपये के मामूली शुल्क के साथ आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया है, जिससे यह व्यापक स्तर के संस्थानों के लिए अधिक सुलभ हो गया है।

नवाचार के लिए समर्थन: यह पहल नवाचार को महत्वपूर्ण रूप से समर्थन देने, दक्षताओं को विकसित करने और 5-जी प्रौद्योगिकी तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने और परिवर्तनकारी अनुप्रयोगों के लिए इसकी क्षमता का पता लगाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम आगे है।

अधिक जानकारी के लिए उपयोगकर्ता नियमावली https://saralsanchar.gov.in पर उपलब्ध है। इसके अलावा आधिकारिक ज्ञापन https://dot.gov.in/ पर देखा जा सकता है।

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