व्यवसाय विचार

आज के शिक्षा पारितंत्र में कौशल प्रशिक्षण का महत्व

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 12, 2018 - 3 min read
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शैक्षिक परितंत्र में कौशल प्रशिक्षण महत्वपूर्ण क्यों है, उससे क्या लाभ मिलते हैं और उससे खुद के विकास में कैसे मदद होती है, इन पर एक दृष्टिकोण।

जनसांख्यिकी लाभांश की दृष्टि से विश्व का सबसे युवा देश होने के बावजूद, भारत की सिर्फ 2% श्रमशक्ति कुशल है, जबकि तुलना में द.कोरिया की 96%, चीन की 45%, यूएसए की 50-55% और जर्मनी की 74% श्रमशक्ति कुशल है। इतने सारे वर्ष हम उच्च शिक्षा पर ध्यान देते रहे और एम्प्लॉएबिलिटि कोशंट या रोजगार क्षमता बढ़ाने और कौशल प्रशिक्षण प्रयासों द्वारा कुशल मानव-शक्ति निर्माण करने की दिशा में विशेष कुछ नहीं किया।

भारतीय शिक्षा क्षेत्र ने संस्थाओं तथा छात्रों की संख्या के हिसाब से पिछले कुछ दशकों में तेज विकास किया है। यूजीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 1950-51 में 30 विश्वविद्यालयों से संलग्न 750 महाविद्यालय थे। 2014-15 में यही संख्याएं बढ़्कर 727 विश्वविद्यालय, 35,000 महाविद्यालय और 13,000 स्वायत्त संस्थान इतनी हो गई हैं।

इतने जबरदस्त सांख्यिकी विकास के बावजूद, उच्च शिक्षा युवाओं को नियोक्ता की आवश्यकतनुसार नौकरी में लेने योग्य बनाने में खास सफल नहीं हो पाई है। इसका कारण है   निम्न कौशल या लो स्किल कोशंट।

आज के वैश्विकरण के युग में, कौशल प्रशिक्षण किसी भी देश के स्वस्थ आर्थिक विकास के हेतु बढ़ती कार्यक्षमता और उत्पादकता के लिए अनिवार्य घटक है। भारत में ये अभी प्राथमिक अवस्था है, हालांकि कुशल श्रमशक्ति की मांग बहुत बड़ी है। इस खाई को पाटने के लिए कौशल परितंत्र की पुनर्रचना करना आवश्यक है।

एक ओर जहां भारत वैश्विक आर्थिक महासत्ता बनने की अपनी राह बना रहा है, उसकी कामकाजी जनसंख्या को रोजगारक्षम कौशल से लैस करना बहुत जरूरी है। आज भारत विश्व के सबसे युवा देशों में से एक है। उसकी 62% से अधिक जनसंख्या कामकाजी आयु वर्ग (15-59 वर्ष) में है और कुल जनसंख्या के 54% से लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं।

कौशल आधारित शिक्षा रोजगार क्षमता पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन मुद्दों पर काम करती है:

छात्रों को व्यावहारिक और क्रियाशील कौशल करना, जो उन्हें रोजगार के लिए तैयार बनाए।

रोजगार आधारित कौशल व्यापक विशेषज्ञता की ओर ले जाता है, जिससे प्रत्याशी की प्रभावकारिता बढ़ती है।

कौशल विकास हस्तक्षेप की मदद से आत्मविश्वास बढ़ता है, केंद्रित परिणाम-आधारित शिक्षा के द्वारा व्यक्ति की उत्पादकता और क्षमता का विकास होता है।

2014 में हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में कौशल विकास को बढ़ावा मिलने लगा – उन्होंने ‘स्किल इंडिया मिशन’ को प्रोत्साहन दिया और सभी कौशल विकास गतिविधियों का संचालन करने, क्षमता और तांत्रिक/व्यावहारिक प्रशिक्षण के संरचना-निर्माण और उसके मूल्यांकन के लिए कौशल विकास तथा उद्यमिता कौशल मंत्रालय का निर्माण भी किया। ये मंत्रालय 2022 तक 40 करोड़ श्रमशक्ति को कुशल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

एमएसडीई ने इस परिणाम-आधारित कौशल विकास योजना की फ्लैगशिप ‘प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना’ का शुभारंभ किया। इस कौशल प्रमाणिकरण और पुरस्कार योजना का उद्देश्य है भारतीय युवाओं को भारी संख्या में इस परिणाम-आधारित कौशल विकास योजना में सहभागी होने के लिए प्रेरित करना ताकि वे रोजगार-क्षम बन जाएं और अपनी आजीविका कमा सकें।

नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, एमएसडीई के अंतर्गत एक केंद्रीय आधारभूत संस्था है, जो प्रशिक्षण भागिदारों को वित्तीय सहायता देकर सशक्त कौशल प्रशिक्षण क्षमता का निर्माण करने के लिए जिम्मेदार है।

एनएसडीसी, नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के अंतर्गत सभी प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित और संलग्न करने पर काम कर रही है, जैसा कि राष्ट्रीय कौशल विकास नीति में निश्चित किया गया है। प्रस्तुत नीति का लक्ष्य सम्पूर्ण विश्व में मान्यता-प्राप्त प्रमाणित परितंत्र को लाना है।

भारत आने वाले वर्षों में कुशल राष्ट्रों में से एक के रूप में पहचान पाने के लिए सज्ज है। अब समय आ गया है कि उच्च शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण दोनों का एक साथ, एक ही जगह, एक ही पाठ्यक्रम के भाग के रूप में सहज और एकत्रित अस्तित्व हो। ये साध्य करने के लिए, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र ने एक साथ काम करते हुए शिक्षा और रोजगारक्षम विशेषताओं से युक्त व्यावहारिक और क्रियाशील प्रत्याशियों को तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण है।

यह लेख आईटीएम ग्रुप ऑफ इंस्टिट्युशन्स के वाईस प्रेसिडेंट, अनुपम सिन्हा द्वारा लिखित है

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