व्यवसाय विचार

आदिवासी कला और रोजगार को बढ़ाने का माध्यम बना 'आदि महोत्सव'

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Feb 16, 2023 - 5 min read
आदिवासी कला और रोजगार को बढ़ाने का माध्यम बना 'आदि महोत्सव' image
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आज विशाल राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव- 'आदि महोत्सव' का आगाज़ किया। आदिवासी संस्कृति, कला, खान-पान, व्यापार और पारंपरिक कला के माध्यम से आदिवासियों की आत्मा को समझते हुए इस महोत्सव के जरिये उसे एक मंच देने की कोशिश की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' के दौरान 'आदि महोत्सव' को भारतीय आदिवासी विरासत की एक विशाल तस्वीर पेश करने वाला बताया। भारतीय आदिवासी समुदायों की गौरवपूर्ण 'तबला वादन' शैली पर जोर डालते हुए कहा कि उन्होंने आगे कहा, "आज मुझे मौका मिला है कि मैं देश की आदिवासी परंपरा की इस गौरवशाली झांकी को देख सकूं। तरह-तरह के रस, तरह-तरह के रंग! इतनी खूबसूरत पोशाकें, इतनी गौरवमयी परम्पराएं! भिन्न-भिन्न कलाएं, भिन्न-भिन्न कलाकृतियां! भांति-भांति के स्वाद, तरह-तरह का संगीत, ऐसा लग रहा है जैसे भारत की अनेकता, उसकी भव्यता, कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ खड़ी हो गई हैं।

बैम्बू प्रॉडक्ट्स अब एक बड़ी इंडस्ट्री

प्रधानमंत्री ने कहा, "आज भारत के पारंपरिक, ख़ासकर जनजातीय समाज द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। आज पूर्वोत्तर के उत्पाद विदेशों में भी निर्यात हो रहे हैं। बैम्बू से बने उत्पादों की लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि हो रही है। आपको याद होगा कि पहले की सरकार के समय में बैम्बू को काटने और उसके इस्तेमाल पर कानूनी प्रतिबंध लगाए गए थे। हम बैम्बू को घास की कैटेगरी में ले आए और उस पर जितने भी प्रतिबंध लगे थे, उन्हें हमने हटा दिया। इससे बैम्बू प्रॉडक्ट्स अब एक बड़ी इंडस्ट्री का हिस्सा बन रहे हैं। आदिवासी उत्पाद ज्यादा से ज्यादा बाज़ार तक पहुंचें, इनकी पहचान बढ़े, इनकी मांग बढ़े, सरकार इस दिशा में भी लगातार काम कर रही है।

स्वयं सहायता समूहों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार

"'वन-धन मिशन' का उदाहरण हमारे सामने है। देश के अलग-अलग राज्यों में तीन हजार से ज्यादा वन-धन विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। साल 2014 से पहले ऐसे बहुत कम, लघु वन उत्पाद होते थे, जो एमएसपी के दायरे में आते थे। अब यह संख्या बढ़कर सात गुना हो गई है। अब ऐसे करीब 90 लघु वन उत्पाद हैं, जिन पर सरकार मिनिमम सपोर्ट एमएसपी प्राइस दे रही है। 50 हजार से ज्यादा वन-धन स्वयं सहायता समूहों के जरिए लाखों जनजातीय लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। देश में जिस स्वयं सहायता समूहों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार हो रहा है, उसका भी फायदा आदिवासी समाज को हुआ है। 80 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) इस समय अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं। इन समूहों में सवा करोड़ से ज्यादा आदिवासी सदस्य हैं, उसमें भी हमारी माताएं-बहनें हैं। इसका भी बड़ा लाभ आदिवासी महिलाओं को मिल रहा है।

पारंपरिक कारीगरों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा योजना'

"आज सरकार का जोर जनजातीय कला को प्रमोट करने, जनजातीय युवाओं की क्षमता को बढ़ाने पर भी है। इस बार के बजट में पारंपरिक कारीगरों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा योजना' शुरू करने की घोषणा भी की गई है। 'पीएम विश्वकर्मा योजना' के तहत आपको आर्थिक सहायता और स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही प्रॉडक्ट की मार्केटिंग के लिए आपको सपोर्ट किया जाएगा। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारी युवा पीढ़ी को होने वाला है। ये प्रयास कुछ एक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं हैं। हमारे देश में सैकड़ों आदिवासी समुदाय हैं, उनकी कितनी ही परम्पराएं और हुनर ऐसे हैं, जिनमें असीम संभावनाएं छिपी हैं। इसलिए देश में नए जनजातीय शोध संस्थान भी खोले जा रहे हैं। इन प्रयासों से ट्राइबल युवाओं के लिए अपने ही क्षेत्रों में नए अवसर बन रहे हैं।"

आदि महोत्सव देश की आदि विरासत की भव्य प्रस्तुति

उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान आदि महोत्सव देश की आदि विरासत की भव्य प्रस्तुति कर रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत के जनजातीय समाजों की प्रतिष्ठित झांकियों को रेखांकित किया और विभिन्न रसों, रंगों, सजावटों, परंपराओं, कला और कला विधाओं, रसास्वादन और संगीत को जानने-देखने का अवसर मिलने पर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आदि महोत्सव कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होने वाली भारत की विविधता और शान का परिचायक है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आदि महोत्सव अनन्त आकाश की तरह है, जहां भारत की विविधता इंद्रधनुष के रंगों की तरह दिखती है।” जिस तरह इंद्रधनुष में विभिन्न रंग मिल जाते हैं, उसकी उपमा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र की भव्यता उस समय सामने आती है, जब अंतहीन विविधताएं ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की माला में गुंथ जाती हैं और तब भारत पूरे विश्व का मार्गदर्शन करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आदि महोत्सव भारत की विविधता में एकता को शक्ति देता है। साथ ही, विरासत को मद्देनजर रखते हुए विकास के विचार को गति देता है।

परंपराओं को निकट से देखा है, उन्हें जिया है

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का भारत ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिसे पहले दूर-दराज माना जाता था, आज सरकार खुद वहां जा रही है और उस सुदूर स्थित और उपेक्षित को मुख्यधारा में ला रही है। उन्होंने कहा कि आदि महोत्सव जैसे कार्यक्रम देश में अभियान बन गये हैं और वे खुद अनेक कार्यक्रमों में सम्मिलित होते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बिताये गये दिनों में जनजातीय समुदायों के साथ अपने निकट जुड़ाव को याद करते हुए कहा, “जनजातीय समाज का कल्याण मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय भी है।” उमरगाम से अम्बाजी के जनजातीय क्षेत्रों में बिताये अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्षों को याद करते हुये प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “मैंने आपकी परंपराओं को निकट से देखा है, उन्हें जिया है और उनसे बहुत कुछ सीखा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय जीवन ने, “मुझे देश और उसकी परंपराओँ के बारे में बहुत-कुछ सिखाया है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली स्थित मेजर ध्यान चंद राष्ट्रीय स्टेडियम में मेगा राष्ट्रीय जनजातीय उत्सव, 'आदि महोत्सव' का उद्घाटन किया। 16 से 27 फरवरी तक चलने वाला 'आदि महोत्सव' राष्ट्रीय मंच पर जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है। इसके तहत जनजातीय संस्कृति, शिल्प, खान-पान, वाणिज्य और पारंपरिक कला की भावना का उत्सव मनाया जाता है। यह जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ लिमिटेड (ट्राइफेड) की वार्षिक पहल है।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities
Franchise india Insights
The Franchising World Magazine

For hassle-free instant subscription, just give your number and email id and our customer care agent will get in touch with you

or Click here to Subscribe Online

Newsletter Signup

Share your email address to get latest update from the industry