‘टेक्सकी’ का एक शोध कहता है कि भारतीय आयुर्वेदिक उद्योग 2017-21 में 17% CAGR तक पहुँचने वाला है और अगले 6 वर्षों में उसकी बहुत तरक्की होने वाली है। ये उद्योग तरह-तरह के प्रोडक्ट्स के साथ पूरी दुनिया में छा जाने के लिए तैयार है।
आयुर्वेद के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण अब उसका प्रभाव पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। बार-बार बदल रही अपनी जीवनशैली के कारण लोग एक स्वस्थ जीवन की चाहत में आयुर्वेद को अपना रहे हैं।
अब लोग आयुर्वेद में बताए हुए खान-पान सही और प्रभावी तौर-तरीके और उसके महत्व को समझने लगे हैं। आयुर्वेद की स्वास्थ्य और जीवनशैली को बेहतर बनाने की प्रणाली ने पुराने जमाने से इस बारे में गहरी जानकारी दे रखी है।
नए युग की जीवनशैली का जन्म
'हम अपने शरीर में ऊर्जा प्रबंधन कैसे करते हैं' से लेकर 'हम सांस कैसे लेते हैं' तक सब कुछ आयुर्वेद द्वारा प्रयोग कर जांचा गया है। आज लोग जरूरत से सतही तौर पर सांस ले रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि वे अपने शरीर की जरूरत को पूरा करने के लिए जितनी ऑक्सीजन लेना चाहिए, उतनी नहीं ले पाते हैं। प्रकृति को सही रूप से न समझने और उस हिसाब से न जीने के कारण शरीर को पूरी तरह स्वस्थ रखने की हमारी क्षमता कम होती जा रही है।
आज लोग सतही तौर पर सांस लेते हैं, क्योंकि उनके शरीर में जितनी ऑक्सीजन चाहिए उतनी नहीं है। प्रकृति के नियमों और हमारी नियमित क्रियाओं का ढंग से पालन न करने के कारण हमारा शरीर कमजोर हो रहा है। असल में हमें हमारे जीने का, हमारे होने का पूरा एहसास ही नहीं है। इसीलिए हमारा दम घुटता जा रहा है और हम सही ढंग से सांस लेना तक भूल चुके हैं।
अगर हम इस माटी की पवित्र और स्वदेशीय संस्कृति को श्रद्धा से अपनाते हैं, तो हमारा शरीर नियंत्रण में आ जाएगा। उसे आतंरिक तौर पर इतना गहरा आराम मिलेगा कि पाचन शक्ति में सुधार आएगा और रक्त-प्रवाह तथा रक्त-संचालन भी बेहतर बनेगा।
भारतीय बाजार में भविष्य
ग्राहक फिर से आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की ओर मुड़ गए हैं। इससे भारतीय आयुर्वेदिक उद्योग ने नई बुलंदियाँ छुई हैं। भारतीय आयुर्वेदिक बाजार ने विशाल ग्राहक आधार और विभिन्न श्रेणी के प्रोडक्ट्स के साथ तगड़ी वापसी की है। चूंकि ग्राहक आयुर्वेदिक उत्पादों और सेवाओं की आवश्यकता और महत्व को भली-भाँती समझ चुके हैं। इसलिए उसका भविष्य भव्य और उज्ज्वल दिखाई दे रहा है।
आयुर्वेद, विज्ञान और श्रद्धा में पारस्परिक सम्बन्ध
श्रद्धा, विश्वास और सम्मान इंसान के शरीर में जन्म लेता है। हमारा शरीर खुद को ठीक कर सकता है, ऐसी श्रद्धा रखने से हमारी जिंदगी बढ़ती है, ये विश्वास उसी का उदाहरण है। ऐसा होता है ये विज्ञान ने भी स्वीकार किया है। लंबी सांस लेने से फेफड़ों में ऑक्सीजन बढ़ती है, जिससे सिरदर्द और थकान जैसी तकलीफें दूर होती हैं।
इसीलिए आयुर्वेद हर इंसान को उसके शरीर और मन को स्वस्थ बनाने की क्षमता से जोड़ता है।