व्यवसाय विचार

आरक्षण देश को आगे नहीं बढ़ने देगा - मंत्री पीयूष गोयल

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jul 27, 2022 - 4 min read
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इस वर्ष की शुरुआत में जारी डेलॉय ग्लोबल विमन इन बोर्ड रूम रिपोर्ट के सातवें संस्करण के अनुसार भारत में कंपनियों के निदेशक बोर्ड में केवल 17.1 प्रतिशत सीटों पर ही महिलाएं हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा आरक्षण को देश के विकास में बाधक बताया है। एक कार्यक्रम में उनका कहना था कि आरक्षण नीति देश को आगे नहीं ले जाएगी।

फिक्की महिला संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में गोयल ने कहा जब तक हम महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित नहीं करते, तब तक हम बहुत कुछ हासिल नही कर सकते हैं। कंपनियों के निदेशक बोर्ड में 50 प्रतिशत महिलाओं का होना जरूरी है। लेकिन यह आरक्षण से नहीं, बल्कि उनकी ताकत से होना चाहिए। हम 50 प्रतिशत कारोबार महिलाओं के स्वामित्व में होने की भी आकांक्षा रखते हैं। उनके अनुसार आरक्षण नीति का मतलब यह होगा कि किसी ग्राम पंचायत का सरपंच जाते-जाते अपनी पत्नी को सरपंच बना जाए।

वाणिज्य मंत्री ने कहा, “हमें स्व. सुषमा स्वराज को महिलाओं के लिए रोल मॉडल के रूप में रखना चाहिए, या हमारे समय में स्मृति ईरानी या निर्मला सीतारमण जैसी वित्त मंत्री एक रोल मॉडल मानना चाहिए। ये सब आरक्षण के माध्यम से नहीं, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण, प्रतिबद्धता और क्षमताओं के माध्यम से वह आज की महिलाएं हैं।“

इस साल की शुरुआत में जारी डेलॉय ग्लोबल विमन इन बोर्डरूम रिपोर्ट के सातवें संस्करण के अनुसार, भारतीय कंपनियों के निदेशक बोर्ड में महिलाओं की संख्या वर्ष 2014 के मुकाबले 9.4 प्रतिशत बढ़ी है। इसके बावजूद कंपनियों के निदेशक बोर्ड में सीटों पर महिलाओं की संख्या सिर्फ 17.1 प्रतिशत है।

गोयल का कहना था कि पुरुषों की तुलना में, महिलाओं का एक छोटा समूह है। इस समूह की महिलाएं ही ज्यादा से ज्यादा कंपनियों के निदेशक बोर्ड में हैं। इसकी वजह यह है कि कंपनियों को अपने बोर्ड में महिलाओं को स्थान देने की बाध्यता है और शीर्ष स्तर पर ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है। लिहाजा, एक-एक महिला कई-कई कंपनियों के निदेशक बोर्ड में जिम्मेदारी संभाल रही है।

एक महिला कितने अधिक निदेशक बोर्ड में अपनी सेवा दे रही है, इस मानक को डेलॉय अपने खिंचाव कारक के माध्यम से नापती है। कंपनी का कहना है कि भारत में महिलाओं के मामले में यह कारक वर्ष 2018 के 1.22 से बढ़कर 2021 में 1.30 हो गया हैं। पांचवें संस्करण के अनुसार, महिला निदेशकों का औसत कार्यकाल वर्ष 2018 में 5.0 वर्ष था, जो मामूली बढ़कर वर्ष 2021 में 5.1 वर्ष हुआ है। वहीं, महिलाओं के लिए औसत कार्यकाल 2018 में 6.3 साल से गिरकर 2021 में 5.3 साल, ब्रिटेन में 2021 में 4.1 साल से 3.6 साल और कनाडा में 5.7 साल से 5.2 साल हो गया है।

अध्ययन में महिला सीईओ की नियुक्ति और बोर्ड में विविधता के बीच सकारात्मक संबंध पाया गया। महिला सीईओ वाली कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी अधिक है जो पुरुषों द्वारा चलाए जाते हैं। जिन कंपनियों के शीर्ष पद पर महिलाएं हैं, उनके लिए आंकड़े उत्साहजनक हैं। डेलॉय के अनुसार जिन कंपनियों में सीईओ के पद पर महिलाएं हैं, वहां निदेशक बोर्ड में 30.8 प्रतिशत महिलाएं हैं। वहीं, जिन कंपनियों में सीईओ का पद किसी पुरुष के पास है, वहां निदेशक बोर्ड में महिलाओं की संख्या 19.4 प्रतिशत है।

कंपनी अधिनियम 2013

कंपनी अधिनियम अगस्त 2013 में अनुमोदित किया गया था। इसमें पहली बार, सभी सूचीबद्ध कंपनियों और अन्य बड़ी पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के निदेशक बोर्ड में कम से कम एक महिला का प्रतिनिधित्व अनिवार्य कर दिया था। अधिनियम में यह भी कहा गया है कि एक महिला निदेशक की सेवा समाप्ति के मामले में तीन महीने के भीतर, या कंपनी के निदेशक बोर्ड की अगली बैठक से पहले उस सीट पर किसी महिला निदेशक की नियुक्ति हो जानी चाहिए।

कंपनियों को इस अधिनियम का पालन करने के लिए 31 मार्च, 2015 तक का समय दिया गया था। भारतीय कंपनियों के बोर्ड रूम में विविधता को और बढ़ावा देने के लिए इस प्रावधान को कानून में शामिल किया गया था। भारत में, बोर्ड में महिलाओं की संख्या पिछले दो वर्षों में 4.7 प्रतिशत बढ़कर 12.4 प्रतिशत हो गई है। वर्ष 2016 में भारत में बोर्ड की कुर्सियों में महिलाओं की संख्या 3.2 प्रतिशत रही थी, जो वर्ष 2014 से 0.5 प्रतिशत थी।

गोयल ने कहा कि भारत अगले 30 वर्षों में 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा, जो अभी करीब तीन ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। वही उन्होंने कहा कि सरकार इसे अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न देशों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रही है। गोयल के अनुसार ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अंतिम चरण में है।

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