29 फरवरी 2024 तक नए नियमों का पालन करने के हैं सख्त निर्देश
बढ़ जाएगी असुरक्षित ऋण देने की भी लागत, महंगा हो जाएगा पर्सनल लोन
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)ने हाल ही में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) से ऋण प्राप्त करने संबंधी नियमों में परिवर्तन किए हैं। इसके चलते अब असुरक्षित कर्ज प्राप्त करना कठिन हो जाएगा। हालांकि यह कदम भी असुरक्षित कर्जों में वृद्धि के चलते ही उठाया गया है। आरबीआई ने सभी विनियमित संस्थाओं को यह सख्त निर्देश दिए हैं कि जारी किए गये नियमों का पालन 29 फरवरी 2024 तक सुनिश्चित किया जाए।
आरबीआई के इस कदम से इस वर्ष व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) महंगा होने वाला है। जानकार बताते हैं कि इसके चलते पर्सनल लोन रिसीट में प्रत्येक 100 रुपये के लिए, रिस्क वेटेजड एसेट 100 रुपये का 100 प्रतिशत होगा। नए नियम के कारण, जोखिम भार संपत्ति (रिस्क वेटेजड एसेट संपत्ति) 100 रुपये का 125 प्रतिशत है यानी 125 रुपये 9 प्रतिशत सीएआर मानते हुए, बैंकों को अब 125 रुपये का 9 प्रतिशत अलग रखना होगा, जो कि 11.25 रुपये है।
इसके अलावा, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के क्रेडिट कार्ड प्राप्य पर जोखिम भार 125 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, एनबीएफसी के लिए जोखिम भार 25 प्रतिशत बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया गया है।
क्या है जोखिम भार संपत्ति और कैसे करेगी यह कर्ज को प्रभावित
जोखिम भार संपत्ति बैंकिंग इंडस्ट्री में एक सामान्य शब्द है। इससे आशय ऐसी संपत्ति से है, जो कर्जदाताओं को पूंजी की न्यूनतम राशि निर्धारित करने में मदद करता है, जिसे एक वित्तीय संस्थान को अपने क्रेडिट जोखिम को कवर करने के लिए रखने की आवश्यकता होती है। जानकार बताते हैं कि जोखिम भार का मतलब किसी दिए गए जोखिम के लिए उच्च पूंजी की आवश्यकता है, जिससे संभावित रूप से कम पूंजी नकद आरक्षित अनुपात हो सकता है।
क्या होता है असुरक्षित कर्ज
असुरक्षित कर्ज एक ऐसा ऋण होता है, जिसके लिए किसी भी प्रकार की कोलैटरल की आवश्यकता नहीं होती। सिक्योरिटी के रूप में उधारकर्ता के किसी भी संपत्ति पर निर्भर रहने की बजाए, ऋणदाता उधारकर्ता की साख के आधार पर असुरक्षित ऋण की मंजूरी दे देता है। इस ऋण में जोखिम की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती हैं। इस श्रेणी के तहत पर्सलन लोन, क्रेडिट कार्ड व स्टूडेंट लोन शामिल है। असुरक्षित कर्ज को अमूमन पर्सनल लोन के रूप में भी जाना जाता है। अब यहां यह समझ लें कि असुरक्षित कर्ज की कोई सुरक्षा नहीं होती। सुरक्षित कर्ज के मामलों में उधारकर्ता लोन के कोलैटरल के रूप में कोई न कोई संपत्ति गिरवी रखते हैं। यह स्थिति ऋणदाता के लिए कर्ज वापसी की सुरक्षा को बढ़ा देती है। यही वजह है कि इसे सुरक्षित कर्ज कहा जाता है।