राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने स्कूली पाठ्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को शामिल करने के लिए एक मंच तैयार किया है। केंद्र सरकार के इस कदम का उद्देश्य शिक्षा की दक्षता और वैयक्तिकरण को बढ़ावा देने समेत प्रशासनिक कार्यों को सुव्यवस्थित करने, इष्टतम छात्र परिणामों के लिए मशीनों और शिक्षकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने समेत एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में एआई का लाभ उठाना है।
शिव नादर स्कूल के प्रौद्योगिकी प्रमुख मार्क नेल्सन ने इस विषय पर कहते हैं, "हमारा स्कूल बीते पांच वर्षों से अधिक समय से औपचारिक एआई शिक्षा प्रदान कर रहा है, जिसका लक्ष्य हमारे छात्रों को व्यापक AI परिदृश्य की समझ के साथ सशक्त बनाना है। हम न केवल अपने छात्रों को इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना सिखाते हैं, बल्कि एक ऐसे वातावरण को भी बढ़ावा देते हैं, जो उन्हें अंतर्निहित सिद्धांतों की सराहना करने और खुद परियोजनाएं बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।"
डाटा गोपनीयता और सुरक्षा महत्वपूर्ण
नेल्सन ने डाटा गोपनीयता और सुरक्षा, विशेषकर छात्र डाटा की सुरक्षा, को अपनी महत्वपूर्ण चिंता बताते हुए एआई कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण चुनौतियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्र डाटा की सुरक्षा करना उनकी प्राथमिकता है, जबकि नियम और अनुपालन का भी वे पूरा ध्यान रख रहे हैं। स्कूलों के पास नए युग के समाधानों के साथ डाटा गोपनीयता और सुरक्षा की जांच करने की गहरी जिम्मेदारी भी है, जो हर दिन लगातार विकसित हो रही है। वर्तमान में अपने अनुभवों और निर्णयों के जरिए हम अपने जोखिम को कम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके जरिए कई मंचों पर विशेषज्ञों के साथ सहयोग कर हम अपने जैसी सोच वाले लोगों की परस्पर सहायता करने की कोशिश करते हैं।
नेल्सन की बातों पर सहमति जताते हुए हैदराबाद पब्लिक स्कूल (एचपीएस) के प्रिंसिपल डॉ. स्कंद बाली 'शिक्षा में एआई क्रांति' मुद्दे पर कुछ इस तरह से प्रकाश डालते हैं। अपने स्कूल एचपीएस में शिक्षा पर प्रौद्योगिकी के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डालते हर वह कहते हैं, "अपने क्लासरूम्स में भी एआई अपनाने को एचपीएस अब पूरी तरह से तैयार है। बड़े पैमाने पर लाभ देने वाले प्रौद्योगिकियों का शिक्षक पहले से ही अलग-अलग तरीकों से लाभ ले रहे हैं। लेकिन अब एचपीएस में भी प्रौद्योगिकी छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के तरीके को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। एचपीएस में छात्रों को डिजिटल साक्षरता के हिस्से के रूप में एआई की मूल बातें सिखाई जाती हैं, जो एआई की ताक़त की सराहना करने में उन्हें सक्षम बनाएगा। इसके अलावा, समय के साथ उन्हें सही नींव तैयार करने के कौशल को समझने में मदद भी करेगा। एचपीएस में सबसे उल्लेखनीय पहलों में से एक है- इसका इनोवेशन सेंटर, जिसकी आधारशिला पहले ही रखी जा चुकी है। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सीखने को बहुत मजेदार बनाना चाहते हैं ताकि बच्चे इसका आनंद ले सकें, ताकि वे स्वयं का विकास कर सकें, ज्यादा से ज्यादा चीज़ें सीख सकें और एचपीएस को आगे ले जा सकें।"
छात्र उपभोक्ता नहीं, निर्माता भी
डॉ. बाली ने एआई शिक्षा में नैतिक विचारों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एआई पहले से ही बच्चों के जीवन का हिस्सा है। इसे चैटबॉट, डिजिटल सहायक, व्यक्तिगत सहायक और खोज इंजन के रूप में उनके द्वारा पहले से उपयोग किए जाने वाले सॉफ़्टवेयर और ऐप्स में एम्बेड किया जा रहा है। बच्चों को इसमें शामिल नैतिक विचारों और इसके उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में पता होना महत्वपूर्ण है। हमें यह पता लगाने में समय लगता है कि वे किन उपकरणों का उपयोग करते हैं, उनमें रुचि रखते हैं और एक समूह के रूप में उनका पता लगाते हैं। ये नैतिक दिशा-निर्देश छात्रों को सशक्त बनाने में मददगार होंगे, क्योंकि छात्र इन उपकरणों का स्वतंत्र, सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से उपयोग कर सकेंगे।
जैसे-जैसे एआई से जुड़े भविष्य के लिए स्कूल अगली पीढ़ी को तैयार करने की तैयारी कर रहा है, यह पहल छात्रों को एआई के गतिशील परिदृश्य के सफलतापूर्वक मार्गदर्शन के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करने का प्रयास करती है। एआई को अपनाने का अर्थ स्कूलों को केवल एक तकनीक के रूप में अपनाना नहीं है, बल्कि वे नवाचार और नैतिक जिम्मेदारी की संस्कृति भी विकसित कर रहे हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि आज के डिजिटल युग में छात्र सिर्फ उपभोक्ता नहीं बल्कि निर्माता भी हैं। एआई-एकीकृत शैक्षिक भविष्य की यह यात्रा चुनौतियों से रहित नहीं है, लेकिन सहयोगात्मक प्रयासों और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, शिक्षक एक ऐसे भविष्य को आकार दे रहे हैं, जहां छात्रों को एआई-संचालित दुनिया में आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाया जाएगा।