किसी भी स्टार्ट-अप के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह होता है कि उसे विकास के अगले चरण तक कैसे ले जाया जाए, यानी उसे स्केल-अप कैसे करें। उसमें भी महत्वपूर्ण यह है कि यह काम कम से कम लागत में संभव है या नहीं। वर्तमान समय में निवेशक आमतौर पर ऐसे स्टार्ट-अप पर दांव लगा रहे हैं, जिनके पास विकास के अगले चरण में जाने की स्पष्ट रूपरेखा होती है, एक ब्लूप्रिंट होता है।
खास बात यह है कि कोविड के बाद की दुनिया में डिजिटलीकरण ने अपनी पहचान बनाई है और विशिष्ट स्थान लिया है। यह बड़े पैमाने पर आगे बढ़ रहा है, जिसके साथ-साथ स्टार्ट-अप में अनगिनत नए अवसर भी आए है। डिजिटल चौनलों की मदद से एक स्टार्ट-अप नए बाजारों में आ सकता है। इससे किसी भी स्टार्ट-अप का कारोबार नई ऊंचाईयों तक जाने में सफल हो सकता है।
किसी भी व्यवसाय को बढ़ाने की अपनी चुनौतियां होती हैं। कई बार विचार और योजना सरल और सीधी लग सकती है, लेकिन इन्हें कार्यरूप देने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
यहां कुछ सरल तरीके सुझाए गए हैं, जिन पर चलकर स्टार्ट-अप कंपनियां खुद को विकास के अगले चरण में ले जा सकती हैं और आगे बढ़ने के रास्ते की संभावित जोखिमों को सावधानीपूर्वक दूर कर सकती हैं।
नेटवर्किंग के अवसरों का लाभ उठाएं
आपको जितना अधिक यह पता होगा की बाजार में क्या चल रहा है, आगे बढ़ने में उतनी ज्यादा मदद मिलेगी। कंपनियों के संस्थापक अपने नेटवर्क का लाभ उठाकर निवेशकों की तलाश कर सकते हैं। वे निवेशक स्टार्ट-अप के फोकस और कार्यशैली के अनुसार उन्हें संभावित खरीदारों या ग्राहकों से जोड़ सकते हैं और बाजार व मार्केटिंग रणनीतियों पर सलाह दे सकते हैं।
ऑटोमेशन और आउटसोर्सिंग पर फोकर करें
पिछले दो वर्षों ने साबित कर दिया है कि कारोबार में बड़ा बदलाव लाने के लिए कंपनियों को डिजिटल-फर्स्ट पर फोकस करना होगा। नई कंपनियां ऑनलाइन माध्यमों का जितना अधिक लाभ उठाएंगी, वे बदलाव के लिए उतनी जल्दी और दमदार तरीके से तैयार हो पाएंगी। मैन्युअल कार्यों को स्वचालित करने वाले टूल और प्लेटफॉर्म में निवेश यानी बहुत से कार्यों के ऑटोमेशन से टीम की उत्पादकता बढ़ेगी। इससे एक तरफ कंपनियां अपने मानव संसाधन का संपूर्ण लाभ ले पाएंगी, तो दूसरी तरफ उन्हें बाजार की बदलती जरूरतों के लिए भी उत्तरदायी भी बना सकेंगी।
अपने लोगों पर ध्यान दें
संगठनों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने कर्मचारियों परं व्यवस्थित रूप से ध्यान दे। विशेष रूप से उन कर्मचारियों पर, जो टीम में जल्दी शामिल हो जाते हैं, अपनी दृष्टि साझा करके और उन्हें उन उपकरणों के साथ सशक्त बनाते हैं और जिनमें अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की ललक होती है। यह सुनिश्चित करता है कि वे आपकी कार्य संस्कृति और कार्य नैतिकता के संरक्षक के रूप में सेवा कर सकते हैं।
मार्केटिंग और कम्युनिकेशन पर काम करें
अगर आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो लोगों को आपके स्टार्ट-अप के बारे में बताना होगा। मार्केटिंग आपके व्यवसाय को ब्रांड पहचान दिलाने और खुद को बाजार में स्थापित करने में मदद कर सकती है। एक ठोस मार्केटिंग रणनीति स्केलिंग से जुड़े कई बिंदुओं पर काम कर सकती है। कंटेंट क्रिएशन यानी संचार के विभिन्न साधनों के माध्यम से संभावित ग्राहकों को अपने प्रोडक्ट के बारे में बताना, और एसईओ यानी सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन-ये दोनों स्केलेबल मार्केटिंग रणनीतियों के रूप हैं। एसईओ का मोटे तौर पर मतलब यह है कि हम अपने प्रोडक्ट के बारे में ऐसी भाषा में जानकारी दें, कि उस वर्ग के प्रोडक्ट के बारेे में गूगल या अन्य माध्यम से ऑनलाइन सर्च करने पर वह कंटेंट या लेख जल्दी ग्राहकों के सामने आ जाए। लिखे और कहे गए कंटेंट या विषय-वस्तु में इतनी ताकत होती है कि आपके प्रोडक्ट के लिए ग्राहकों की ललक को वह कई गुना बढ़ा सकता है। इससे किसी भी स्टार्ट-अप को अपने कारोबार के विकास और विस्तार में काफी मदद मिलेगी। कई स्टार्टअप कंटेंट क्रिएशन को बहुत अधिक महत्व देते हैं क्योंकि इसे संभावित विकास को अगले चरण में ले जाने वाले एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जाता है। लेकिन स्टार्ट-अप कंपनियों को कंटेंट क्रिएशन के विभिन्न माध्यमों और उनके लिए पेश किए जाने वाले कंटेंट में अंतर स्पष्ट समझना होगा, तभी कंटेंट अपना पूरा प्रभाव छोड़ पाने में सफल होगा। कंपनियों को समझना होगा कि इंस्टाग्राम, यूट्यूब, स्नैपचौट और टेलीग्राम जैसे ऑनलाइन संचार माध्यमों में अंतर क्या है और उनके लिए कंटेंट क्रिएशन में अंतर रखने की कितनी जरूरत है। कई बार कंपनियां एक माध्यम के लिए तैयार कंटेंट को किसी बिल्कुल ही अलग माध्यम पर पोस्ट कर देती हैं, जिनका आपसी चरित्र काफी भिन्न होता है। ऐसे में बेहतर कंटेंट होने के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं आता। इसके साथ ही कंपनियों को समाचार पत्रों, व्यापार पत्रिकाओं, सेक्टर-केंद्रित स्टार्ट-अप पत्रिकाओं और वेबसाइट के अलावा ऐसे अन्य माध्यमों पर भी संभावनाओं की भरपूर पड़ताल करनी चाहिए।
ग्राहक को खुद से जोड़े रखने पर ध्यान दें
कस्टमर रिटेंशन यानी ग्राहकों को खुद के प्रोडक्ट या सेवा से जोड़े रखना जितना बड़ा काम है, उतना ही बड़ा निवेश भी। कंपनियों को कस्टमर रिटेंशन के प्रति गंभीरता से सोचना होगा।
जिस चकंपनी के पास जितने अधिक कुशल, अनुभवी और पुराने ग्राहक होंगे, उनका कारोबार मजबूत होगा। कस्टमर रिटेंशन आपको अनुमानित मार्केट में बनाने रहने में मदद करता है। जब आप एक कंपनी के रूप में आगे बढ़ रहे हैं, तो आपको इस बात पर नज़र रखनी होगी कि लोग आपके ब्रांड के बारे में क्या कहते हैं या जब ग्राहकों को आपसे समर्थन की आवश्यकता होती है तो ग्राहकों का एक मजबूत आधार हासिल करना जरूरी होता है। यह आपके कारोबार को एक शानदार मुकाम तक ले जा सकता है।