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- इलेक्ट्रिक मोबिलिटी: सटीक डेटा से नीति निर्माण को मिलेगी नई दिशा
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने की दिशा में तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं, और इस बदलाव को प्रभावी बनाने में डेटा की भूमिका अहम हो गई है। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को सफल बनाने के लिए सटीक और व्यापक डेटा की जरूरत होती है, जो नीतियों के निर्माण और उनके लागू होने को सही दिशा में ले जा सके। जब सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए नीतियां बनाती हैं, तो उन्हें विभिन्न कारकों का ध्यान रखना होता है, जैसे कि वाहनों की लागत, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, और प्रदूषण में कमी। सही और सटीक डेटा इन नीतियों को सही दिशा में बनाने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, EV-Ready India जैसे डैशबोर्ड के माध्यम से नीति निर्माता यह देख सकते हैं कि कौन से राज्य और जिले ईवी को तेजी से अपना रहे हैं और कौन से क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है।
डेटा के माध्यम से हम जान सकते हैं कि कितनी मात्रा में प्रदूषण कम हुआ है और किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है। यह जानकारी नीति निर्माताओं को पर्यावरण पर ईवी के प्रभाव का सटीक अनुमान देती है, जिससे वे भविष्य की योजनाओं में इसे और अधिक बढ़ावा दे सकते हैं। ईवी डेटा पर ओएमआई फाउंडेशन ट्रस्ट की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऐश्वर्या रमन ने कहा ओएमआई फाउंडेशन ने अक्टूबर 2023 में एक नया डैशबोर्ड लॉन्च किया है, जिसका नाम है EV-Ready India। यह डैशबोर्ड भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ट्रांज़िशन से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी को एक ही जगह पर संकलित करता है।इस डैशबोर्ड में आपको इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, और राज्य एवं जिला स्तर पर ईवी अपनाने का डाटा मिलेगा। आप यह भी देख सकते हैं कि आपके निर्माता कौन हैं और कितना प्रदूषण बचाया जा रहा है।
दिल्ली सरकार के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन दिया गया है, क्योंकि यहां प्रदूषण की समस्या ज्यादा है। यह डैशबोर्ड आपको यह भी बताता है कि ईवी अपनाने से कितनी प्रदूषण में कमी हो रही है।
इसके अलावा, डैशबोर्ड में कुल स्वामित्व लागत की जानकारी भी है। सामान्य व्यक्ति के लिए इलेक्ट्रिक वाहन की शुरुआती लागत पेट्रोल या डीजल वाहनों से अधिक हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह लागत बचत के मुकाबले कम हो जाती है।
यह डैशबोर्ड राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहन नीतियों को भी संकलित करता है, जो राज्य अनुसार बदलती रहती हैं। राज्यों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मक लाभों के अनुसार ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलता है, जैसे कि एक राज्य में उत्पादन पर ध्यान देना, दूसरे में अपनाने, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर या कौशल विकास पर ध्यान देना।
रमन ने एवरी डेनिसन(मैन्युफैक्चरिंग कंपनी) का हवाला देते हुए कहा कि वह एक अच्छे व्यक्ति की तरह नियम बनाएंगे। जब हम समाज में आर्थिक और सामाजिक अवसरों का फायदा उठाते हैं, तो समाज भी खुलता है। हम ‘गतिशीलता’ की कल्पना करते हैं, जिसका मतलब सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाना नहीं है, बल्कि इसमें परिवहन के हर तरह के पहलू शामिल होते हैं, जैसे कितनी दूर जाना है, कितनी तेजी से, और कौन से साधन से जाना है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
ईवी अपनाने में एक बड़ी चुनौती चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता है। डेटा से पता चलता है कि किन क्षेत्रों में चार्जिंग स्टेशनों की कमी है और कहां पर इसकी आवश्यकता अधिक है। यह जानकारी सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करने में मदद करती है और ईवी उपयोगकर्ताओं के लिए चार्जिंग की समस्या को दूर करने में सहायक होती है। बिग डेटा की जिम्मेदारी और चुनौतियां पर आईआईटी मद्रास में प्रोफेसर डॉ. गीताकृष्णन रामादुरई ने कहा बिग डेटा का उपयोग बड़े लाभ के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी लाता है। आंशिक या अधूरा डेटा खतरनाक हो सकता है, इसलिए सटीक और भरोसेमंद डेटा की ज़रूरत होती है। डेटा का सही उपयोग नीतियों और निर्णयों में सुधार करता है, लेकिन इसकी लागत और वैल्यू को समझना ज़रूरी है। ओपन डेटा तक पहुंच अच्छी है, लेकिन डेटा को टिकाऊ और सटीक बनाए रखना भी एक चुनौती है। डेटा की वैलिडिटी और सुरक्षा के बिना, यह गलतफहमियों और चुनौतियों का कारण बन सकता है। इसलिए, एक मजबूत डेटा नीति जरूरी है ताकि इसका उपयोग भविष्यवाणी और सही निर्णय लेने में हो सके।
कुल स्वामित्व लागत
इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआती लागत पेट्रोल या डीजल वाहनों से अधिक हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह कम खर्चीली साबित होती है। डेटा के आधार पर यह विश्लेषण करना आसान होता है कि ईवी अपनाने से कितनी बचत होगी, और इससे उपभोक्ता जागरूक होकर इन वाहनों को अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं। शुरुआत में ईवी की कीमतें अधिक हो सकती हैं, लेकिन यह तुलना विभिन्न पहलुओं पर आधारित होती है:
ईंधन की बचत: पेट्रोल या डीजल की कीमतों के मुकाबले बिजली का खर्च बहुत कम होता है, जिससे ईवी चलाने की लागत बहुत कम हो जाती है। इसके अलावा, चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क के विस्तार के साथ, चार्जिंग की सुविधा भी बढ़ती जा रही है।
रखरखाव की लागत: ईवी में कम चलने वाले हिस्से होते हैं, जैसे इंजन, ट्रांसमिशन और अन्य यांत्रिक घटक। इससे मेंटेनेंस की लागत पारंपरिक वाहनों के मुकाबले कम होती है। ईवी को तेल बदलने, फिल्टर बदलने या इंजन संबंधी बड़े सर्विसिंग की जरूरत नहीं होती।
सरकार की सब्सिडी और प्रोत्साहन: सरकारें ईवी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सब्सिडी, टैक्स छूट और अन्य वित्तीय प्रोत्साहन देती हैं, जो स्वामित्व की कुल लागत को कम करने में मददगार साबित होते हैं।
लंबी अवधि में बचत: ईवी की उच्च प्रारंभिक लागत के बावजूद, लंबी अवधि में यह बहुत सस्ती साबित होती है। ईंधन की बचत, कम रखरखाव, और सरकार द्वारा दिए गए लाभों से यह अधिक किफायती बनती है।
पर्यावरणीय लाभ: ईवी न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छे होते हैं, क्योंकि वे कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं और वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान नहीं करते। इन सभी कारकों का डेटा-आधारित विश्लेषण उपभोक्ताओं को ईवी अपनाने के फायदे समझाने में मदद करता है, जिससे वे पारंपरिक वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता देने लगते हैं।
चुनौतियां और समाधान
डेटा नीतियों के सुधार में काफी मददगार साबित हो सकता है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं। सबसे बड़ी चुनौती होती है सटीक और विश्वसनीय डेटा की उपलब्धता। अगर डेटा अधूरा या गलत है, तो इससे नीतियां भी असफल हो सकती हैं। इसके लिए यह जरूरी है कि डेटा की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाए और इसे निरंतर अपडेट किया जाए। इसके अलावा, ओपन डेटा की बहस भी चल रही है, जहां सभी को डेटा तक पहुंच बनाने की बात होती है। लेकिन डेटा इकट्ठा करने और उसे सुरक्षित रखने की प्रक्रिया में खर्च भी होता है, जिसे ध्यान में रखना जरूरी है। गूगल इंडिया की स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप हेड रोली अग्रवाल ने सही डेटा की अहमियत और सहयोग की जरूरत पर कहा सही डेटा नीति निर्माण और बदलाव के लिए आधारभूत है। गलत डेटा सही दिशा में बातचीत या नीतियां बनाने में बाधा डालता है। सार्वजनिक परिवहन और सड़क सुरक्षा जैसे बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। हमें महत्वपूर्ण समस्याओं की पहचान कर उन पर काम करना चाहिए, और उद्योग में सहयोगी साझेदारियों को तेजी से आगे बढ़ने के लिए तलाशना चाहिए। डेटा का सही उपयोग बड़े बदलाव लाने में मदद करेगा, और सहयोग से यह प्रक्रिया और तेज हो सकती है।
निष्कर्ष
डेटा एक मजबूत आधार है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की नीतियों में सुधार ला सकता है। सही डेटा के माध्यम से सरकारें और नीति निर्माता बेहतर निर्णय ले सकते हैं, जिससे ईवी को तेजी से अपनाया जा सकेगा और देश में प्रदूषण कम करने के प्रयास सफल होंगे। "EV-Ready India" जैसे डैशबोर्ड इस दिशा में एक बड़ा कदम हैं, जो डेटा के जरिए ईवी नीतियों को सही दिशा में सुधारने में मदद कर रहे हैं।