बदलते समय के साथ-साथ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भी अपने वाहनों को नई तरह के डिजाइनों के साथ लोगों के सामने पेश कर रही है। इलेक्ट्रीक वाहन की बात करे तो भारत भर में इलेक्ट्रीक वाहन बहुत तेजी से रफतार पकड़ने की कोशिश कर रहे है।
एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार 5 बिलियन अमरीकी डॉलर था और 2021 से 2026 तक 47 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
दुनियाभर में भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग 5वे स्थान पर है, लेकिन 2030 तक इसके तीसरे स्थान पर आने की उम्मीद है।
सीईईडब्ल्यू सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस के अध्ययन के अनुसार आगर भारत अपने 2030 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है तो 2030 तक भारत का इलेक्ट्रीक वाहन बाज़ार 206 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसके लिए वाहन उत्पादन और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के संचयी निवेश की आवश्यकता होगी।
इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय इलेक्ट्रिक व्हीकल बाज़ार 2026 तक 36 प्रतिशत की सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से बढ़ेगा। वहीं इस अवधि में इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी बाज़ार भी 30 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है।
ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए अब बाज़ार में नए और सस्ते विकल्प आ रहे हैं। अगर भारत में बिकने वाली इलेक्ट्रिक कारें और उनकी कीमतों की बात करें तो फिलहाल सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार 4.50 लाख रुपए में मिल जाएगी।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र भारत के मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 49 प्रतिशत और भारत के जीडीपी में 7.1 प्रतिशत का योगदान देता है। वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के तहत भारत अपने जीडीपी (जीएचजी उत्सर्जन प्रति यूनिट जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 से 2030 के स्तर से 33 से 35 प्रतिशत कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार 2023 तक 2 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।
आपको बता दे टाटा मोटर्स यात्री इलेक्ट्रिक वाहन में टीपीजी (टेक्सास पैसिफिक ग्रुप) राइज क्लाइमेट से एक अरब डॉलर (7,500 करोड़ रुपये) जुटाएगी। यह राशि कारोबार के 9.1 अरब डॉलर तक के मूल्यांकन के आधार पर जुटाई जाएगी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि टाटा मोटर्स लिमिटिड और टीपीजी राइज क्लाइमेट ने बाध्यकारी समझौता किया है।
बयान के अनुसार टीपीजी राइज क्लाइमेट अपने सह-निवेशक के साथ 11 से 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 7,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके आधार पर कंपनी का इक्विटी मूल्यांकन 9.1 अरब डॉलर का आंका गया है।
वर्ष 2020 में कोरोना की महामारी की वजह से आटोमोटिव की डिमांड कम होने के बाद भी इलेक्ट्रिक व्हीकल की चमक बनी रही है। इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी से अधिक बढ़ी है। इलेक्ट्रिक वाहन की नई कार बिक्री में हिस्सेदारी 4.4 फीसदी पर पहुंच गई है जो चालू वर्ष में 5 फीसदी को पार कर सकती है।
भारत में वर्ष 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहन का बाज़ार तेजी से बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। वर्ष 2025 तक नए इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री में दो पहिया वाहन की हिस्सेदारी 8 से 10 प्रतिशत और तीन पहिया वाहन की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से ऊपर हो सकती है।