केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा विकसित बीएस 6 स्टेज II ' इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल' के पहले वर्जन को लॉन्च किया। गडकरी ने कहा कि इथेनॉल एक स्वदेशी, पर्यावरण-अनुकूल और नवीकरणीय ईंधन है, जो भारत के लिए आशाजनक संभावनाएं रखता है। इथेनॉल पर भारत सरकार का जोर ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, किसानों की आय दोगुनी करने, उन्हें अन्नदाता के रूप में समर्थन जारी रखते हुए ऊर्जादाता में परिवर्तित करने और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने के उद्देश्यों के अनुरूप है। जिस दिन इथेनॉल अर्थव्यवस्था दो लाख करोड़ की हो जाएगी, कृषि विकास दर मौजूदा 12 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो जाएगी।
जैव ईंधन में इनोवेशन के बारे में बात करते हुए गडकरी ने असम के नुमालीगढ़ में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की शोधशाला के बारे में बात करते हुए कहा जहां जैव इथेनॉल के निर्माण के लिए बांस का उपयोग किया जा रहा है। गडकरी ने कहा कि इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार को टोयोटा ने बनाया है, जो इनोवा हाइक्रॉस पर आधारित है। ये कार 40 प्रतिशत इथेनॉल और 60 प्रतिशत इलेक्ट्रिक एनर्जी से चलेगा।
भारत हर वर्ष 16 लाख करोड़ रुपये का तेल आयात करता है। इथेनॉल से चलने वाली इस कार का वर्जन आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक सार्थक कदम है। भारत का 2070 तक कार्बन उत्सर्जन खत्म करने का लक्ष्य है।
क्या है बीएस 6 स्टेज 2
बीएस 6 स्टेज 2 एमिशन नॉर्म है जो इंडियन मार्केट में मिलने वाली गाड़ियों को यूरो 6 स्टेज के बराबर लाकर खड़ा कर देगा। बीएस 6 में छूटी कुछ कमियों को पूरा करते हुए ये वर्तमान के प्रदूषण नियंत्रक मानकों को पूरा करेगा।
बता दें इथेनॉल का आयात ज्यादा मात्रा में किया जाता है और यह घरेलू उपयोग के लिए उपलब्ध ऊर्जा स्रोत है। इसे टेक्नॉलोजी के साथ अनुकूलित रूप से उपयोग किया जा सकता है। इथेनॉल कारों के लिए कुछ फायदे प्रदान कर सकता हैं।
1.कम प्रदूषण: इथेनॉल का उपयोग करने से पेट्रोल ड्राइवन गाड़ियों के मुकाबले कम प्रदूषण उत्पन्न करता है। यह कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) और अन्य वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है।
2.स्थानीय उत्पादन: इथेनॉल की उपलब्धता आयात ऊर्जा स्रोतों की तुलना में स्थानीय उत्पादन से कम हो सकती है, जो आर्थिक स्थितियों को सुधार सकता है और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा दे सकता है।
3.ऊर्जा सुरक्षा: यदि एक देश अपनी ऊर्जा स्रोतों को विविध करता है और पेट्रोल की आवश्यकता कम करता है, तो वह अधिक ऊर्जा सुरक्षित कर सकता है। इथेनॉल को बायोगैस से भी उत्पन्न किया जाता है, जिससे अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा की जाती है। यह उत्पादन जल, कीटाणु और अन्य जैव अपशिष्टों का उपयोग करके किया जाता है। इसे ऊर्जा संचयन के लिए भी उपयोग किया जाता है, जिससे विद्युत ऊर्जा को स्टोर किया जाता है और जब आवश्यकता हो तो उसे उपयोग किया जा सकता है। इथेनॉल जैसे जैव-ईंधनों का उपयोग करके ऊर्जा सुरक्षा को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाता है। फॉसिल ईंधनों की तुलना में ये जैव-ईंधन स्रोत स्वच्छ, अधिक उपलब्ध और कम प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
4.कृषि उत्पादों का उपयोग: इथेनॉल कृषि उत्पादों में उपयोग किया जा सकता है। बायोगैसोलीन एक उपयोगी उपादान है जिसे पेट्रोल के स्थान पर उपयोग किया जाता है। यह बायोथेनॉल से बनाया जाता है और इसका मिश्रण पेट्रोल में मिलाकर वाहनों में उपयोग किया जा सकता है। इथेनॉल का उपयोग खेती के उत्पादकता को बढ़ाने में भी किया जा सकता है। इसके उपयोग से उपज और फसल की क्वालिटी में सुधार आता है।
5.कारों की प्रदूषण मानकों का पालन: कुछ देशों में पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर कारों की प्रदूषण मानकों का पालन किया जाता है, जिससे वे प्रदूषण नियंत्रण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखा सकते हैं। यहाँ तक कि कुछ देशों में इथेनॉल को अनिवार्य रूप से पेट्रोल में मिलाने की नीतियाँ भी हैं, जो उपयोगकर्ताओं को इथेनॉल पर आधारित ऊर्जा स्रोत का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इथेनॉल के उपयोग के भी कुछ नकारात्मक पहलुओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, जैसे कि कृषि उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव डाल सकता है।