संयुक्त राष्ट्र के भोजन एवं कृषि संगठन (FAOSTAT) रिपोर्ट एक स्पष्ट संकेत है कि भारत में लोगों ने खाने पर खर्च करने और भोजन के बारे में सोचने के तरीके को बदल दिया है। जिस उद्योग का मूल्य 2017 में 39.71 अरब अमेरिकी डॉलर था, वह बड़ी वृद्धि के लिए निर्धारित है और 2018 के अंत तक 11% की सीएजीआर से 65.4 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा।
भारतीय फूड इंडस्ट्री सबसे आशाजनक फ्रैंचाइजी व्यवसाय क्षेत्रों में से एक है, जिसमें सभी को व्यवसाय विचार के साथ बनाए रखने का स्थान है, फिर भी हम बहुत से फूड फ्रैंचाइजी को अफल होते हुए देखते हैं।
इंडस्ट्री के कुछ विशेषज्ञों ने फूड फ्रैंचाइजी के असफल होने के कारणों के बारे में बताया है।
मॉडल को किफ़ायती रखें
येलो टाई हॉस्पिटैलिटी के संस्थापक और सीईओ करण तन्ना का कहना है, 'एक स्तर की अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए फ्रैंचाइजी को सक्षम होना चाहिए। इसके बिना और एक पूर्ण प्रमाण मॉडल के बिना अर्थव्यवस्था की दृष्टि से फ्रैंचाइजी का असफल होना मुख्य कारण बन जाता है और मॉडल के किफ़ायती होने के लिए, आपको अपने ब्रांड पोजीशनिंग के बारे में स्पष्ट विचार करना चाहिए।
यदि आप 'मैं भी' आउटलेट हैं तो आपके पड़ोस में प्रतिस्पर्धा होगी जो स्केलेबिलिटी पर आपके यूनिट लेवल अर्थशास्त्र को खराब कर देगी। यदि आपके पास स्पष्ट ब्रांड पोजिशनिंग है और आप ऐसे बाजार में हैं जहां कुछ अंतर है साथ ही अगर आपकी यूनिट स्तरीय अर्थशास्त्र बेहतर है, तो आपके असफल होने की संभावना कम हो जाती है।'
तन्ना कहते हैं कि इसके बाद, आपको फ्रैंचाइजिंग के आसपास व्यंजनों, एसओपी और पूरे मजबूत बैक-एंड की आवश्यकता होती है। शुरुआत करने वाली पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके पास आपके ब्रांड का एक अच्छा डिज़ाइन हो ।
संतुष्ट करने का लालच
तावक के शेफ और पार्टनर दीपांकर अरोड़ा ने कहा कि भारतीय रेस्टोरेंट के विपरीत, विदेशों के रेस्टोरेंट में बहुत हल्का मेन्यू होता है। किसी भी भारतीय रेस्टोरेंट में, लगभग 200 आइटम होते हैं, रेस्टोरेंट ज्यादातर सभी को संतुष्ट करने की कोशिश में रहते हैं जिस वजह से सेवा की क्वालिटी खराब हो रही है। जबकि विदेशों के मेन्यू में केवल 15-20 आइटम होते हैं और उनकी क्वालिटी भी बरकरार रहती है। हमें पश्चिम से सीखना चाहिए और अपने उद्योग में इसे शामिल करना चाहिए। साथ ही आइटम की संख्या को भी कम करना चाहिए।