आर्टिफिशियल ज्वेलरी हमारी संस्कृति के साथ लगभग 300 सालों से जुडी है। अच्छी खासी सैलेरी पाने वाली फैशन के प्रति जागरुक महिलाओं की वजह से फैशन और आर्टिफिशियल ज्वेलरी का बाजार भारत में चल रहा है।
ज्वेल जंक्शन, भारत में नौ ज्वेलरी निर्माण कंपनी में से एक है। जिनके पास अपनी खुद की डिजाइनिंग और ज्वेलरी मैनुफैक्चर टीम है जो डिज़ाइनर ज्वेलरी को उचित दामों पर लोगों तक पहुंचाती है।
फ्रैंचाइजी इंडिया से बातचीत के दौरान अतुल नेतन राव ने आर्टिफिशियल ज्वेलरी इंडस्ट्री के बारे में अपनी सोच जाहिर की और साथ ही ये भी बताया की किस तरह इस इंडस्ट्री में विकास हुआ है।
आर्टिफिशियल ज्वेलरी इंडस्ट्री को इस वजह से सफलता मिली
सोने और हीरे की बढ़ती कीमतों के कारण, आर्टिफिशियल ज्वेलरी बिजनेस में अभी और भी ऊंचाईयां हासिल करने की बड़ी संभावना है।आर्टिफिशियल ज्वेलरी इंडस्ट्री के इस तरह विकसित होने का प्रमुख कारण उनका सस्ता होना है। लोग जरूरत के हिसाब से आर्टिफिशियल ज्वेलरी नहीं खरीदते बल्कि उनके डिज़ाइन को देखकर खरीदते हैं अगर लोगों को डिज़ाइन अच्छा लगता हैं तो वो उसे जरूर खरीदेंगे ।
राव ने कहा कि अधिकतर लोग 5 से 10 लाख तक के कान के झुमके नहीं खरीद सकते जो उन्हें जिंदगी में 10 से 30 बार लेने पड़ेंगे। वे उन आभूषणों पर खर्च करना पसंद करेंगे जो बिलकुल महंगे आभूषणों जैसे ही दिखते हो। यही कारण है कि आजकल आर्टिफिशियल ज्वेलरी बिजनेस तेजी से बढ़ रहा हैं।
दोनों पक्षों के लिए विन-विन स्थिति
ज्वेल जंक्शन अपनी फ्रैंचाइजी के लिए एक सप्ताह की छूट दे रहा है। इसके लिए कोई फ्रैंचाइजी फीस या रॉयल्टी नहीं हैं।
राव ने ये भी बताया, 'हमारा मुख्या उद्देशय ये है की हम चाहते हैं कि दोनों पक्षों को फायदा पहुंचे पहला हमें, क्योंकि भारत के चारों ओर हम अपने ब्रांड को पहुचां पाएंगे वहीं दूसरी ओर जो भी हमारी फ्रैंचाइज़ी लेगा उसको भी जरूर फायदा पहुंचे।'
आपसी समझ की परीक्षा
सबसे जरूरी बात जिस पर व्यवसायी ध्यान देता है वो ये कि कौन आपकी फ्रैंचाइज़ी लेने वाला है।
राव ने कहा, 'हमें यह देखने की ज़रूरत है कि क्या वह निर्णय लेने में सही व्यक्ति है क्योंकि हम यहां केवल पैसा बनाने के लिए नहीं हैं। हम यहां एक अच्छी टीम बनाने के लिए हैं तो हमें कुछ मिनटों की बातचीत में पता लगाने की जरूरत है, क्या हम दोनों एक दूसरे के लिए फिट हैं या नहीं?'