जो लोग भारत में कम लागत वाले व्यवसाय अवसरों में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए सेवा-उद्योग बेहद फायदेमंद सौदा साबित होने वाली अनोखी संकल्पनाओं से भरा पड़ा है। चूंकि बाजार नए रूझानों को गले लगाता दिखाई दे रहा है, नई संकल्पनाओं के लिए जबरदस्त मुनाफा कमाने की बेहतरीन गुंजाइश है। आजकल बाजार में ई-वेस्ट जैसी अनोखी संकल्पना का स्वागत हो रहा है, क्योंकि इस उद्योग में काफी संभावनाएं हैं। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहें...
इको रीसाइक्लिंग लि. : ई-वेस्ट या इलेक्ट्रॉनिक कचरा यानी मोटे तौर पर फेंके हुए, बचे हुए, टूटे हुए, समय के साथ बेकार हो चुके इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जिनमें इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का समावेश होता है। तेज प्रौद्योगिक प्रगति और अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण की वजह से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद सभी के लिए उपलब्ध हो पाए हैं, लेकिन उसकी वजह से ई-कचरा बड़े पैमाने पर तैयार होने लगा है। ई-वेस्ट की समस्या पर विजय पाने के लिए और 'ई-वेस्ट' आयतन, मात्रा तथा मूल्य के आधार पर विश्व का सबसे बड़ा उद्योग है। इस सिद्धांत पर विश्वास करते हुए भारत के सबसे पहली व्यावसायिक कंपनियों में से एक, ईको रीसाइक्लिंग लि. (इकोरिको) ने ई-वेस्ट के निपटान के अनोखे और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों के जरिए मानदंड स्थापित किए हैं। ब्रांड ई-वेस्ट व्यवस्थापन के लिए निर्बाध रूप से समाधान पेश करता है और उसके जरिए व्यवसाय में कम निवेश करने और अधिक प्रतिफल पाने की इच्छा रखने वाले निवेशकों को व्यवसाय अवसर तैयार कर रहा है।
बाजार का आकार
वर्तमान में भारत में ई-वेस्ट के बाजार का आकार 3.2 मिलियन मेट्रिक टन है और 2020 तक इसके 20 मिलियन मे.ट. पहुंचने का अनुमान है। मूल्य के हिसाब से, ये मौजूदा स्थिति में 25,000 करोड़ रु. का उद्योग है और अनुमान है कि 2020 तक ये आंकड़ा 25,000 करोड़ रु. हो जाएगा। सौभाग्य से भारत के ई-वेस्ट व्यवस्थापन नियमों की आवश्यकतानुसार, ये सम्पूर्ण उद्योग अब तक औपचारिक क्षेत्र द्वारा अप्रयुक्त है।
भविष्य के लिए अवसर
अप्रयुक्त उद्योग-क्षमता को देखते हुए और मृत ई-कचरे के व्यवस्थापन और पुनर्चक्रण के इस अछूते अवसर का लाभ उठाने की अपनी योजना को पूरा करने के लिए, ब्रांड ने पूरे देशभर में 5,000 'टेक बैक पॉइंट्स' स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। मृत ई-कचरा व्यवस्थापन में व्यवसाय के बड़े अवसर देखते हुए, इकोरिको ने ई-कचरे को जमा करने के लिए कलेक्शन पॉइंट्स का विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क बांधने की योजना बनाई।
उन्होंने इसे इकोरिको नाम देते हुए इसे 'टेक बैक पॉइंट्स' का प्रत्यय जोड़ा। ये पॉइंट्स सारे उपकरण उत्पादकों (OEMs) को इकोरिको के रिवर्स लोजिस्टिक्स नेटवर्क को सांझा आधार पर लाभ उठाने में मदद करेंगे। उसके जरिए, उनकी व्यक्तिगत तौर पर अपने कलेक्शन पॉइंट्स के व्यवस्थापन में पूंजीगत लागत और राजस्व व्यय में काफी बचत होगी। एन्ड यूजर के इस तैयार आधार के कारण फ्रैंचाइजिस का तुरंत फायदा होगा और उन्हें इस्तेमाल किए गए उत्पाद काफी सस्ते दामों पर मिलेंगे। उनके लक्ष्य के अनुसार, ईको रीसाइक्लिंग लि. और उनकी 'टेक बैक पॉइंट्स' (फ्रैंचाइजी) देशभर के घरों, कार्यालयों और स्थापनाओं से ई-कचरे संग्रहण के जिम्मेदार रहेंगे।
इकोरिको फ्रैंचाइजी होने के लिए क्या आवश्यक है:
निवेश : 7-8 लाख रु.
क्षेत्र : 1,000 - 1,500 स्क्वे. फी.
फ्रैंचाइजी की राह लेते हुए सम्पूर्ण देश में विस्तारित होने को लेकर ब्रांड काफी उत्साहित है। ईको-रीसाइक्लिंग लि. के चेयरमैन और एम डी - बी.के. सोनी - बताते हैं, "हम 3,00,000 MT (हर फ्रैंचाइजी से केवल 60 MT प्रति वर्ष) कचरा जुटाने के लिए देश भर में 5,000 इकोरिको टेक बैक पॉइंट्स स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।" ब्रांड ई-वेस्ट व्यवस्थापन क्षेत्र को एक नया और उभरता हुआ अवसर मानते हुए, उसमें प्रवेश करने की इच्छा रखने वाले वर्तमान ई-कचरा व्यापारी 'कबाडीज़', स्क्रैप डीलर्स, HP, IBM जैसे ब्रांड्स के सर्विस सेंटर्स, फुटकर विक्रेता, ग्रेजुएट्स और अंडर-ग्रेजुएट्स से हाथ मिलाने की योजना बना रहा है।