व्यवसाय विचार

ईवी उद्योग को 2024 के बजट से बैटरी पर जीएसटी कम होने की उम्मीद

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Jan 17, 2024 - 7 min read
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ईवी उद्योग जीएसटी कटौती के लिए आशा कर रही है, जिसका लक्ष्य विशेष रूप से लिथियम-आयन बैटरी पैक और सेल के लिए इसे 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करना है।

इलेक्ट्रिक वाहनों ने पिछले लगातार दो वर्षों के दौरान उद्योग की उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है। भारत जिस गति से नेट जीरो लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है उसे देखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति ग्राहकों की यह रुचि उद्योग के साथ-साथ सरकारों का भी भरोसा बंधाती है कि देश समय रहते कार्बन उत्सर्जन कम करने के अपने लक्ष्यों को हासिल कर लेगा। हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत इसे सामान्य ग्राहकों की पहुंच से दूर बना रही है और इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी बैटरी की है। इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम में करीब आधा हिस्सेदारी इसकी बैटरी की है। ऐसे में उद्योग जगत बैटरी पर जीएसटी की दर कम करने की लंबे समय से मांग कर रहा है। उद्योग जगत की मानें तो इस बार भी उसे कम से कम इतनी उम्मीद जरूर है कि ईवी बैटरी पर जीएसटी की दर मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत की जाएगी।

ओमेगा सेकी मोबिलिटी  के चेयरमेन उदय नारंग ने वर्ष 2024 के बजट अपेक्षाओं पर कहा भारत के इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को बदलने के लिए, तीन कारकों का मिलना आवश्यक है, कीमत, पहुंच, और पर्यावरणीयता। लिथियम-आयन बैटरियों पर जीएसटी कम किया गया और घरेलू बैटरी मैन्युफैक्चरिंग और कौशल पहल के साथ-साथ इलेक्ट्रिक ट्रकों की सब्सिडी पर स्पष्टता के साथ फेम 3 की शुरूआत की गई। पहुंच में मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग है जो महानगरों से परे तक पहुंचता है, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों द्वारा संचालित होता है, और सीमित चार्जिंग के लिए खुले डाटा मानकों द्वारा समर्थित है।स्थायिता अंत-जीवन बैटरी प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है,  जिसमें रीसाइक्लिंग और चक्रीय अर्थव्यवस्था के उपायों में अनुसंधान एवं विकास की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। इन स्तंभों को प्राथमिकता देना ही एकमात्र तरीका है जिससे भारत वास्तविक क्षमता को उजागर कर सकता है और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना सकता है।

रैप्टी के को-फाउंडर और सीईओ दिनेश अर्जुन ने कहा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग आने वाले वर्षों में पर्याप्त वृद्धि के लिए तैयार है, इसलिए सरकार के लिए एक सहायक इकोसिस्टम को बढ़ावा देना जरूरी है। निवेश के अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिए, संभावित निवेशकों के लिए प्रोत्साहन होना चाहिए, साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग स्टेशनों के लिए जीएसटी दरों में आवश्यक कटौती होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट पर आयात शुल्क में कमी के माध्यम से उद्योग पर बोझ को कम किया जा सकता है। ईवी क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, उद्योग विशेष रूप से महत्वपूर्ण जीएसटी कटौती के लिए आशा कर रही है, जिसका लक्ष्य विशेष रूप से लिथियम-आयन बैटरी पैक और सेल के लिए इसे 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करना है। व्यापार करने में आसानी बढ़ाने और बाजार में स्थानीय खिलाड़ियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने की दिशा में बजट में एक ठोस प्रयास महत्वपूर्ण है। कंपोनेंट स्थानीयकरण जैसे पहलुओं को संबोधित करने और आवश्यक कंपोनेंट तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने से बड़ी और छोटी दोनों भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर प्रतिस्पर्धी उत्पाद विकसित करने का अधिकार मिलेगा, जिससे क्षेत्र की विकास क्षमता और मजबूत होगी।

ईवीआईएफवॉय की को-फाउंडर और डायरेक्टर प्रज्ञा मित्तल ने कहा केंद्र सरकार का समग्र रूप से ईवी उद्योग के विकास पर बहुत अधिक ध्यान है, लेकिन राज्य सरकारों को भी समान प्रतिबद्धता दिखाने की जरूरत है।उदाहरण के लिए, गुजरात में हम ईवी वाहनों के लिए अन्य राज्यों की तुलना में दोगुना आरटीओ शुल्क चुका रहे हैं जो इसे महंगा होने के साथ-साथ कम पसंदीदा विकल्प भी बनाता है।पूरे भारत में विकास के समान अवसरों के लिए सभी राज्यों में मानकीकृत मानदंड होने चाहिए।

न्यूरॉन एनर्जी  के सीईओ और को-फाउंडर ने कहा जैसे-जैसे केंद्रीय बजट 2024 नजदीक आ रहा है, हम इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण उपायों की आशा करते हैं।हम जीएसटी नियमों में सकारात्मक बदलाव का समर्थन करते हैं, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और उनके हिस्सों के लिए कम कर दर का आग्रह करते हैं। यह समायोजन न केवल ईवी को अधिक किफायती बनाएगा, बल्कि अधिक लोगों को इलेक्ट्रिक परिवहन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जो हमारे देश के टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल यात्रा के लक्ष्य के अनुरूप होगा।इसके अलावा, हमें उम्मीद है कि सरकार हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और मैन्युफैक्चरिंग (फेम- 2) योजना के लिए समर्थन बढ़ाएगी और मजबूत करेगी। इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इकोसिस्टम की निरंतर वृद्धि के लिए इस योजना को जारी रखना महत्वपूर्ण है।

हम बहुप्रतीक्षित फेम-3 योजना पर अंतर्दृष्टि की प्रतीक्षा कर रहे हैं।इस संदर्भ में एक स्पष्ट-परिभाषित रोडमैप, निर्माताओं को स्पष्टता प्रदान करेगा, जिससे रणनीतिक योजना बनाने और निवेशक आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में सहायक होगा। फेम2 से फेम 3 तक बदलाव उद्योग के प्रगतिशील प्रक्षेपवक्र के लिए आवश्यक है और हमें उम्मीद है कि बजट इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के भविष्य के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगा। भारत के प्रमुख शहरों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ, हमें एक स्थायी विकल्प के रूप में ईवी को तेजी से अपनाने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा।

बी लाईव  के सीईओ और को-फाउंडर ने कहा " मुझे उम्मीद है कि सरकार ईवी सेक्टर को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल) में शामिल करेगी, जो व्यक्तिगत एवं कमर्शियल वाहनों के लिए फाइनैंस को सुलभ एवं आसान बनाएगा। मुझे उम्मीद है कि बजट में ऐसी नीतियों की घोषणा की जाएगी जो ईवी अडॉप्शन को बढ़ावा देंगे जैसे आईसीई वाहनों को ईवी में बदलने वाली कन्वर्जन किट्स के लिए इन्सेंटिव की घोषणा और सब्सिडी बढ़ाना, इससे ईवी अधिक किफ़ायती हो जाएंगे।"

ड्राइव एक्स के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर नारायण कार्तिकेयन ने कहा "2024-25 के अंतरिम बजट की घोषणा जल्द होने वाली है, हमारा मानना है कि आगामी बजट खासतौर पर दोपहिया ऑटो उद्योग की आर्थिक स्थिति का आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। टैक्सेशन सिस्टम में सुधार से हमारे उद्योग को फायदा होगा। सरकार उपभोक्ताओं के व्यय पर ध्यान दे रही है, ऐसे में टैक्स को बढ़ाने और घटाने से सैकण्ड हैण्ड दोपहिया वाहनों की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मौजूदा रेपो रेट को स्थिर बनाए रखने की घोषणा उल्लेखनीय है। दरों में स्थिरता बनी रहने से फाइनैंसिंग के अनुकूल विकल्प मिलेंगे और बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं के लिए दोपहिया वाहन खरीदना अधिक आसान हो जाएगा। इससे विभिन्न आर्थिक वर्गों के लिए परिवहन के साधनों को सुलभ बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही, हमें उम्मीद है कि आगामी बजट ऑटोमोटिव उद्योग में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देगा। बजट की बात करें तो हम आपसी सहयोग के प्रयासों को लेकर आशावादी हैं जो हमारे उद्योग को गति प्रदान करेंगे। उपभोक्ता- उन्मुख दृष्टिकोण के साथ अपनी टीम और साझेदारों के साथ मिलकर आगामी बजट से उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।"

एआरसी इलेक्ट्रिक के सीईओ और सह-संस्थापक अभिनव कालिया ने कहा जैसे ही हम 2024 में कदम रख रहे हैं, ईवी और ऑटो उद्योग में प्रगति देख रहे हैं, हमारा आशावाद बजट 2024 के आसपास की प्रत्याशा से बढ़ गया है। सरकार की पहल, जैसे सब्सिडी, कर कटौती और सहयोग, विकास को गति देने में सहायक रही हैं। इस उम्मीद के साथ कि 2024 में ईवी बाजार 100% से अधिक बढ़ जाएगा, हम आगामी बजट में निरंतर समर्थन की आशा करते हैं। यह समर्थन न केवल छोटे व्यवसायों के लिए बाजार में फलने-फूलने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उद्योग जगत के नेताओं के लिए तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह वर्ष पर्याप्त विकास की अवधि का प्रतीक हो सकता है, जिसमें बजट और दूरदर्शी व्यापार परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

वर्ष 2023-24 के बजट में क्या था खास

वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने लीथियम ऑयन बैटरी की कीमतों में कटौती की बात रखी थी, जिससे कारें सस्ती हो सकती हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतों को देखते हुए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के चलन को बढ़ावा देने के लिए इन पर ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी देकर आम आदमी की पहुंच में लाने का प्रयास की बात कही थी, जिसके लिए इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को भी सब्सिडी दी जाएगी, जोकि ग्रीन मोबिलिटी की दिशा में एक बढ़ा कदम होगा। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयोग की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरी बनाने के लिए आयत की जाने वाली चीजों पर वाहन निर्माता कंपनियों को आयात शुल्क में छूट देना था। भारत 2070 तक नेट जीरो कार्बन के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, जिसके लिए 19,700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इलेक्ट्रिक बैटरी बनाने के लिए प्रयोग की जाने वाली सामग्री के आयात को टैक्स फ्री रखने का था।

 

 

 

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