इलेक्ट्रिक वाहनों के सड़क पर उतरने के साथ ही इसके चार्जिंग स्टेशन का बिजनेस भी तेजी से बढ़ रहा है। ईवी चार्जिंग स्टेशन भारतीय व्यापार जगत में तेजी से गेम-चेंजर बनता जा रहा है। जिस तरह से इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं उस लिहाज से आने वाले समय में ये बिजनेस और भी तेजी से बढ़ सकता है।
किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले उसकी लागत पर विचार करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। बिजनेस में दो चीज बहुत जरूरी होती है पहली पूंजी और दूसरा परिचालन खर्च। किसी भी बिजनेस को चलाने के लिए उसका परिचालन खर्च उसके मेंटेनेंस के लिए बहुत जरूरी होता है,लेकिन चार्जिंग स्टेशन के मामले में व्यावहारिक रूप से कोई ज्यादा परिचालन खर्च नहीं है। ईवी चार्जिंग स्टेशन के निर्माण का खर्च चार्जर, बिजली, सॉफ्टवेयर, बुनियादी ढांचे, विज्ञापन, कर्मचारियों और मेंटेनेंस तक सीमित है।
ईवी चार्जिंग पॉइंट को 25 लाख रूपये के निवेश के साथ भी शुरू कर सकते है। मानक खर्चों में एक नए विद्युत कनेक्शन, तकनीशियन, श्रमिकों, मेंटेनेंस, विज्ञापन, मार्केटिंग, ईवीएसई मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और साइट अनुबंध की लागत शामिल है।
ईवी चार्जर कितने प्रकार के होते हैं
इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए दो प्रकार के चार्जर का उपयोग होता है, पहला एसी चार्जर, जो कि स्लो चार्जर होता हैं और दूसरा डीसी चार्जर जो कि फास्ट चार्जिंग क्षमताओं से लैस होता हैं। भारत में ज्यादातर इलेक्ट्रिक वाहन कंबाइन चार्जिंग सिस्टम (सीसीएस) प्रोटोकॉल पर निर्भर हैं जो कि यूरोपिय तकनीक है। एसी चार्जर ईवी को धीमी गति से चार्ज करते हैं। ऐसे चार्जर को कम बिजली की जरूरत होती है और इसलिए इन्हें किसी भी घरेलू परिसर में आसानी से स्थापित किया जा सकता है। एक वाहन को चार्ज करने में औसतन 6 से 14 घंटे का समय लगता है।
फास्ट चार्जर की बात करें तो, फास्ट चार्जर का उपयोग उन वाहनों के के लिए किया जा सकता है जिनमें उच्च बैटरी क्षमता होती है और तेजी से चार्ज करने में सक्षम होते हैं। इसकी क्षमता 15 किलोवाट से 150 किलोवाट तक होती है। फास्ट चार्जिंग ईवी की क्षमता पर भी निर्भर करता है कि वह एक निश्चित समय में चार्ज हो सके। इन्हें उन जगहों पर स्थापित किया जा सकता है जहां हाई-पावर उपलब्ध हो।
चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए जरूरी चीजें
चार्जिंग स्टेशन को स्थापित करने के लिए ज्यादा मैनपावर की जरूरत नहीं होती है और इसका मैनेजमेंट भी काफी आसान है। राज्य सरकारों ने व्यवसायिक और आवासीय परिसरों में चार्जिंग स्टेशन की अनिवार्य स्थापना की घोषणा भी की है। एक चार्जिंग स्टेशन को स्थापित करने के लिए जगह की जरूरत पढ़ती है, साइट की व्यवहार्यता, चार्जिंग पॉइंट की संख्या और चार्जिंग उपकरण के लिए 10 वर्गफीट से ज्यादा जगह की जरूरत होती है। वाहन की पार्किंग के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 100 वर्गफीट से कम न हो।
अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर देने वाली कंपनियां उपकरण, सॉफ्टवेयर, मोबाइल ऐप जैसी सुविधाएं मुहैया कराती हैं। चार्जिंग स्टेशनों पर बहुत ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा चार्जिंग के लिए पेमेंट से लेकर बिल बनाने तक सब कुछ ऑनलाइन किया जाता है। इस लिहाज से आप कर्मचारियों की सिमित संख्या में भी चार्जिंग स्टेशन के बिजनेस को शुरू कर सकते हैं। विद्युत मंत्रालय के अनुसार भारत में चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। आप नियम का पालन करते हुए अपने क्षेत्र में ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए आपको स्थानीय विभागों से जरूरी अनुमति लेने की जरूरत पड़ सकती है।
आज के समय में चार्जिंग स्टेशन का बिजनेस बेहतर व्यवसायों में से एक हो सकता है। देश में ईवी वाहनों की मांग जिस तरह बढ़ रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता हैं कि आने वाले समय में चार्जिंग स्टेशन के बिजनेस में बेहतर संभावनाएं बनेंगी। हालही में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार अब इलेक्ट्रिक वाहन के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने वाली कंपनियों को सब्सिडी देगी।
पावर सेक्रेटरी आलोक कुमार ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर बात करते हुए कहा सरकार जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहन के तेजी से मैन्युफैक्चरिंग और उसे अपनाने की योजना (एफएएमई) को नया रूप देगी। इसमें ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने वाली कंपनियों को ट्रांसफॉर्मर जैसी बुनियादी सुविधाएं स्थापित करने वालों के लिए भुगतान करने को लेकर सब्सिडी देने का प्रावधान होगा।
उन्होंने कहा डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए ट्रांसफॉर्मर जैसा बुनियादी ढांचा लगाती हैं। इसका उद्देश्य ईवी चार्जिंग स्टेशन को बिजली आपूर्ति करना है जिसकी लागत पाच से छह लाख रुपये बैठती है। हम ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने वाली कंपनियों को सब्सिडी देंगे ताकि वे ट्रांसफॉर्मर जैसी ढांचागत सुविधाएं लगाने वाली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को भुगतान कर सकें। फिलहाल ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने वाली कंपनियों को ट्रांसफॉर्मर आदि के लिए भुगतान करना पड़ता है।