देश का इलेक्ट्रिक वाहन ईवी सेक्टर काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश के बड़े उपभोक्ता वर्ग और पर्यावरण संरक्षण की जरूरतों को देखते हुए हर छोटी-बड़ी कंपनी वर्तमान में ईवी सेक्टर में हाथ आजमाना चाह रही है। हालांकि ईवी उद्योग के लिए अभी सबसे बड़ी दिक्कत चार्जिंग स्टेशन की कमी ही है, जिसे दूर करने के लिए निजी कंपनियों समेत सरकार भी लगातार विभिन्न प्रयास कर रही है।
इसी कड़ी में बीते दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ईवी यात्रा पोर्टल और मोबाल एप्लीकेशन लांच किया है। इससे ईवी वाहन चालकों को सबसे नजदीकी चार्जिंग स्टेशन का पता लगाने में बड़ी मदद मिलेगी। इस पोर्टल और साइट में और भी बहुत सी खूबियां हैं और उद्योग जगत ने इस पर अपनी बेहद उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी है।। आइए, इस ऐप और पोर्टल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बीईई ने तैयार किया ईवी यात्रा ऐप
भारत सरकार की एजेंसी ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) ने यह ऐप तैयार किया है। यह ऐप ईवी को चार्ज करने के लिए नजदीकी ईवी चार्जर तक पहुंचाने में मदद करेगा। ईवी यात्रा ऐप पर ईवी चार्जिंग स्टेशन पर कौन-कौन से चार्जर इंस्टॉल किए गए हैं, कितने चार्जिंग स्लॉट उपलब्ध हैं। ईवी को चार्ज करने के लिए कितना चार्ज लिया जाएगा आदि कई जरूरी जानकारियां मिल जाएंगी। आप अपने चार्जिंग स्लॉट को प्री-बुक भी करा सकते है। यह ऐप एंड्रॉयड और आईफोन दोनों ही यूजर्स के लिए उपलब्ध हैं।
बीईई का काम ऊर्जा दक्षता की सेवाओं को संस्थागत रूप देना है ताकि देश के सभी क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो। इसे भारत सरकार द्वारा ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत 1 मार्च 2002 को स्थापित किया गया था। बीईई द्वारा विकसित ईवी यात्रा पोर्टल को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस समारोह के दौरान लॉन्च किया गया। यह दिवस ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में देश की उपलब्धियों को पेश करने के लिए हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता है।
ईवी चार्जिंग पर उद्योग की प्रतिक्रिया
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा ईवी यात्रा पोर्टल के लॉन्च के साथ, भारत सरकार ईवी इकोसिस्टम को लाभ पहुंचाने के लिए सभी चार्ज प्वाइंट ऑपरेटरों (सीपीओ) के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करेगी।
अब सभी चार्ज पॉइंट ऑपरेटर पंजीकृत हो जाएंगे, जिससे ईवी उपयोगकर्ताओं के लिए निकटतम चार्जिंग स्टेशन का पता लगाने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। ईवी यात्रा पोर्टल की उपस्थिति से चार्जिंग पॉइंट स्टेशनों के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ईवी स्पेस में यह प्रगति केवल यहीं नहीं रुकेगी, क्योंकि अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रिक वाहनों को पूरी तरह से चोरी से बचाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट सक्रिय रूप से चल रहे हैं।
ईवी और सीपीओ जल्द ही केंद्रीय इलेक्ट्रिक व्हीकल पंजीकरण प्रणाली (ईवीआरएस) प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत होंगे और चोरी के रूप में चिह्नित किसी भी ईवी को स्वचालित रूप से प्रत्येक पंजीकृत चार्जिंग स्टेशन पर चार्ज करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। दिल्ली-जयपुर-आगरा ई-हाईवे पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस द्वारा ईवी के लिए यह एंटी-थेफ्ट तकनीक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएचईवी) के पायलट चरण के तहत है।
दिल्ली रिसर्च इम्प्लीमेंटेशन एंड इनोवेशन (डीआरआईआईवी) की सीईओ और एमडी शिप्रा मिश्रा ने अपने विचार साझा करते हुए बताया ईवी यात्रा पोर्टल देश भर में ईवी चार्जर को मैप करता है, जिससे उपयोगकर्ताओं को आसपास के निकटतम चार्जर को ढूंढने में मदद मिलती है। यह सीमा संबंधी चिंता को दूर करके वर्तमान और संभावित उपयोगकर्ताओं में विश्वास को प्रेरित करता है और अधिक से अधिक ईवी अपनाने को प्रोत्साहित करता है।
पोर्टल ईवी अपनाने के लिए उपभोक्ताओं को आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करने वाली विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को भी सूचीबद्ध करता है।इसके अलावा, पोर्टल पर उपयोगकर्ताओं को विभिन्न ईवी विकल्पों की तुलना करने, उनकी ऊर्जा खपत और परिचालन लागत का आकलन करने की अनुमति देता है। ये सभी विशेषताएं उपभोक्ताओं के लिए अपनी ईवी खरीदारी करते समय एक सूचित निर्णय लेने को आसान बनाती हैं।
ईवी को मुख्यधारा में लाने से अधिक उद्यमी ईवी चार्जर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित होंगे और राष्ट्रव्यापी एक मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास व विस्तार को गति प्रदान करेंगे। चार्जिंग इंफ्रा के इस तरह के विस्तार से पूंजीगत लागत में भी कमी आएगी,जिससे किराना दुकान मालिकों जैसे छोटे ऑपरेटरों को ईवी चार्जिंग के आसपास लाभदायक व्यवसाय मॉडल विकसित करने में मदद मिलेगी। दो या तीन पहिया वाहनों के लिए यह बेहद फायदेमंद साबित होगा।
कई स्टार्ट-अप कंपनियां सौर पैनलों को चार्जर के साथ एकीकृत करने पर भी काम कर रही हैं, ताकि ग्रिड पर भार कम हो और ग्रीन मोबिलिटी यानी वाहन प्रदूषण से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को निम्नतम स्तर पर लाने में मदद मिल सके।