कोरोना के समय कई लोगों की नौकरियों पर असर पढ़ रहा था और कुछ एमएसएमई सेक्टर बंद होने के कागार पर पहुंच रहे थे लेकिन केंद्र सरकार के फैसले से देश के लगभग 13.5 लाख छोटे उद्योग बंद होने से बच गए और साथ ही 1.5 करोड़ लोगों का रोज़गार भी बंद होने से बच गया।
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट के अनुसार मई 2020 में केंद्र सरकार ने कोरोना की महामारी के समय एमएसएमई सेक्टर को राहत देने के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को लॉन्च किया था।
इस बैंक का अनुमान है कि 13.5 लाख एमएसएमई अकाउंट एनपीए होने से बच गए और इसमें 93.7 प्रतिशत अकाउंट छोटे कैटेगरी के थे। इस दौरान करीबन 1.8 लाख करोड़ रुपए के एमएसएमई लोन को इनपीए(नॉन परफॉर्मिंग एसेट) में जाने से बचा लिया गया। यह इस सेक्टर को दिए गए कुल कर्ज का 14 प्रतिशत हिस्सा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इसके तहत कर्ज देने की सीमा को बढ़ाकर 4.5 लाख करोड़ रुपए किया था। इसका 64.4 प्रतिशत यानी 2.9 लाख करोड़ 21 नवंबर 2021 तक मंजूर किया गया था। मई 2020 में 100 प्रतिशत गारंटी इसके साथ दी गई थी।
अगस्त 2020 में केंद्र सरकार ने इस स्कीम में मुद्रा लोन के तहत कर्ज लेनेवालों को भी शामिल कर लिया। जबकि नवंबर 2020 में इस स्कीम को 26 सेक्टर्स के लिए बढ़ाया गया। इस स्कीम को तीसरी बार मार्च 2021 में फिर से बढ़ाया गया जिसमें ह़ॉस्पिटालिटी, ट्रैवल और टूरिज्म के साथ लेजर और अन्य सेक्टर को शामिल किया गया। चौथी बार इसे मई 2021 में बढ़ाया गया और इसमें कुछ सुधार किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रो सेक्टर में 1 करोड़ छोटे सेक्टर में 45 लाख, मध्यम सेक्टर में 5 लाख रोज़गार बचाए गए। टॉप 10 सेक्टर्स की बात करें तो इनका करीबन 75 प्रतिशत अकाउंट एनपीए होने से बच गया। इसमें टॉप 3 राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का समावेश रहा है। प्राइवेट कंपनियों में सबसे आगे गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश हैं। जबकि प्रोपराइटरशिप में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल हैं। पार्टनरशिप फर्म में गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सबसे आगे हैं।
इस स्कीम के तहत लोन की समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ाई गई है। जबकि लोन के वितरण की समय सीमा जून 2022 तक है। इस योजना के तहत 7.5 प्रतिशतच सालाना ब्याज पर कर्ज दिया जाता है। हालांकि बैंक इससे कम दर पर भी कर्ज दे सकते हैं। यह बिज़नेस लोन छोटे कारोबारियों के लिए शुरू किया गया था। इसका समय 60 महीने का होता है। ब्याज का रीपेमेंट शुरू के 24 महीने तक लिए जाते हैं। उसके बाद मूलधन लिया जाता है।