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- एडटेक स्टार्टअप्स के लिए चुनौतीपूर्ण होगा विदेशी कंपनियों का भारत आगमन
शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार लगातार कुछ न कुछ बदलाव करने की कोशिश कर रही है। जी-20 सम्मेलन के बाद कई विदेशी एडटेक कंपनियां भारत में अपना कैंपस स्थापित कर रही हैं। निश्चित रूप से इसका प्रभाव एडटेक स्टार्टअप कंपनियों पर भी देखने को मिलेगा। इसी संबंध में हमने कुछ एडटेक कंपनियों से कुछ सवाल किए और यह जानने की कोशिश की, कि इसका असर स्टार्टअप्स पर क्या देखने को मिलेगा। हमारे सवाल थे-
मशीन लर्निंग का दौर
डीटूएल के बिजनेस डायरेक्टर (साउथ एशिया) डॉ. प्रेम दास माहेश्वरी ने इन सवालों के जवाब में कहा, आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चैटजीपीटी और मशीन लर्निंग का दौर है। इस दौर में दुनियाभर में बहुत सारे एडटेक स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं, जो ऑनलाइन एजुकेशन या एजुकेशन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके शिक्षण संस्थानों को अलग-अलग सॉफ्टवेयर उपलब्ध करा रहे हैं। शिक्षण संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैटजीपीटी जैसे टूल्स का उपयोग कर ऐसी तकनीक तैयार करते हैं, जिसके आधार पर शिक्षा प्रदान करने के तरीकों या माध्यम को बेहतर बनाने का अवसर प्राप्त होता है। यह सब बेहद आसान है, इसलिए मेरा मानना है कि यदि आप एडटेक स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं तो निःसंदेह उसे शुरू करें, लेकिन कुछ ऐसी विशेषता या खासियत भी लेकर आएं, जिससे सभी शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को लाभ हो। इसमें कोई शक नहीं कि जब भी आप कुछ शुरू करते हैं तो समस्याएं आती ही हैं, लेकिन यदि वह स्टार्टअप अनूठा है और नए ढंग से शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव कर सकता है तो उसके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
शिक्षा का हाइब्रिड मॉडल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का प्रयोग अगले शिक्षा सत्र से होने जा रहा है। इसके अंतर्गत शिक्षा के हाइब्रिड मॉडल या ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम का प्रयोग करके छात्र अपनी पढ़ाई को आगे ले जा सकते हैं। इसका बहुत ज्यादा लाभ है। छात्र को अधिकार है कि वह चाहे तो अपने पूरे पाठ्यक्रम को, चूंकि वह ऑनलाइन भी उपलब्ध है तो उसे जब, जहां और जैसे चाहे, पढ़ सकता है या उसका पुनरावलोकन कर सकता है। इसके अलावा वह अपनी समस्याओं को दोस्तों या शिक्षकों से सलाह करके दूर भी कर सकता है। ऑनलाइन में वे जब और जहां चाहें, लर्निंग मैनेजमेंट का प्रयोग करके उसे प्रयोग कर सकते हैं और अगर उन्हें लगता है कि कुछ विषय और टॉपिक्स ऐसे हैं, जो ऑनलाइन शिक्षा के जरिए स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं या समझ नहीं आ रहे हैं, और इसके लिए उन्हें शिक्षकों का सहयोग चाहिए, तो वे ऑफलाइन जाकर भी अपनी समस्या दूर कर सकते हैं, टीचर से उस टॉपिक को समझ सकते हैं, उसे रिकॉर्ड कर सकते हैं। इसके अलावा आज बहुत सारे असाइनमेंट असेसमेंट्स भी छात्रों को दिए जाते हैं, उन सभी प्रोजेक्ट्स और असाइनमेंट्स को छात्र ऑनलाइन भी पूरा कर सकते हैं और उसे अपलोड कर सकते हैं। अगर आप ऑफलाइन भी कोई असाइनमेंट लिखते हैं या टाइप करते हैं तो उसे भी आप डिजिटल फॉर्म में अपने प्रोफेसर के एसेसमेंट के लिए अपलोड कर सकते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका
आज की शिक्षा प्रणाली में एक बात जो बहुत ही आसान हो चुकी है, वह यह है कि आज आप जैसे भी, या जिस तरीके से भी शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, जो भी आपको अच्छा लगता है, जो भी आपको पसंद है, उस माध्यम या लर्निंग मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म का प्रयोग करके आप शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। आज और आने वाले समय में समस्त शिक्षा प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बहुत भूमिका होगी। हम देख रहे हैं कि बच्चों को आज वैश्विक शिक्षा उपलब्ध हो रही है। यानी कि अपने शिक्षकों से वे जो भी टॉपिक समझ रहे हैं, उसी टॉपिक पर ऑनलाइन माध्यम का प्रयोग करके अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर्स, जो उस टॉपिक पर अपना व्याख्यान दे रहे हैं, या दे चुके हैं, उसे भी वे देख और सुन सकते हैं, उनसे बातचीत कर सकते हैं। इससे उनके वैश्विक बौद्धिक्ता और वैश्विक ज्ञान में जो वृद्धि होगी, वह भविष्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
जी-20 सम्मेलन के बाद विदेशी कंपनियों के देश में आने और एडटेक कंपनियों के प्रोडक्ट्स समेत एजुकेशन टेक्नोलॉजी जैसे लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग करने से हमारे व्यवसाय में काफी वृद्धि होगी। बिना लर्निंग मैनेजमेंट के आज कहीं, किसी भी संस्थान को चलाना आसान नहीं है। विदेशों में तो बहुत ही अच्छे तरीके से एजुकेशन टेक्नोलॉजी और एलएमएस का प्रयोग हो रहा है। हालांकि, भारत में लर्निंग मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग करने में अभी हम बहुत पीछे हैं। मेरा मानना है कि जब आधुनिक विदेशी कंपनियों के कैंपस यहां स्थापित होंगे और वे एलएमएस का प्रयोग करेंगे तो हमारे देश की यूनिवर्सिटीज भी इसका प्रयोग करेंगी।
स्टार्टअप्स को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त
ज़ैमिट की प्रोजेक्ट मैनेजर अनीज़ कतरे ने इन सवालों के जवाब कुछ इस तरह दिए। उन्होंने कहा, AI और ChatGPT के इस दौर में एडटेक स्टार्टअप शुरू करना और उसे चलाना दोनों चुनौतीपूर्ण के साथ-साथ अवसर देने वाला भी है। हालात की बात करें तो यह बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धी है। तकनीकों में लगातार हो रहे बदलाव और उसकी गुणवत्ता में हो रही बढ़ोतरी शैक्षणिक उद्योग को नया रूप दे रही है। हालांकि, आज के समय में इन तकनीकों को अपनाने से स्टार्टअप्स को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त भी मिल सकती है। एडटेक स्टार्टअप शुरू करने में आसानी तब होती है, जब आपके अंदर कुछ विशेष कारक मौजूद हों, जैसे कि आपको बाजार की अच्छी समझ हो, आपके अंदर तकनीकी एकीकरण और शैक्षणिक आवश्यकताओं के अनुकूल खुद को ढालने की क्षमता हो। व्यक्तिगत शिक्षण अनुभवों के लिए AI और ChatGPT शक्तिशाली टूल्स ऑफर करते हैं, लेकिन उनके सफल कार्यान्वयन के लिए शिक्षा शास्त्र की गहन समझ और उपयोगकर्ता केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
बहुमुखी चुनौतियों का समाधान महत्वपूर्ण
तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों से अवगत रहना और यह सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है कि यह मंच नवीन और प्रभावी बना रहे। इसे संबोधित करने के लिए चल रहे अनुसंधान और विकास में निवेश करना, क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ सहयोग करना और टीम के भीतर निरंतर सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक और बाधा शिक्षा क्षेत्र में विश्वास और विश्वसनीयता हासिल करना है। शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी करने, कंटेंट तैयार करने में शिक्षकों को शामिल करने और कठोर परीक्षण करने से विश्वसनीयता बनाने में मदद मिल सकती है। डाटा-संचालित परिणामों और प्रशंसा पत्रों के माध्यम से इस मंच के प्रभाव को प्रदर्शित करना आवश्यक है। यही कारण है कि इच्छुक एडटेक उद्यमियों को बाजार के रूझानों के जवाब में सक्रिय रहने और उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया को प्राथमिकता देने के लिए शिक्षा क्षेत्र की अनूठी जरूरतों को समझने की जरूरत है। शिक्षकों, प्रौद्योगिकीविदों और व्यावसायिक विशेषज्ञों सहित विविध कौशल सेट के साथ एक मजबूत टीम का निर्माण करने और बहुमुखी चुनौतियों का समाधान करने के लिए भी यह महत्वपूर्ण है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अधिक समावेशी
ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, छात्रों को अपने विषयों और अध्ययन का माध्यम चुनने में सक्षम बनाना हमारा मूल दृष्टिकोण है। हम लचीला और व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव प्रदान करके शिक्षार्थियों को सशक्त बनाने में विश्वास रखते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अधिक समावेशी और छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा और संसाधनों का खजाना तैयार करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह लचीलापन विषयों तक फैला हुआ है, जिससे छात्रों को विविध विषयों का पता लगाने और अपने जुनून की खोज करने की अनुमति मिलती है। इसके अलावा, हम पारंपरिक कक्षा के अनुभवों की महत्ता को भी समझते हैं। कुछ छात्र आमने-सामने बैठकर बातचीत के जरिए हाथों-हाथ सीखना ज्यादा पसंद करते हैं। यही वजह है कि हमारा लक्ष्य सही संतुलन कायम करना है, जिससे छात्रों को अध्ययन का वह तरीका चुनने की स्वायत्ता मिल सके, जो उनकी सीखने की शैली के अनुरूप हो।
अब आते हैं फायदे और नुकसान की बात पर। मैं सभी एडटेक कंपनियों के लिए नहीं बोल सकती, लेकिन ज़ैमिट में हमारा ध्यान केवल वित्तीय मेट्रिक्स के बजाय शैक्षिक पहुंच बढ़ाने पर है। हम तत्काल लाभप्रदता से अधिक छात्रों के परिणामों और सहभागिता को प्राथमिकता देते हैं। विविध शिक्षण विकल्पों की मांग ने एडटेक क्षेत्र में नवाचार को प्रेरित किया है, जिससे कई कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों पाठ्यक्रमों की पेशकश करने की क्षमता छात्रों की प्राथमिकताओं के साथ व्यापक पहुंच और बेहतर संरेखण सुनिश्चित करती है। जबकि प्रौद्योगिकी और कंटेंट क्रिएशन में प्रारंभिक निवेश पर्याप्त है, दीर्घकालिक मूल्य शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव में निहित है।
कंपनियों के लिए स्थायी राह की आशा
एडटेक में लाभप्रदता अक्सर क्षेत्र की विकास क्षमता का प्रतिबिंब होती है। जैसे-जैसे अधिक छात्र ऑनलाइन शिक्षण को अपना रहे हैं, एडटेक कंपनियों के लिए हम एक स्थायी राह की आशा करते हैं। हमारी प्रतिबद्धता शैक्षिक उत्कृष्टता में लगातार निवेश करने की है, यह सुनिश्चित करते हुए कि छात्रों को एडटेक उद्योग की दीर्घकालिक सफलता में योगदान करते हुए सीखने के रास्ते चुनने की स्वतंत्रता भी है।
जी-20 सम्मेलन के बाद भारत में कैंपस स्थापित करने वाली विदेशी कंपनियों की आमद ने वास्तव में एडटेक कंपनियों के व्यापार परिदृश्य को प्रभावित किया है। यह प्रवृत्ति शिक्षा और नवाचार के केंद्र के रूप में भारत की वैश्विक मान्यता के अनुरूप है। जबकि बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा एक स्वाभाविक परिणाम है, यह सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के अवसर भी प्रस्तुत करती है। इस बदलते परिदृश्य का मार्गदर्शन करने के लिए, हम स्थानीय शैक्षिक संदर्भ को समझने में अपनी मजबूत स्थिति का लाभ उठा रहे हैं और इस आधार पर खुद को इस तरह से तैयार कर रहे हैं ताकि हम भारतीय छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। हमारा ध्यान ऐसे कंटेंट तैयार करने पर है, जो स्थानीय पाठ्यक्रम के साथ मेल खा सके और भारतीय शिक्षा पद्धति की चुनौतियों का हल भी दे सके। हमारी यही विशेषता हमें दूसरों से अलग करती है। इसके अलावा हम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सक्रिय रूप से साझेदारी की तलाश भी कर रहे हैं।
(क्रमशः)